अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sun, 12 Dec 2021 06:12 AM IST
सार
विरोध करने वालों का तर्क है कि इससे कोचिंग को मिलेगा बढ़ावा, गरीब तबके से आने वाले छात्रों को परेशानी होगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में स्नातक स्तर के दाखिले प्रवेश परीक्षा से किए जाने की मंजूरी एकेडेमिक काउंसिल ने दी है। काउंसिल से मंजूरी मिलने के बाद शिक्षकों व छात्र संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। इनका मत है कि इससे कोचिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही गरीब तबके से आने वाले छात्रों द्वारा कोचिंग फीस वहन नहीं करने के कारण डीयू में दाखिला नहीं हो पाएगा।
डीयू को प्रवेश परीक्षा का ढांचा तैयार करने के लिए हायर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी से ऋण लेने को भी मजबूर होना पड़ेगा। वहीं, कुछ प्रिंसिपल प्रवेश परीक्षा के फायदे भी बता रहे हैं। प्रवेश परीक्षा से दाखिले के पक्ष में पूर्व डिप्टी डीन स्टूडेंट वेलफेयर और दाखिला विशेषज्ञ प्रो गुरप्रीत सिंह टुटेजा कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि प्रवेश परीक्षा के केवल नुकसान ही होंगे। इसका कुछ फायदा भी होगा। अब तक दाखिले के लिए प्रक्रिया बारहवीं के अंकों पर निर्भरता रहती है।
ऐसे में हाई कटऑफ के कारण कई छात्रों का दाखिला नहीं हो पाता है। ऐसे में तीन घंटे की प्रवेश परीक्षा से पता चल जाएगा किसका दाखिला होगा या नहीं। संभवत: सीटों से अधिक दाखिले होने पर भी लगाम लग सकेगी। प्रवेश परीक्षा के विरोध में एकेडेमिक काउंसिल सदस्य डॉ सुधांशु कुमार ने कहा कि विरोध के बावजूद इसे पास करना गलत है। जो छात्र प्रवेश परीक्षा की फीस नहीं वहन नहीं कर पाएंगे उनको काफी नुकसान होगा। प्रवेश परीक्षा में बारहवीं के अंक शामिल नहीं किए जाएंगे। ऐसे में तीन घंटे की परीक्षा से छात्र का आंकलन कैसे किया जाएगा।
प्रवेश परीक्षा होने से लाभ
- जो छात्र पहले से प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं वह डीयू का यह एंट्रेंस आसानी से निकाल सकेंगे।
- सौ फीसदी तक पहुंच रही कटऑफ के कारण दाखिला ना पा सकने वाले छात्र प्रवेश परीक्षा के कारण दाखिले के योग्य हो सकेंगे।
- दाखिले में बारहवीं के अंकों पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी।
- दाखिले जल्दी निपट जाएंगे, लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा
- आरक्षित वर्ग के दाखिले जल्दी हो सकेंगे
- कॉलेज सीटों से ज्यादा दाखिले होने वाली समस्या से बचेंगे।
प्रवेश परीक्षा से होने वाले नुकसान
- मेडिकल, इंजीनियरिंग, व अन्य प्रवेश परीक्षा की तरह एक नई कोचिंग इंडस्ट्री खड़ी हो जाएगी
- बारहवीं में नंबर लाने के बावजूद गरीब वर्ग के छात्र प्रवेश परीक्षा की कोचिंग के लिए फीस खर्च नहीं कर पाएंगे
- ग्रामीण परिवेश की लड़कियों पर अभिभावक कोचिंग की फीस के लिए पैसे खर्च करने में हिचकेंगे। इससे लड़कियों के दाखिले अनुपात पर असर पड़ेगा।
- तीन घंटे की प्रवेश परीक्षा से छात्रों को परखा जाएगा इससे स्कूल एजुकेशन की अहमियत कम होगी
- डीयू में कई वोकेशनल कोर्स भी हैं। इन पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश देने के लिए इस एंट्रेंस टेस्ट को कैसे डिजाइन किया जाएगा इस पर स्पष्टता नहीं है।
विस्तार
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में स्नातक स्तर के दाखिले प्रवेश परीक्षा से किए जाने की मंजूरी एकेडेमिक काउंसिल ने दी है। काउंसिल से मंजूरी मिलने के बाद शिक्षकों व छात्र संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। इनका मत है कि इससे कोचिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही गरीब तबके से आने वाले छात्रों द्वारा कोचिंग फीस वहन नहीं करने के कारण डीयू में दाखिला नहीं हो पाएगा।
डीयू को प्रवेश परीक्षा का ढांचा तैयार करने के लिए हायर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी से ऋण लेने को भी मजबूर होना पड़ेगा। वहीं, कुछ प्रिंसिपल प्रवेश परीक्षा के फायदे भी बता रहे हैं। प्रवेश परीक्षा से दाखिले के पक्ष में पूर्व डिप्टी डीन स्टूडेंट वेलफेयर और दाखिला विशेषज्ञ प्रो गुरप्रीत सिंह टुटेजा कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि प्रवेश परीक्षा के केवल नुकसान ही होंगे। इसका कुछ फायदा भी होगा। अब तक दाखिले के लिए प्रक्रिया बारहवीं के अंकों पर निर्भरता रहती है।
ऐसे में हाई कटऑफ के कारण कई छात्रों का दाखिला नहीं हो पाता है। ऐसे में तीन घंटे की प्रवेश परीक्षा से पता चल जाएगा किसका दाखिला होगा या नहीं। संभवत: सीटों से अधिक दाखिले होने पर भी लगाम लग सकेगी। प्रवेश परीक्षा के विरोध में एकेडेमिक काउंसिल सदस्य डॉ सुधांशु कुमार ने कहा कि विरोध के बावजूद इसे पास करना गलत है। जो छात्र प्रवेश परीक्षा की फीस नहीं वहन नहीं कर पाएंगे उनको काफी नुकसान होगा। प्रवेश परीक्षा में बारहवीं के अंक शामिल नहीं किए जाएंगे। ऐसे में तीन घंटे की परीक्षा से छात्र का आंकलन कैसे किया जाएगा।
प्रवेश परीक्षा होने से लाभ
- जो छात्र पहले से प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं वह डीयू का यह एंट्रेंस आसानी से निकाल सकेंगे।
- सौ फीसदी तक पहुंच रही कटऑफ के कारण दाखिला ना पा सकने वाले छात्र प्रवेश परीक्षा के कारण दाखिले के योग्य हो सकेंगे।
- दाखिले में बारहवीं के अंकों पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी।
- दाखिले जल्दी निपट जाएंगे, लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा
- आरक्षित वर्ग के दाखिले जल्दी हो सकेंगे
- कॉलेज सीटों से ज्यादा दाखिले होने वाली समस्या से बचेंगे।
प्रवेश परीक्षा से होने वाले नुकसान
- मेडिकल, इंजीनियरिंग, व अन्य प्रवेश परीक्षा की तरह एक नई कोचिंग इंडस्ट्री खड़ी हो जाएगी
- बारहवीं में नंबर लाने के बावजूद गरीब वर्ग के छात्र प्रवेश परीक्षा की कोचिंग के लिए फीस खर्च नहीं कर पाएंगे
- ग्रामीण परिवेश की लड़कियों पर अभिभावक कोचिंग की फीस के लिए पैसे खर्च करने में हिचकेंगे। इससे लड़कियों के दाखिले अनुपात पर असर पड़ेगा।
- तीन घंटे की प्रवेश परीक्षा से छात्रों को परखा जाएगा इससे स्कूल एजुकेशन की अहमियत कम होगी
- डीयू में कई वोकेशनल कोर्स भी हैं। इन पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश देने के लिए इस एंट्रेंस टेस्ट को कैसे डिजाइन किया जाएगा इस पर स्पष्टता नहीं है।
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