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Greater Noida Escon Infra News : “एस्कॉन इंफ्रा रियल्टर्स ने मुकदमा वापस लिया, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के हाथ खुले, बिरौंडी गांव की अवैध सोसायटी पर कार्रवाई की उम्मीद”, अदालती आदेश का उल्लंघन, बिल्डर की नीयत पर सवाल

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लिए अब अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है। एस्कॉन इंफ्रा रियल्टर्स बिल्डर द्वारा बिरौंडी गांव में अवैध रूप से बनाई जा रही आवासीय सोसायटी के खिलाफ दायर मुकदमे को वापस लेने के बाद स्थिति बदल गई है। बिल्डर ने मार्च 2024 में अदालत से यथास्थिति बनाए रखने का आदेश हासिल किया था, जो अब मुकदमा वापस लेने के बाद स्वतः समाप्त हो गया है।


मुकदमा वापस लेने का कारण और प्रभाव

मुकदमे का विवरण:
बिल्डर ने सिविल जज (वरिष्ठ संवर्ग) मयंक त्रिपाठी की अदालत में सिविल वाद संख्या 329/2024 दायर किया था।

6 मार्च 2024 को अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। आदेश का प्रभाव केवल प्राधिकरण पर था, लेकिन बिल्डर ने इसका फायदा उठाते हुए निर्माण कार्य जारी रखा।

लोक अदालत में निर्णय:
हाल ही में हुई लोक अदालत में बिल्डर ने मुकदमे को वापस लेने का फैसला किया। मुकदमा वापस लेने के साथ, यथास्थिति का आदेश स्वतः निरस्त हो गया।

अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पास इस अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।


क्या है बिरौंडी गांव का मामला?

अवैध निर्माण का क्षेत्र:
बिरौंडी गांव के खसरा नंबर 167क और 168 पर कुल 6237.54 वर्गमीटर भूमि पर बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है।

बिना अनुमति निर्माण:
बिल्डर एस्कॉन इंफ्रा रियल्टर्स ने इस भूमि पर सोसायटी के निर्माण के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से कोई अनुमति नहीं ली है।

स्थान:
यह अवैध सोसायटी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण मुख्यालय के ठीक सामने सेक्टर में बनाई जा रही है, जिससे इसकी स्थिति और गंभीर हो जाती है।


अदालती आदेश का उल्लंघन

प्राधिकरण ने इस अवैध निर्माण पर रोक लगाने के लिए पहले ही अदालत का दरवाजा खटखटाया था। बिल्डर ने यथास्थिति के आदेश के बावजूद निर्माण कार्य जारी रखा।

प्राधिकरण ने इसे अदालत की अवमानना मानते हुए कार्रवाई की मांग की थी।

रफ़्तार टुडे की न्यूज़

क्या करेगा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण?

मुकदमा वापस लेने के बाद, प्राधिकरण अब इस अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है।

संभावित कदम: अवैध निर्माण को ध्वस्त करना।

बिल्डर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना।

प्राधिकरण की चुनौतियां: निर्माण स्थल पर मौजूद संरचनाओं को हटाने के लिए प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रिया को पूरा करना।

भविष्य में इस तरह के अवैध निर्माणों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाना।


बिल्डर की नीयत पर सवाल

बिल्डर ने यथास्थिति के आदेश का दुरुपयोग करते हुए निर्माण कार्य जारी रखा।

बिना अनुमति के निर्माण:
ग्रेटर नोएडा जैसे तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र में ऐसे अवैध निर्माण प्राधिकरण की साख पर सवाल खड़ा करते हैं।

कानूनी प्रक्रिया की धज्जियां:
प्राधिकरण द्वारा दी गई अनुमति के बिना निर्माण करना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी गंभीर समस्या है।


स्थानीय लोगों की राय और उम्मीदें

बिरौंडी गांव और आसपास के निवासी इस मामले में प्राधिकरण से सख्त कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

स्थानीय निवासियों की चिंता: अवैध निर्माण से क्षेत्र का नियोजित विकास बाधित हो रहा है।

ऐसे निर्माणों से बुनियादी सुविधाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

प्राधिकरण से मांग: अवैध निर्माण को तुरंत रोका जाए।

क्षेत्र में भविष्य में इस तरह की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाए।


क्या कहता है कानून?

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित और अधिग्रहित क्षेत्र में बिना अनुमति के कोई भी निर्माण अवैध माना जाता है।

प्राधिकरण का अधिकार:

ऐसे निर्माणों को ध्वस्त करने का अधिकार।

दोषी बिल्डरों पर जुर्माना लगाना और कानूनी कार्रवाई करना।


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