नई दिल्ली7 घंटे पहले
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दिल्ली की एक अदालत ने शाहरुख पठान को दोषी ठहराए जाने के बाद उसे शरण देने के वाले एक व्यक्ति को भी दोषी ठहराया है, जब वह पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान एक पुलिसकर्मी पर कथित रूप से बंदूक तानकर फरार हो गया था। पुलिस के अनुसार, शाहरुख पठान ने कथित तौर पर 24 फरवरी 2020 को दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल दीपक दहिया को मारने के इरादे से उन पर पिस्तौल तान दी थी।
इस घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पठान फरार हो गया था और उसे 3 मार्च, 2020 को उत्तर प्रदेश के शामली जिले के बस स्टैंड से गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। पुलिस ने दावा किया कि पठान ने फरार होने के बाद दोषी कलीम अहमद के शामली स्थित घर में शरण ली थी, जिसकी उनके मोबाइल फोन लोकेशन से पुष्टि होती है। पुलिस के अनुसार, पठान 26-27 फरवरी से 3 मार्च की रात तक अहमद के घर पर रहा। अहमद ने दंगा आरोपी को नया मोबाइल फोन खरीदने में भी मदद की थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) अमिताभ रावत ने 7 दिसंबर को उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 216 (हिरासत से भागे एक अपराधी को शरण देने) के तहत आरोप तय किया थे। न्यायाधीश ने कहा कि कलीम अहमद के वकील की उपस्थिति में उसे हिंदी भाषा में आरोपों के बारे में बताया गया और आरोपी ने स्वेच्छा से अपने खिलाफ लगाए गए आरोप को स्वीकार किया। न्यायाधीश 16 दिसंबर को उसे सजा देने के मुद्दे पर दलीलें सुनेंगे। इस धारा के तहत अधिकतम सजा सात साल तक की जेल और जुर्माना है।
इस बीच, शाहरुख पठान सहित मामले के पांच अन्य आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताया है। पठान के खिलाफ दंगा और हत्या के प्रयास के आरोप तय किए गए हैं। गौरतलब है कि फरवरी 2020 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के समर्थकों और उसके प्रदर्शनकारियों के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं। इस हिंसा के बाद कम से कम 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए।