देशप्रदेश

More than 100 cases were filed against farmers in UP, matter will be raised in SKM meeting on January 15 | UP में किसानों पर दर्ज हुए थे 100 से ज्यादा मुकदमे, 15 जनवरी को SKM की बैठक में उठेगा मुद्दा

गाजियाबाद39 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर एक साल तक किसान आंदाेलन चला। इस दौरान यूपी के किसानों पर तमाम मुकदमे दर्ज हुए थे। - Dainik Bhaskar

दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर एक साल तक किसान आंदाेलन चला। इस दौरान यूपी के किसानों पर तमाम मुकदमे दर्ज हुए थे।

भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने 9 दिंसबर को एक पत्र संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) को भेजा। इसके बिंदु संख्या 2A में साफ लिखा था ‘किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार से संबंधित विभाग, एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघ शासित क्षेत्रों में आंदोलनकारियों और समर्थकों पर बनाए गए आंदोलन संबंधित सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति है। भारत सरकार अन्य राज्यों से अभी अपील करेगी कि इस किसान आंदोलन से संबंधित केसों को वापस लेने की कार्रवाई करें’। इस पत्र को आज पूरे 19 दिन बीत गए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने के लिए अभी सरकारी प्रक्रिया शुरू तक नहीं की गई है। 26 नवंबर 2020 से 15 दिसंबर 2021 तक चले इस आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में किसानों पर सौ से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए थे।

15 दिसंबर 2021 को राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर से घर गए थे।

15 दिसंबर 2021 को राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर से घर गए थे।

भाकियू ने सभी जिलों से मांगी मुकदमों की जानकारी
भारतीय किसान यूनियन के प्रेस प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक कहते हैं, यूपी सरकार ने अभी मुकदमे वापसी की कोई कार्रवाई शुरू नहीं की। हालांकि संगठन ने सभी जिलों को पत्र लिखकर जानकारी देने के लिए कहा है कि उनके यहां इस आंदोलन में कितने किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए थे। मलिक ने बताया, संभवत: मृतक किसानों को मुआवजे की प्रक्रिया मामूली स्तर पर शुरू हुई है। उन्हें खुफिया एजेंसियों द्वारा मृतक किसानों के बारे में जानकारियां इकट्ठा करने की सूचनाएं मिली हैं। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी। इसमें ये रिव्यू किया जाएगा कि सरकार अपने वायदों पर कितना खरी उतरी।
सरकार आचार संहिता से पहले मुकदमे खत्म करे
उत्तर प्रदेश किसान सभा के सचिव कामरेड चंद्रपाल सिंह ने कहा, यदि अभी मुकदमे वापसी नहीं हुए तो ये सिर्फ और सिर्फ किसानों व उनके परिवारों को झेलने होंगे। हमने पूर्व में देखा है कि चुनाव बाद सरकारें सब भूल जाती हैं, जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि सरकार अपने वायदे को भूल रही है। सरकार को चुनाव आचार संहिता लगने से पहले यह मुकदमे खत्म करने की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए।
हरियाणा में मुकदमे वापसी की प्रक्रिया शुरू
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डरों पर 26 नवंबर 2020 से किसान आंदोलन शुरू हुआ था। इसी के साथ उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में सालभर तक आंदोलन चलते रहे। इस दौरान विभिन्न जिलों में किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए। भाकियू के युवा अध्यक्ष गौरव टिकैत का कहना है कि हमें मुकदमों की सटीक संख्या तो नहीं पता, लेकिन इनकी संख्या 100 से ज्यादा होगी। 11 दिसंबर 2021 को मोदी सरकार ने जब किसानों की सारी बातें मानी तो उसमें मुकदमे वापसी भी थी। हरियाणा में मुकदमे वापसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन यूपी में नहीं हो पाई है। इसे लेकर किसानों में नाराजगी देखने को मिल रही है।
15 की बैठक में सरकार के वायदों का रिव्यू होगा
एसकेएम के सदस्य एवं राजस्थान के किसान नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने कहा कि 15 जनवरी को एसकेएम की बैठक होगी। सरकार ने 9 दिसंबर को पत्र भेजकर जो वायदे किए थे, उन पर कितना अमल हुआ, इसका रिव्यू किया जाएगा। हिम्मत सिंह ने साफ तौर पर कहा कि हमारा यह आंदोलन स्थगित हुआ है, खत्म नहीं।

खबरें और भी हैं…

Source link

Related Articles

Back to top button