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Sharda University News : "देश पहले, संबंध बाद में!", — शारदा विश्वविद्यालय ने तुर्किए से खत्म किए शैक्षणिक संबंध, पाकिस्तान समर्थन पर जताई कड़ी नाराज़गी

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
देश की संप्रभुता, सम्मान और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए शारदा विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा ने एक बड़ा और साहसिक कदम उठाया है। विश्वविद्यालय ने तुर्किए (Turkey) के दो प्रमुख विश्वविद्यालयों — इस्तांबुल आयदिन विश्वविद्यालय और हसन कल्योनकू विश्वविद्यालय — से अपने शैक्षणिक संबंधों को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है।

यह फैसला उस वक्त लिया गया है जब हाल ही में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान प्रायोजित आतंक के खिलाफ चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद वैश्विक मंच पर कई देश खुलकर भारत के समर्थन या विरोध में सामने आए। इनमें तुर्किए ने पाकिस्तान का परोक्ष समर्थन कर भारत विरोधी रुख अपनाया, जिसे लेकर शारदा विश्वविद्यालय ने एक देशभक्ति पूर्ण रुख अपनाते हुए यह संबंध समाप्त करने का निर्णय लिया।


विदेशी साझेदारी पर ‘राष्ट्रहित’ भारी

शारदा विश्वविद्यालय के पीआर डायरेक्टर ने जानकारी दी कि तुर्किए के दोनों विश्वविद्यालयों के साथ वर्षों से शैक्षणिक समझौते (MoUs) लागू थे:

  • इस्तांबुल आयदिन विश्वविद्यालय (Istanbul Aydın University) से 2017 में संबंध स्थापित हुए थे।
  • हसन कल्योनकू विश्वविद्यालय (Hasan Kalyoncu University) से 2019 में शैक्षणिक भागीदारी बनी थी।

इन MoUs के अंतर्गत शोध सहयोग, संकाय और छात्रों के आपसी आदान-प्रदान, सेमिनार और संयुक्त परियोजनाएं चल रही थीं। लेकिन अब यह सभी संबंध समाप्त कर दिए गए हैं और तुर्किए के विश्वविद्यालयों को इसकी आधिकारिक सूचना भी भेज दी गई है।


‘राष्ट्र के साथ कोई समझौता नहीं’ – शारदा विश्वविद्यालय का स्पष्ट संदेश

पीआर डायरेक्टर ने कड़े शब्दों में कहा,

“तुर्किए का पाकिस्तान के साथ खड़ा होना भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति एक सीधा राजनीतिक हमला है। ऐसे राष्ट्र के साथ किसी भी प्रकार की शैक्षणिक साझेदारी अब स्वीकार्य नहीं है।”

उन्होंने आगे जोड़ा कि,

“जो राष्ट्र भारत के विरोधियों का साथ दे रहा है, उस देश की शिक्षण संस्थाओं के साथ शैक्षणिक संबंध रखना हमारी नीति और राष्ट्रभक्ति के विपरीत है।”


विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं

इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि अब उच्च शिक्षण संस्थान सिर्फ ज्ञान नहीं, बल्कि राष्ट्र के हितों के प्रति भी सजग भूमिका निभा रहे हैं। शारदा विश्वविद्यालय का यह निर्णय आने वाले समय में देशभक्ति से प्रेरित अकादमिक नीतियों की दिशा तय कर सकता है।


ऑपरेशन सिंदूर और उसका भू-राजनीतिक असर

गौरतलब है कि भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों के ठिकानों को तबाह किया था। यह ऑपरेशन न केवल सैन्य दृष्टि से बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी ऐतिहासिक रहा। दुनिया भर के कई देश भारत के साथ खड़े दिखाई दिए, लेकिन तुर्किए ने पाकिस्तान के साथ राजनीतिक सहानुभूति दिखाकर भारत विरोधी स्थिति ले ली।


तुर्किए की रणनीति पर भारत के शिक्षाविदों का करारा जवाब

शारदा विश्वविद्यालय का यह फैसला केवल एक विश्वविद्यालय के MoU समाप्त करने की घोषणा नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है कि राष्ट्र की अखंडता और आत्मसम्मान के साथ किसी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं। यह कदम आने वाले दिनों में अन्य भारतीय संस्थानों के लिए भी एक नजीर बन सकता है।


देशवासियों की प्रशंसा, सोशल मीडिया पर मिला समर्थन

शारदा विश्वविद्यालय के इस फैसले की सोशल मीडिया पर व्यापक सराहना हो रही है। छात्रों, शिक्षकों, पूर्व छात्रों और आम नागरिकों ने विश्वविद्यालय की राष्ट्रहित में उठाए गए साहसिक कदम की खुलकर तारीफ की है।


निष्कर्ष – शिक्षा और देशभक्ति का संगम

शारदा विश्वविद्यालय का यह निर्णय यह दर्शाता है कि भारत की नई शिक्षानीति में केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद, जिम्मेदारी और कूटनीतिक जागरूकता भी प्रमुख मूल्य बनते जा रहे हैं। विश्वविद्यालय का यह ऐतिहासिक फैसला बताता है कि भारत की शिक्षण संस्थाएं अब मात्र ज्ञान का केंद्र नहीं, बल्कि राष्ट्र की रीढ़ भी हैं।


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