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First Wave Of Corona In Delhi Was Tsunami  – दिल्ली का हाल : सुनामी थी कोरोना की पहली लहर, संक्रमण के हर मानक पर साबित हुई मारक

सार

चार लहरों का सामना करने वाला दिल्ली इकलौता राज्य। पांचवीं की अब फिर से हुई है शुरुआत। 

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दिल्ली में अब तक आई कोरोना की लहरों में बीते अप्रैल की चौथी लहर को बेशक सबसे घातक माना जाता है, लेकिन आंकड़े अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। दिल्ली में बीते साल मई से जुलाई के बीच की पहली लहर सुनामी साबित हुई है। कोविड संक्रमण के सभी पैरामीटर पहली लहर में ही सबसे मारक थे। मृत्यु व संक्रमण दर और दैनिक मामले बाकी तीनों लहरों से ज्यादा थे। हालांकि, उस वक्त स्वास्थ्य सेवा पर दबाव दूसरी लहर की तरह नहीं पड़ा। पहले इस तरह की किसी महामारी का अनुभव किसी के पास था और न ही कोई रक्षक वैक्सीन थी। विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते लगाया गया लॉकडाउन, अधिक सतर्कता, अल्फा-बीटा वैरिएंट की मौजूदगी से महामारी का प्रसार अधिक नहीं हो पाया। बाद के दौरान में सख्ती में ढील और संक्रमण के प्रति बरती गई लापरवाही ने हालात बेहद डराने वाले कर दिए थे। पांचवीं लहर के उठने के क्रम में अभी तक दिल्ली में आई सभी लहरों पर अमर उजाला संवाददाता परीक्षित निर्भय की आंकड़ों पर आधारित खास रिपोर्ट…

तब नहीं थी बहुत अधिक जानकारी
लोग सोचते हैं कि महामारी का सबसे बड़ा असर इसी साल देखने को मिला, लेकिन आंकड़ों से स्पष्ट है कि पिछले साल जब महामारी आई तो सबसे गंभीर रुप लिया था। पहली लहर जब आई तब लॉकडाउन लगा हुआ था। लोग घरों में थे। प्रशासन काफी सतर्क था। इसलिए पैनिक ज्यादा नहीं हुआ था। फिर भी, स्थिति गंभीर थी। इसके गवाह अस्पताल हैं। इसने ज्यादा असर तब दिखाया, जब ढिलाई के साथ डेल्टा वैरिएंट भी फैला। इससे कोरोना का लक्षण बदला। संक्रमित होने के तीन से चार दिन में ही ऑक्सीजन का स्तर कम होना, सांस नहीं ले पाने जैसे लक्षण हुए जो पहली लहर में 20 से 25 फीसदी ही मरीजों में मिल रहे थे, लेकिन राष्ट्रीय सीरो सर्वे तीन में यह लक्षण 52 फीसदी तक मिले। इस वजह से भी लोगों को महामारी का एहसास हुआ था।
-डॉ. जुगल किशोर, वरिष्ठ चिकित्सक, सामुदायिक चिकित्सा विभाग, सफदरजंग अस्पताल

वुहान संग अल्फा वैरिएंट था मौजूद
पहली लहर की स्थिति वर्तमान से एकदम अलग थी। तब वायरस का वुहान संग अल्फा वैरिएंट था। यह काफी तेज और नया था, इसलिए जो चपेट में आया उसे काफी नुकसान हुआ। संक्रमण दर इसलिए ज्यादा थी क्योंकि तब जांच ही कम हो रही थी। जैसे जैसे लॉकडाउन हटता गया, लापरवाहियां बढ़ीं और यही वजह है कि दिल्ली में इतनी लहरें आईं और इस साल अप्रैल से मई के बीच हालात खराब रहे।
-डॉ. चंद्रकांत लाहरिया, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ

संक्रमण दर के दो पीक

  • दिल्ली में पहला कोरोना मरीज 2 मार्च 2020 को मयूर विहार इलाके में मिला था। 
  • अभी तक 14.14 लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं।
  • इस बीच दो बार संक्रमण दर पीक पर गई। दोनों वाकया पहली लहर के दौरान ही दर्ज किया। अभी तक सबसे ज्यादा संक्रमण दर बीते साल 13 जून को 36.9 फीसदी व 13 अप्रैल को 35.7 फीसदी दर्ज की गई। मतलब, उस दौरान हर तीसरा व्यक्ति संक्रमित मिला।
  • इस लहर के बीच ज्यादातर दिनों में संक्रमण दर 20 फीसदी से ऊपर थी।
  • दूसरी और तीसरी लहर के दौरान अधिकतर दिनों में संक्रमण दर इकाई में ही दस फीसदी से नीचे रही।
  • चौथी लहर में एक दिन संक्रमण दर 32 फीसदी रिकार्ड की गई। यह ऊंचाई भी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी। अन्य दिनों में आंकड़ा पहली लहर से नीचे रहा।

नए मामलों व मौतें भी पहली लहर में नहीं हुई कम

  • ज्यादा टेस्ट होने से तीसरी और चौथी लहरों में संक्रमण के नए मामले ज्यादा दिख रहे हैं।
  • जांच सुविधा सीमित होने से पहली लहर में टेस्टिंग कम हो रही थी, लेकिन जितने भी लोगों के टेस्ट हुए, उसमें संक्रमित ज्यादा निकले थे। 
  • दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन में पहली लहर के दौरान 437 मौतें हुई थीं। हालांकि, इसमें मौत के पुराने आंकड़ों को भी जोड़ा गया था।
  • चौथी लहर में एक दिन में सबसे ज्यादा 277 मौतें रिकॉर्ड की गई थीं। अन्य दिनों में भी मौतों को आंकड़ा इस दौरान ज्यादा था।
इस तरह आई चार लहरें, पांचवीं लहर अब शुरू हुई उठनी
1. पहली लहर : 29 मई से छह जुलाई (2020) 
तारीख मामले जांच मौत संक्रमण दर
29 मई 1105 7649 82 14.4
02 जून 1298 6970 33 21.4
10 जून 1501 5077 79 29.6
13 जून 2134 5776 57 36.9
16 जून 1859 7786 437 23.9
18 जून 2877 8726 65 33
23 जून 3947 16952 68 23.3
06 जुलाई 1379 13879 48 9.9

2. दूसरी लहर: 18 अगस्त से 5 अक्तूबर (2020)
तारीख मामले जांच मौत संक्रमण दर
18 अगस्त 1374 20266 12 6.8
25 अगस्त 1544 19841 17 7.8
29 अगस्त 1954 22004 15 8.9
04 सिंतबर 2914 36219 13 8
07 सितंबर 2077 22954 32 9
15 सितंबर 4263 62669 36 6.8
05 अक्तूबर 1947 35593 32 5.5

3. तीसरी लहर 18 अक्तूबर से 14 दिसंबर (2020)
तारीख मामले जांच मौत संक्रमण दर
18 अक्तूबर 3299 49414 28 6.7
25 अक्तूबर 4136 49069 33 8.4
28 अक्तूबर 5673 60571 40 9.4
04 नवंबर 6842 58910 51 11.6
08 नवंबर 7745 50754 77 15.3
11 नवंबर 8593 64121 85 13.4
14 दिसंबर 1376 63944 60 2.2

चौथी लहर 31 मार्च-24 मई (2021)
तारीख मामले जांच मौत संक्रमण दर
31 मार्च 1819 67070 11 2.7
10 अप्रैल 7897 77374 39 10.2
13 अप्रैल 13468 102460 81 13.1
18 अप्रैल 25462 85620 161 29.7
20 अप्रैल 28395 86526 277 32.8
24 मई 1550 61506 207 2.5

…तो अब फिर आ रहा संक्रमण में उछाल
तारीख मामले मौत संक्रमण दर
22 दिसंबर 125 — 0.20
23 दिसंबर 118 01 0.19
24 दिसंबर 180 — 0.29
25 दिसंबर 249 01 0.43
26 दिसंबर 290 01 0.55
27 दिसंबर 311 01 0.68
28 दिसंबर 496 01 0.89
29 दिसंबर 923 – 1.29
नोट: 
संक्रमण दर फीसदी में है। 
स्रोत: दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य बुलेटिन और इंडिया डाटा पोर्टल।

विस्तार

दिल्ली में अब तक आई कोरोना की लहरों में बीते अप्रैल की चौथी लहर को बेशक सबसे घातक माना जाता है, लेकिन आंकड़े अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। दिल्ली में बीते साल मई से जुलाई के बीच की पहली लहर सुनामी साबित हुई है। कोविड संक्रमण के सभी पैरामीटर पहली लहर में ही सबसे मारक थे। मृत्यु व संक्रमण दर और दैनिक मामले बाकी तीनों लहरों से ज्यादा थे। हालांकि, उस वक्त स्वास्थ्य सेवा पर दबाव दूसरी लहर की तरह नहीं पड़ा। पहले इस तरह की किसी महामारी का अनुभव किसी के पास था और न ही कोई रक्षक वैक्सीन थी। विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते लगाया गया लॉकडाउन, अधिक सतर्कता, अल्फा-बीटा वैरिएंट की मौजूदगी से महामारी का प्रसार अधिक नहीं हो पाया। बाद के दौरान में सख्ती में ढील और संक्रमण के प्रति बरती गई लापरवाही ने हालात बेहद डराने वाले कर दिए थे। पांचवीं लहर के उठने के क्रम में अभी तक दिल्ली में आई सभी लहरों पर अमर उजाला संवाददाता परीक्षित निर्भय की आंकड़ों पर आधारित खास रिपोर्ट…

तब नहीं थी बहुत अधिक जानकारी

लोग सोचते हैं कि महामारी का सबसे बड़ा असर इसी साल देखने को मिला, लेकिन आंकड़ों से स्पष्ट है कि पिछले साल जब महामारी आई तो सबसे गंभीर रुप लिया था। पहली लहर जब आई तब लॉकडाउन लगा हुआ था। लोग घरों में थे। प्रशासन काफी सतर्क था। इसलिए पैनिक ज्यादा नहीं हुआ था। फिर भी, स्थिति गंभीर थी। इसके गवाह अस्पताल हैं। इसने ज्यादा असर तब दिखाया, जब ढिलाई के साथ डेल्टा वैरिएंट भी फैला। इससे कोरोना का लक्षण बदला। संक्रमित होने के तीन से चार दिन में ही ऑक्सीजन का स्तर कम होना, सांस नहीं ले पाने जैसे लक्षण हुए जो पहली लहर में 20 से 25 फीसदी ही मरीजों में मिल रहे थे, लेकिन राष्ट्रीय सीरो सर्वे तीन में यह लक्षण 52 फीसदी तक मिले। इस वजह से भी लोगों को महामारी का एहसास हुआ था।

-डॉ. जुगल किशोर, वरिष्ठ चिकित्सक, सामुदायिक चिकित्सा विभाग, सफदरजंग अस्पताल

वुहान संग अल्फा वैरिएंट था मौजूद

पहली लहर की स्थिति वर्तमान से एकदम अलग थी। तब वायरस का वुहान संग अल्फा वैरिएंट था। यह काफी तेज और नया था, इसलिए जो चपेट में आया उसे काफी नुकसान हुआ। संक्रमण दर इसलिए ज्यादा थी क्योंकि तब जांच ही कम हो रही थी। जैसे जैसे लॉकडाउन हटता गया, लापरवाहियां बढ़ीं और यही वजह है कि दिल्ली में इतनी लहरें आईं और इस साल अप्रैल से मई के बीच हालात खराब रहे।

-डॉ. चंद्रकांत लाहरिया, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ

संक्रमण दर के दो पीक

  • दिल्ली में पहला कोरोना मरीज 2 मार्च 2020 को मयूर विहार इलाके में मिला था। 
  • अभी तक 14.14 लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं।
  • इस बीच दो बार संक्रमण दर पीक पर गई। दोनों वाकया पहली लहर के दौरान ही दर्ज किया। अभी तक सबसे ज्यादा संक्रमण दर बीते साल 13 जून को 36.9 फीसदी व 13 अप्रैल को 35.7 फीसदी दर्ज की गई। मतलब, उस दौरान हर तीसरा व्यक्ति संक्रमित मिला।
  • इस लहर के बीच ज्यादातर दिनों में संक्रमण दर 20 फीसदी से ऊपर थी।
  • दूसरी और तीसरी लहर के दौरान अधिकतर दिनों में संक्रमण दर इकाई में ही दस फीसदी से नीचे रही।
  • चौथी लहर में एक दिन संक्रमण दर 32 फीसदी रिकार्ड की गई। यह ऊंचाई भी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी। अन्य दिनों में आंकड़ा पहली लहर से नीचे रहा।

नए मामलों व मौतें भी पहली लहर में नहीं हुई कम

  • ज्यादा टेस्ट होने से तीसरी और चौथी लहरों में संक्रमण के नए मामले ज्यादा दिख रहे हैं।
  • जांच सुविधा सीमित होने से पहली लहर में टेस्टिंग कम हो रही थी, लेकिन जितने भी लोगों के टेस्ट हुए, उसमें संक्रमित ज्यादा निकले थे। 
  • दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन में पहली लहर के दौरान 437 मौतें हुई थीं। हालांकि, इसमें मौत के पुराने आंकड़ों को भी जोड़ा गया था।
  • चौथी लहर में एक दिन में सबसे ज्यादा 277 मौतें रिकॉर्ड की गई थीं। अन्य दिनों में भी मौतों को आंकड़ा इस दौरान ज्यादा था।

इस तरह आई चार लहरें, पांचवीं लहर अब शुरू हुई उठनी

1. पहली लहर : 29 मई से छह जुलाई (2020) 

तारीख मामले जांच मौत संक्रमण दर

29 मई 1105 7649 82 14.4

02 जून 1298 6970 33 21.4

10 जून 1501 5077 79 29.6

13 जून 2134 5776 57 36.9

16 जून 1859 7786 437 23.9

18 जून 2877 8726 65 33

23 जून 3947 16952 68 23.3

06 जुलाई 1379 13879 48 9.9

2. दूसरी लहर: 18 अगस्त से 5 अक्तूबर (2020)

तारीख मामले जांच मौत संक्रमण दर

18 अगस्त 1374 20266 12 6.8

25 अगस्त 1544 19841 17 7.8

29 अगस्त 1954 22004 15 8.9

04 सिंतबर 2914 36219 13 8

07 सितंबर 2077 22954 32 9

15 सितंबर 4263 62669 36 6.8

05 अक्तूबर 1947 35593 32 5.5

3. तीसरी लहर 18 अक्तूबर से 14 दिसंबर (2020)

तारीख मामले जांच मौत संक्रमण दर

18 अक्तूबर 3299 49414 28 6.7

25 अक्तूबर 4136 49069 33 8.4

28 अक्तूबर 5673 60571 40 9.4

04 नवंबर 6842 58910 51 11.6

08 नवंबर 7745 50754 77 15.3

11 नवंबर 8593 64121 85 13.4

14 दिसंबर 1376 63944 60 2.2

चौथी लहर 31 मार्च-24 मई (2021)

तारीख मामले जांच मौत संक्रमण दर

31 मार्च 1819 67070 11 2.7

10 अप्रैल 7897 77374 39 10.2

13 अप्रैल 13468 102460 81 13.1

18 अप्रैल 25462 85620 161 29.7

20 अप्रैल 28395 86526 277 32.8

24 मई 1550 61506 207 2.5

…तो अब फिर आ रहा संक्रमण में उछाल

तारीख मामले मौत संक्रमण दर

22 दिसंबर 125 — 0.20

23 दिसंबर 118 01 0.19

24 दिसंबर 180 — 0.29

25 दिसंबर 249 01 0.43

26 दिसंबर 290 01 0.55

27 दिसंबर 311 01 0.68

28 दिसंबर 496 01 0.89

29 दिसंबर 923 – 1.29

नोट: 

संक्रमण दर फीसदी में है। 

स्रोत: दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य बुलेटिन और इंडिया डाटा पोर्टल।

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