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Information Sought About Criminal Juveniles Who Have Been In Jails For Five Years – पांच वर्षों से जेलों में बंद अपराधी किशोरों के बारे में जानकारी तलब

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नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को पिछले पांच वर्षों में वयस्क जेलों में बंद अपराधी किशोरों के बारे में जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति अनूप जे भंभानी की पीठ ने किशोर न्याय प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए कई निर्देश जारी करते हुए दिल्ली सरकार को छह सप्ताह के भीतर जिला बाल संरक्षण अधिकारियों के सात रिक्त पदों को भरने का भी आदेश दिया है।
पीठ ने सरकार से ये भी पूछा है कि कब और कितने किशोरों को तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेलों में भेजा गया। फिर बाल देखभाल संस्थानों में स्थानांतरित कर दिया गया और साथ ही उनके द्वारा कथित रूप से किए गए अपराधों की भी जानकारी मांगी है।
अदालत ने निर्देश दिया कि प्रत्येक किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) संबंधित अधीक्षक से एक व्यक्तिगत देखभाल योजना और एक अपराधी बच्चे का पुनर्वास कार्ड मांगेगा और हर तीन महीने में एक बार बच्चे की प्रगति की समीक्षा करेगा और जारी करेगा।
पीठ ने कहा कि सभी जेजेबी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे बच्चे के लिए बाद की देखभाल की सिफारिश करने के लिए रिलीज के बाद की योजना, जिसे बच्चे की देखभाल संस्था छोड़ने के कारण दो महीने पहले तैयार किया जाना आवश्यक है, संबंधित के समक्ष रखा गया है।
अदालत ने कहा कि जेजेबी को रिलीज के बाद की योजना की समीक्षा करनी चाहिए और इसके संशोधन, निगरानी और कार्यान्वयन के लिए आवश्यक निर्देश जारी करना चाहिए।
एक अक्तूबर को अदालत ने आदेश दिया था कि सभी मामले, जहां नाबालिगों के खिलाफ कथित तौर पर जेजेबी के समक्ष छोटे-मोटे अपराधों में पूछताछ लंबित है और एक वर्ष से अधिक समय तक अनिर्णायक रहे, उन्हें तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए।
दिल्ली सरकार ने बाद में अदालत को बताया था कि नाबालिगों के खिलाफ कथित छोटे-मोटे अपराधों के 898 मामले, जो लंबित थे और एक साल से अधिक समय से अनिर्णायक थे, जेजेबी के समक्ष बंद कर दिए गए हैं।

नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को पिछले पांच वर्षों में वयस्क जेलों में बंद अपराधी किशोरों के बारे में जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति अनूप जे भंभानी की पीठ ने किशोर न्याय प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए कई निर्देश जारी करते हुए दिल्ली सरकार को छह सप्ताह के भीतर जिला बाल संरक्षण अधिकारियों के सात रिक्त पदों को भरने का भी आदेश दिया है।

पीठ ने सरकार से ये भी पूछा है कि कब और कितने किशोरों को तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेलों में भेजा गया। फिर बाल देखभाल संस्थानों में स्थानांतरित कर दिया गया और साथ ही उनके द्वारा कथित रूप से किए गए अपराधों की भी जानकारी मांगी है।

अदालत ने निर्देश दिया कि प्रत्येक किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) संबंधित अधीक्षक से एक व्यक्तिगत देखभाल योजना और एक अपराधी बच्चे का पुनर्वास कार्ड मांगेगा और हर तीन महीने में एक बार बच्चे की प्रगति की समीक्षा करेगा और जारी करेगा।

पीठ ने कहा कि सभी जेजेबी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे बच्चे के लिए बाद की देखभाल की सिफारिश करने के लिए रिलीज के बाद की योजना, जिसे बच्चे की देखभाल संस्था छोड़ने के कारण दो महीने पहले तैयार किया जाना आवश्यक है, संबंधित के समक्ष रखा गया है।

अदालत ने कहा कि जेजेबी को रिलीज के बाद की योजना की समीक्षा करनी चाहिए और इसके संशोधन, निगरानी और कार्यान्वयन के लिए आवश्यक निर्देश जारी करना चाहिए।

एक अक्तूबर को अदालत ने आदेश दिया था कि सभी मामले, जहां नाबालिगों के खिलाफ कथित तौर पर जेजेबी के समक्ष छोटे-मोटे अपराधों में पूछताछ लंबित है और एक वर्ष से अधिक समय तक अनिर्णायक रहे, उन्हें तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए।

दिल्ली सरकार ने बाद में अदालत को बताया था कि नाबालिगों के खिलाफ कथित छोटे-मोटे अपराधों के 898 मामले, जो लंबित थे और एक साल से अधिक समय से अनिर्णायक थे, जेजेबी के समक्ष बंद कर दिए गए हैं।

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