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Greater Noida Authority News : लीजबैक विवादों के समाधान की राह पर ग्रेटर नोएडा!, सिरसा और खेड़ा चौगानपुर में 56 मामलों पर हुई सुनवाई, किसानों से जुटाए गए साक्ष्य

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।।
ग्रेटर नोएडा में किसानों के बहुप्रतीक्षित लीजबैक प्रकरणों का समाधान अब गति पकड़ता नजर आ रहा है। प्राधिकरण की आबादी व्यवस्थापन समिति द्वारा सिरसा और खेड़ा चौगानपुर गांवों के 56 मामलों पर सुनवाई की गई। अधिकारियों ने किसानों से सीधा संवाद किया और उनके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को ध्यानपूर्वक रिकॉर्ड किया।

यह सुनवाई प्राधिकरण की पारदर्शी कार्यप्रणाली और किसान हितों को लेकर प्रतिबद्धता का प्रतीक बनकर उभरी है। अब उम्मीद है कि इन प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण हो सकेगा, जिससे हजारों किसानों को वर्षों से लटके मुआवज़े और प्लॉट आबंटन जैसे मामलों में राहत मिलेगी।


सुनवाई में शामिल रहे चार वरिष्ठ अधिकारी

शुक्रवार को हुई सुनवाई में इन अधिकारियों की उपस्थिति रही:

  • ओएसडी गुंजा सिंह
  • ओएसडी अभिषेक पाठक
  • ओएसडी गिरीश कुमार झा
  • ओएसडी जितेंद्र गौतम

इन सभी अधिकारियों ने सिरसा के 27 और खेड़ा चौगानपुर के 29 लीजबैक प्रकरणों पर व्यक्तिगत तौर पर किसानों से बातचीत की, दस्तावेजों की जांच की और प्रमाणों को सुरक्षित किया। यह सुनवाई लीजबैक मुद्दों के स्थायी समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


क्या होता है लीजबैक प्रकरण?

जब प्राधिकरण किसानों से उनकी जमीन अधिग्रहण करता है, तो मास्टर प्लान के तहत कुछ भूखंड जनहित योजनाओं, आवासीय व व्यावसायिक विकास के लिए आरक्षित किए जाते हैं। बदले में किसानों को आबादी भूखंड (leaseback plots) देने का प्रावधान होता है।

लेकिन कई बार दस्तावेजी त्रुटियों, तकनीकी बाधाओं या प्रक्रिया में विलंब के चलते कई किसान लीजबैक के अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं। ऐसे ही प्रकरणों की सुनवाई अब नियमित तौर पर की जा रही है।


📅 24 मार्च से चल रही है सुनवाई प्रक्रिया

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने लीजबैक प्रकरणों के निस्तारण के लिए 24 मार्च 2025 से एक विशेष शेड्यूल के तहत सुनवाई प्रक्रिया शुरू की है। तय कार्यक्रम के अनुसार, प्रत्येक गांव के मामलों की अलग-अलग तिथियों पर सुनवाई की जा रही है।

सुनवाई के दौरान:

  • किसानों को स्वामित्व से जुड़े मूल दस्तावेज लाने के निर्देश दिए गए हैं।
  • मौजूदा कब्जा, भू-उपयोग और परिवार का विवरण जैसे बिंदुओं की विस्तृत जांच की जा रही है।
  • जिन प्रकरणों में साक्ष्य स्पष्ट मिलते हैं, उन्हें शीघ्र निस्तारित करने की अनुशंसा की जा रही है।

🗣️ किसानों को उम्मीद, वर्षों की लड़ाई अब पूरी होगी

सिरसा और खेड़ा चौगानपुर के किसानों ने सुनवाई के बाद संतोष और राहत की भावना जताई। कई किसानों ने कहा कि वे पिछले 8 से 10 वर्षों से लीजबैक के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे, लेकिन अब जाकर मामला सही दिशा में बढ़ता दिख रहा है।

प्राधिकरण के अधिकारियों ने भी आश्वासन दिया कि जिन प्रकरणों में कानूनी और दस्तावेजी स्थिति स्पष्ट है, उन्हें जल्द से जल्द निस्तारित किया जाएगा।


📌 पारदर्शिता व निष्पक्षता बनी सुनवाई की आधारशिला

ओएसडी गिरीश कुमार झा ने बताया कि प्राधिकरण की आबादी व्यवस्थापन समिति द्वारा सुनवाई पूरी पारदर्शिता से की जा रही है। न तो किसी को अनावश्यक लाभ मिलेगा और न ही किसी पात्र किसान को वंचित रखा जाएगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जहां दस्तावेजों में त्रुटियां हैं, वहां सुधार के लिए किसानों को पर्याप्त समय व सहयोग दिया जाएगा, लेकिन गलत जानकारी या धोखे के प्रयास को सख्ती से रोका जाएगा।


📈 आगे की योजना: गांववार प्रकरणों का तेजी से निस्तारण

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की योजना है कि आगामी महीनों में:

  • हर सप्ताह 2 से 3 गांवों की सुनवाई की जाए।
  • विवादित और स्पष्ट प्रकरणों को अलग-अलग श्रेणी में बाँटकर त्वरित निर्णय लिए जाएं।
  • लीजबैक प्लॉट की डिजिटल मैपिंग और ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम को भी लागू किया जाए।

इससे न सिर्फ प्रक्रिया तेज होगी बल्कि भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी कम होगी।


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