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Yatharth Hospital News : यथार्थ अस्‍पताल की गुंडई, महिला मरीज को धमकाने का आरोप, बाउंसरों की दबंगई और बिल क्‍लीयरेंस का विवाद

यथार्थ अस्पताल के मीडिया प्रभारी गुल मोहम्मद ने कहा कि मामला अब हल हो चुका है और बिल का भुगतान हो गया है। हालांकि, बाउंसरों द्वारा धमकाने की घटना पर उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, जिससे यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह अस्पताल प्रबंधन की नियमित नीति का हिस्सा है या फिर यह एक अलग घटना थी।

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। यथार्थ अस्‍पताल पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं, जहां महिला मरीज के साथ दुर्व्‍यवहार और धमकी देने का मामला सामने आया है। इस बार अस्पताल प्रबंधन पर आरोप है कि उन्होंने पांच बाउंसरों के जरिए रात के समय महिला मरीज को धमकाया, जिससे मामला और गरमा गया। तीन दिनों से अटके हुए टीपीए (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर) से बिल को लेकर विवाद चल रहा था, जो अंततः हंगामे के बाद महज दस मिनट में क्‍लीयर हो गया। इस पूरे मामले ने न केवल अस्पताल में बल्कि सोशल मीडिया पर भी भारी चर्चा को जन्म दिया।

क्या था पूरा मामला?

ग्रेटर नोएडा के कासना गांव की निवासी सोनिया शर्मा को सांस लेने में दिक्कत होने के बाद 1 अक्टूबर को यथार्थ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 5 अक्टूबर को अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें 60,000 रुपये का बिल थमाया। परिवारवालों ने कहा कि बिल का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी करेगी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि कंपनी से पैसा नहीं मिल रहा है। इसी बहाने, अस्पताल ने सोनिया शर्मा को डिस्चार्ज के बाद भी वहां रोक रखा।

इंश्योरेंस कंपनी की भूमिका

समाजसेवी सविता शर्मा ने इस मामले में इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क किया, तो कंपनी ने बताया कि मरीज को भर्ती करने की आवश्यकता नहीं थी और उनका उपचार ओपीडी में भी संभव था। इस बात को लेकर अस्‍पताल और मरीज के परिजनों के बीच तीन दिनों तक विवाद चलता रहा, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

रात में बाउंसरों की दबंगई

7 अक्टूबर की रात बिना किसी पूर्व सूचना के, पांच बाउंसर अचानक महिला मरीज सोनिया शर्मा के कमरे में घुस गए और उन्हें धमकाने लगे कि पैसा जमा करें या अस्पताल से बाहर जाएं। इस घटना से मामला और भड़क गया। जब 8 अक्टूबर को परिजन और समाजसेवी अस्पताल पहुंचे, तो वहां काफी हंगामा हुआ।

हंगामे के बाद बिल क्लीयरेंस

अस्पताल में जैसे ही मामला बढ़ा, प्रबंधन हरकत में आ गया। जिस बिल को तीन दिनों से क्लीयर नहीं किया जा रहा था, वह महज दस मिनट के भीतर क्लीयर कर दिया गया। यह देखकर वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए। इसके बाद, अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के परिवार को सूचना दी कि उनका बिल क्लीयर हो गया है और वे अस्पताल से जा सकते हैं।

सोशल मीडिया पर हंगामा

यह घटना सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा का विषय बन गई है। अस्पतालों में इस तरह के दुर्व्यवहार और मरीजों के प्रति बुरी नीति को लेकर लोग अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। अस्पतालों में बाउंसरों द्वारा मरीजों को धमकाने जैसी घटनाएं मरीजों और उनके परिजनों के लिए असुरक्षा का माहौल बना रही हैं।

अस्पताल प्रबंधन का पक्ष

इस पूरे विवाद पर, यथार्थ अस्पताल के मीडिया प्रभारी गुल मोहम्मद ने कहा कि मामला अब हल हो चुका है और बिल का भुगतान हो गया है। हालांकि, बाउंसरों द्वारा धमकाने की घटना पर उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, जिससे यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह अस्पताल प्रबंधन की नियमित नीति का हिस्सा है या फिर यह एक अलग घटना थी।

अस्पताल की छवि पर धब्बा

यह कोई पहला मौका नहीं है जब यथार्थ अस्पताल पर मरीजों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगा हो। पहले भी इस अस्पताल पर इस तरह की घटनाओं के आरोप लग चुके हैं, लेकिन इस बार मामला और भी गंभीर हो गया है। मरीज के परिजनों को धमकाना और बिल अटकाए रखना अस्पताल प्रबंधन की छवि पर एक बड़ा धब्बा है।

इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि अस्पतालों को मरीजों और उनके परिजनों के साथ उचित व्यवहार करना चाहिए और बिल संबंधी प्रक्रियाओं को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से निपटाना चाहिए।

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