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Health of 12 states including Rajasthan-Bihar deteriorated further, MP ranks 17, here 56 died out of 1000 children below 5 years of age | राजस्थान-बिहार समेत 12 राज्यों का स्वास्थ्य और बिगड़ा, MP की रैंक 17, यहां 5 साल से कम उम्र के 1000 बच्चों में 56 की मौत

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नई दिल्ली/भोपाल11 मिनट पहले

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हेल्थ इंडेक्स में केरल लगातार चौथे साल शीर्ष पर और यूपी सबसे नीचे... लेकिन सर्वाधिक सुधार करने में यूपी देश में सबसे आगे। - Dainik Bhaskar

हेल्थ इंडेक्स में केरल लगातार चौथे साल शीर्ष पर और यूपी सबसे नीचे… लेकिन सर्वाधिक सुधार करने में यूपी देश में सबसे आगे।

मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार व गुजरात समेत 19 बड़े राज्यों में से 12 की सेहत 2018 के मुकाबले 2019 में और बिगड़ गई। नीति आयोग द्वारा सोमवार को जारी हेल्थ इंडेक्स में ये जानकारियां सामने आईं। इसके मुताबिक केरल लगातार चौथे साल शीर्ष पर और यूपी सबसे फिसड्‌डी रहा। हालांकि, रिकवरी के मामले में यूपी का प्रदर्शन देश में सबसे बेहतर रहा। जबकि मध्यप्रदेश की रैंकिंग 17 है। यानी 19 राज्यों में नीचे से तीसरी। उससे नीचे सिर्फ बिहार और यूपी हैं।

‘केयर’ चाहिए… साल 2019 में मप्र में प्रति हजार 35 और हरियाणा में 22 नवजातों ने जान गंवाई

इनमें सुधार हुआ : केरल, तमिलनाडु, यूपी, हरियाणा, झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश। इनकी हालत और बिगड़ी : मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, गुजरात, पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हिमाचल, असम, उत्तराखंड, ओडिशा और कर्नाटक।

टॉप-10 रैंक : केरल (1), तमिलनाडु (2), तेलंगाना (3), आंध्र (4), महाराष्ट्र (5), गुजरात (6), हिमाचल (7), पंजाब (8), कर्नाटक (9), छत्तीसगढ़ (10)

‘दवा’ जरूरी… पांच साल से कम उम्र के बच्चे भी खतरे में

  • मप्र, हरियाणा व यूपी में शिशु मृत्यु दर व 5 साल से कम उम्र वालों की मौत में बुरा हाल है।
  • मप्र में जन्म से 29 दिन के अंदर जान गंवाने वाले नवजातों की संख्या प्रति हजार 35 है व 5 साल से कम उम्र में मरने वाले बच्चे प्रति हजार 56 हैं। यूपी में यह संख्या क्रमश: 32 व 47 और हरियाणा में 22 व 36 है।

43 पैमानों पर बना इंडेक्स

नवजात मृत्यु दर (एनएमआर)

  • 5 साल से कम वालों की मृत्यु दर (यू 5 एमआर)
  • जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) {मातृ मृत्यु दर (एमएमआर)
  • आधुनिक गर्भनिरोधक का इस्तेमाल
  • नवजातों का पूर्ण टीकाकरण
  • टीबी के मामले समेत कुल 43 पैमानों पर हेल्थ इंडेक्स बनाया गया।

मप्र की स्थिति… 5 साल से नहीं सुधरी रैंक, 1400 मेडिकल ऑफिसर, 2650 विशेषज्ञ, 15000 नर्सिंग स्टाफ की कमी

  • मप्र में 13 मेडिकल कॉलेज में कुल स्वीकृत पद 2814 हैं जिनमें 1958 भरे हैं और 856 पद खाली हैं। यहां लोक सेवा आयोग से 400 डॉक्टर भर्ती किए गए हैं। जबकि मेडिकल ऑफिसर के 1400 पद खाली हैं। 2650 विशेषज्ञ डॉक्टर चाहिए। 15 हजार से ज्यादा नर्सिंग स्टाफ की कमी है।
  • नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं में 5 साल में कोई सुधार नहीं हुआ है। राज्य की रैंक 17 और 18 ही बनी हुई है।
  • मातृ मृत्युदर मामले में मप्र की रैंक 15वीं है। 2018-19 में रैंक इससे ऊपर थी। प्रदेश में संस्थागत या अस्पतालों में डिलीवरी कराने के मामले में भी हम पीछे रहे हैं। इसमें मप्र का स्थान 16वें नंबर (66.33 फीसदी) पर है।
  • राज्य के स्वास्थ्य बजट का ज्यादातर हिस्सा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन पर खर्च हो रहा है। इसमें 3035 करोड़ रुपए, सिविल अस्पतालों के सुधार में 1208 करोड़ रु. खर्च हुए हैं।

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