सार
चंद्रनगर निवासियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब। एक अन्य मामले में लाउंज और बार के मालिक की याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा।
कोर्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर।)
– फोटो : iStock
उच्च न्यायालय ने बुधवार को दो स्थानीय निवासियों की याचिका पर दिल्ली सरकार, आबकारी आयुक्त और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) आयुक्त से जवाब मांगा है। याचिका में उन्होंने अपने इलाके में एक शराब की दुकान खोलने को चुनौती दी है।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने पूर्वी दिल्ली के चंद्रनगर निवासियों की जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार, आबकारी आयुक्त और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) आयुक्त को नोटिस जारी किया है। इन सभी को 27 जनवरी से पहले अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि जब से इलाके में रहने वाले लोगों को पास में शराब की एक दुकान खोलने के बारे में पता चला है, वे अपने बच्चों के भविष्य के साथ ही कानून व्यवस्था की स्थिति और इलाके को लेकर चिंतित हैं। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उपरोक्त शराब की दुकान खोलना दिल्ली आबकारी अधिनियम और नियमों का उल्लंघन करता है क्योंकि यह कानून के अनुसार यह प्रतिबंधित क्षेत्र में है।
याचिका में दावा किया गया है कि प्रस्तावित दुकान ईडीएमसी प्राथमिक स्कूल से केवल 30 मीटर, दो मंदिरों से 60 मीटर और एक सरकारी औषधालय से 50 मीटर की दूरी पर है। याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रस्तावित दुकान मजदूरों की कॉलोनी, केमिस्ट और एक जनरल स्टोर के 100 मीटर के दायरे में है।
याचिका में कहा गया है दिल्ली सरकार के मानदंडों के अनुसार, शराब की दुकान स्कूल, मंदिर आदि के 50-100 मीटर के दायरे में नहीं हो सकती। उन्होंने कहा दुकान परिसर के निकट गाड़ियां खड़ी करने के लिये पर्याप्त जगह नहीं है जिसकी वजह से वहां यातायात की समस्या पैदा होगी।
उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक लाउंज और बार के मालिक की याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। याची ने आरोप लगाया है कि अदालत द्वारा हाल ही में हर्बल हुक्का परोसने की मंजूरी के बावजूद पुलिस उनके व्यवसाय में हस्तक्षेप कर रही है, उन्हें हस्तक्षेप से रोका जाए।
न्यायमूर्ति यशवंत वरमला के समक्ष याचिकाकर्ता दिल्ली लाउंज और बार प्राइवेट लिमिटेड ने एक कहा कि वे मानदंडों का पालन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि हर्बल हुक्का में तंबाकू या निकोटीन नहीं होगा। याचिका में कहा गया है कि अधिकारी उसे हर्बल हुक्का परोसने की अनुमति नहीं दे रहे हैं जिसकी अनुमति उसके 16 नवंबर के आदेश में दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने 16 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी में रेस्तरां और पब में हर्बल हुक्का के उपयोग की अनुमति दी थी। दायर याचिकाओं पर अंतरिम आदेश जारी कर रेस्टोरेंट में हर्बल हुक्का की मंजूरी प्रदान करते हुए कहा था कि आजीविका के आधार पर कोविड के चलते असीमित अवधि तक रोक नहीं लगाई जा सकती।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी कहा कि लाउंज प्रबंधन को यह शपथपत्र देने के लिए कहा जाए कि वे हर्बल में तंबाकू या निकोटीन नहीं परोसेंगे।
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह 16 नवंबर के आदेश के संदर्भ में अदालत के समक्ष एक अंडरटेकिंग दाखिल कर रहा है कि वे केवल कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए डिस्पोजेबल पाइप के उपयोग के साथ स्वाद वाले हुक्का परोसेंगे।
अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए नौ फरवरी तय की है। हाईकोर्ट ने 16 नवंबर के आदेश में कहा था कि महामारी के कारण लगाए गए प्रतिबंध हमेशा के लिए नहीं चल सकते हैं और कहा कि अधिकारियों ने पहले ही सिनेमा हॉल और स्विमिंग पूल को पूरी क्षमता से काम करने की अनुमति दे दी है।
अदालत ने स्पष्ट किया था कि वह अंतरिम राहत के रूप में अनुमति दे रही है और यह याचिकाकर्ताओं द्वारा यह वचन देने के अधीन है कि वे हर्बल हुक्का परोसते समय कोविड नियमों का सख्ती से पालन करेंगे।
अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा था कि अगर अन्य रेस्तरां और बार कोविड प्रोटोकॉल के अनुपालन में हर्बल हुक्का परोसने की अनुमति के लिए उससे संपर्क करते हैं तो वह उनके मामले पर विचार कर मंजूरी दे।
विस्तार
उच्च न्यायालय ने बुधवार को दो स्थानीय निवासियों की याचिका पर दिल्ली सरकार, आबकारी आयुक्त और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) आयुक्त से जवाब मांगा है। याचिका में उन्होंने अपने इलाके में एक शराब की दुकान खोलने को चुनौती दी है।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने पूर्वी दिल्ली के चंद्रनगर निवासियों की जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार, आबकारी आयुक्त और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) आयुक्त को नोटिस जारी किया है। इन सभी को 27 जनवरी से पहले अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि जब से इलाके में रहने वाले लोगों को पास में शराब की एक दुकान खोलने के बारे में पता चला है, वे अपने बच्चों के भविष्य के साथ ही कानून व्यवस्था की स्थिति और इलाके को लेकर चिंतित हैं। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उपरोक्त शराब की दुकान खोलना दिल्ली आबकारी अधिनियम और नियमों का उल्लंघन करता है क्योंकि यह कानून के अनुसार यह प्रतिबंधित क्षेत्र में है।
याचिका में दावा किया गया है कि प्रस्तावित दुकान ईडीएमसी प्राथमिक स्कूल से केवल 30 मीटर, दो मंदिरों से 60 मीटर और एक सरकारी औषधालय से 50 मीटर की दूरी पर है। याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रस्तावित दुकान मजदूरों की कॉलोनी, केमिस्ट और एक जनरल स्टोर के 100 मीटर के दायरे में है।
याचिका में कहा गया है दिल्ली सरकार के मानदंडों के अनुसार, शराब की दुकान स्कूल, मंदिर आदि के 50-100 मीटर के दायरे में नहीं हो सकती। उन्होंने कहा दुकान परिसर के निकट गाड़ियां खड़ी करने के लिये पर्याप्त जगह नहीं है जिसकी वजह से वहां यातायात की समस्या पैदा होगी।
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