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Speaker Of Delhi Assembly Ram Nivas Goyal Will Boycott Pm Modi Two-day Program Centenary Celebrations Of Public Accounts Committee Of Parliament – दिल्ली: पीएम मोदी के दो दिवसीय कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल, जीएनसीटीडी है असली वजह

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: सुशील कुमार
Updated Fri, 03 Dec 2021 09:47 PM IST

सार

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उनके साथ-साथ दिल्ली विधानसभा की लोक लेखा समिति की अध्यक्ष आतिशी पीएसी के दो दिवसीय कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे।

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दिल्ली विधानसभा राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (जीएनसीटीडी) अधिनियम में संशोधनों के विरोध में शनिवार और रविवार को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के शताब्दी समारोह का बहिष्कार करेगी। इस तरह समिति के शताब्दी समारोह में दिल्ली विधानसभा का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने जीएनसीटीडी एक्ट में संशोधन को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है। राज्य विधानसभाओं में लोक लेखा समितियों के अध्यक्षों और विधानसभा अध्यक्षों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। समारोह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे।

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उनके साथ-साथ दिल्ली विधानसभा की लोक लेखा समिति की अध्यक्ष आतिशी पीएसी के दो दिवसीय कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। इसके पीछे उन्होंने केंद्र की ओर से दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम में संशोधन करके दिल्ली विधानसभा समितियों की शक्तियों को ‘प्रभावित’ करने की कोशिश का हवाला दिया।
 
उन्होंने कहा कि हमने इस मामले पर कई प्लेटफार्मों के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी पत्र लिखा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसलिए अब संशोधनों का विरोध करने के लिए हमने शनिवार और रविवार को संसद की पीएसी के शताब्दी समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा की समितियां पारदर्शिता स्थापित करने और सरकार एवं उसके विभागों के कार्यों पर नजर रखने में अहम भूमिका निभाती है, लेकिन जीएनसीटीडी अधिनियम में संशोधन के माध्यम से केंद्र सरकार ने विधानसभा समितियों की ये शक्तियां छीन ली हैं।

संसद में मार्च माह के दौरान पारित संशोधित जीएनसीटीडी अधिनियम स्पष्ट करता है कि दिल्ली में ‘सरकार’ का अर्थ ‘उपराज्यपाल’ है। अधिनियम दिल्ली सरकार के लिए किसी भी कार्यकारी कार्रवाई से पहले उपराज्यपाल की राय लेना अनिवार्य बनाता है। यह विधानसभा को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के मामलों पर विचार करने और प्रशासनिक निर्णयों से संबंधित किसी भी जांच का संचालन करने के लिए स्वयं या उसकी समितियों को सक्षम करने के लिए कोई नियम बनाने से भी रोकता है।

विस्तार

दिल्ली विधानसभा राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (जीएनसीटीडी) अधिनियम में संशोधनों के विरोध में शनिवार और रविवार को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के शताब्दी समारोह का बहिष्कार करेगी। इस तरह समिति के शताब्दी समारोह में दिल्ली विधानसभा का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने जीएनसीटीडी एक्ट में संशोधन को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है। राज्य विधानसभाओं में लोक लेखा समितियों के अध्यक्षों और विधानसभा अध्यक्षों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। समारोह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे।

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उनके साथ-साथ दिल्ली विधानसभा की लोक लेखा समिति की अध्यक्ष आतिशी पीएसी के दो दिवसीय कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। इसके पीछे उन्होंने केंद्र की ओर से दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम में संशोधन करके दिल्ली विधानसभा समितियों की शक्तियों को ‘प्रभावित’ करने की कोशिश का हवाला दिया।

 

उन्होंने कहा कि हमने इस मामले पर कई प्लेटफार्मों के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी पत्र लिखा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसलिए अब संशोधनों का विरोध करने के लिए हमने शनिवार और रविवार को संसद की पीएसी के शताब्दी समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा की समितियां पारदर्शिता स्थापित करने और सरकार एवं उसके विभागों के कार्यों पर नजर रखने में अहम भूमिका निभाती है, लेकिन जीएनसीटीडी अधिनियम में संशोधन के माध्यम से केंद्र सरकार ने विधानसभा समितियों की ये शक्तियां छीन ली हैं।

संसद में मार्च माह के दौरान पारित संशोधित जीएनसीटीडी अधिनियम स्पष्ट करता है कि दिल्ली में ‘सरकार’ का अर्थ ‘उपराज्यपाल’ है। अधिनियम दिल्ली सरकार के लिए किसी भी कार्यकारी कार्रवाई से पहले उपराज्यपाल की राय लेना अनिवार्य बनाता है। यह विधानसभा को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के मामलों पर विचार करने और प्रशासनिक निर्णयों से संबंधित किसी भी जांच का संचालन करने के लिए स्वयं या उसकी समितियों को सक्षम करने के लिए कोई नियम बनाने से भी रोकता है।

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