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In 90 days, the police presented the chargesheet in the court, in the chargesheet only Abhishek was made an accused, gave clean chit to friend | 90 दिन में पुलिस ने कोर्ट में पेश की चार्जशीट, बेटे अभिषेक को बनाया गया आरोपी, दोस्त को दी क्लीन चिट

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रोहतक2 घंटे पहले

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हरियाणा के रोहतक जिले की झज्जर चुंगी स्थित विजय नगर की बाग वाली गली में 27 अगस्त को हुए बबलू पहलवान परिवार हत्याकांड में रोहतक पुलिस ने आज कोर्ट में चार्जशीट पेश की है। महज 90 दिनों में चार्जशीट पेश कर पुलिस ने इस केस में इकलौते अभिषेक उर्फ मोनू को आरोपी बनाया है। अभिषेक के लिविंग फ्रेंड को क्लीन चिट दे दी है। आज मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अगली तारीख दे दी है। अगली तारीख 7 दिसंबर की है।

पुलिस ने बनाए 40 गवाह
एडवोकेट शिवराज मलिक आरोपी अभिषेक की तरफ से पैरवी कर रहे हैं। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में करीब 40 गवाह बनाए हैं। जिसमें डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और कई आम आदमी शामिल हैं। हत्याकांड में पहलवान का इकलौता बेटा अभिषेक मुख्य आरोपित बताया गया है। हत्याकांड में प्रयोग किया गया पिस्तौल भी उसके पास से बरामद दिखाया गया है। यह हथियार मकान में ही रखा जाता था। पुलिस ने चालान में बताया है कि अभिषेक परिवार से अलग होकर अपने मन मुताबिक जिंदगी जीना चाहता था। उसे घर से पूरा खर्च नहीं मिल रहा था।

पुलिस की जांच अभी भी जारी

अभिषेक का परिवार से प्रॉपर्टी का विवाद था। उसकी रहन सहन को लेकर भी परिवार ऐतराज जताता था। इसके चलते उसने हत्याकांड को अंजाम दिया है। पुलिस ने चालान में उसके करीबी दोस्त का भी जिक्र किया है। इसके अलावा किसी और व्यक्ति के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। जिनका मृतक परिवार से कोई सीधा विवाद रहा हो। हालांकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि पुलिस की जांच अभी खत्म नहीं हुई है। पुलिस को जांच के दौरान कुछ महत्वपूर्ण मिला तो उसका सप्लीमेंट्री चालान कोर्ट में दोबारा पेश किया जा सकता है।

पुलिस ने चार्जशीट की कानूनी सलाहकारों से करवाई स्टडी

पुलिस ने शुरुआत में अभिषेक के दोस्त को भी आरोपी बताया था। जिससे कई दिनों तक पूछताछ की गई, लेकिन उसे आरोपी मानते हुए गिरफ्तारी नहीं की गई। पुलिस बार-बार कहती रही कि वह रोहतक में होटल में जरूर रुका था, लेकिन उसे कुछ नहीं पता था। अभिषेक वारदात के बाद होटल गया तो उसके दोस्त को कुछ शक हुआ था। फिर वह हत्याकांड का पता लगने पर अभिषेक के साथ उसके मकान पर भी आया था। पुलिस ने चार्जशीट की कानूनी सलाहकारों से स्टडी भी करवाई है।

पुलिस ने चालान में होटल की फुटेज और विजय नगर के कैमरों की फुटेज का भी जिक्र किया है। मकान से बाहर जाते हुए और वापस आते हुए केवल अभिषेक ही दिखाई दिया था, जिसके बाद उस पर शक बढ़ता चला गया था। कानून के अनुसार, किसी भी आपराधिक मामले में चालान संबंधित अदालत में 90 दिनों के अंदर-अंदर दायर करना जरूरी होता है। छोटे आपराधिक मामलों में यह समय सीमा 60 दिन है। यदि तय समय सीमा में पुलिस अपराधी का चालान नहीं पेश करती, तो इसका सीधा फायदा आरोपी को जमानत मिलने के रूप में मिल सकता है।

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