Sharda University News : "शारदा विश्वविद्यालय की नशा मुक्ति रैली, युवा कैडेटों ने उठाया समाज को जागरूक करने का जिम्मा", नशे के खिलाफ युवाओं की हुंकार”
शारदा विश्वविद्यालय के पीआर डायरेक्टर डॉ. अजीत कुमार ने कहा नशा सिर्फ उस व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे परिवार और समाज को प्रभावित करता है। यह एक ऐसी बुराई है, जो युवाओं को अपराध की ओर धकेल सकती है।"

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय ने एक बार फिर सामाजिक चेतना की मिसाल पेश करते हुए नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया। विश्वविद्यालय के एनसीसी 31 यूपी गर्ल्स बटालियन और छात्र कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में नशा मुक्ति रैली का आयोजन किया गया, जिसमें छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
रैली की शुरुआत परिसर से हुई और विद्यार्थियों ने हाथों में बैनर, पोस्टर और नारे लिखी तख्तियां लेकर नशे के खिलाफ जोरदार संदेश दिया। छात्राओं ने विश्वविद्यालय परिसर और आसपास के क्षेत्रों में मार्च करते हुए आम लोगों और साथियों को नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव के बारे में बताया और उन्हें इस सामाजिक बुराई के विरुद्ध एकजुट होने का आह्वान किया।
“नशे के खिलाफ युवाओं की हुंकार”
कार्यक्रम की मुख्य संयोजक और विश्वविद्यालय की एसोसिएट एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट डॉ. यशोधरा राज ने कहा,
“युवा कैडेटों को इस तरह की सामाजिक गतिविधियों से जोड़ना बेहद आवश्यक है। हमारा लक्ष्य उन्हें न केवल शैक्षणिक रूप से, बल्कि सामाजिक रूप से भी जागरूक और जिम्मेदार बनाना है।”
उन्होंने कहा कि इस रैली का उद्देश्य युवाओं में नशे के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दुष्प्रभावों के बारे में गहरी समझ विकसित करना और उनमें नागरिक जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करना है।
“नशा सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, पूरे समाज को प्रभावित करता है” – डॉ. अजीत कुमार
शारदा विश्वविद्यालय के पीआर डायरेक्टर डॉ. अजीत कुमार ने कहा,
“नशा सिर्फ उस व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे परिवार और समाज को प्रभावित करता है। यह एक ऐसी बुराई है, जो युवाओं को अपराध की ओर धकेल सकती है।”
उन्होंने बताया कि अभियान का उद्देश्य युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाना है ताकि वे किसी भी प्रकार की नशे की आदत से दूर रहें और यदि कोई नशे के दलदल में फंस गया हो, तो समाज उसका साथ देकर उसे बाहर निकाले। डॉ. कुमार ने कहा,
“जब तक समाज मिलकर कदम नहीं उठाएगा, तब तक नशा मुक्त भारत का सपना अधूरा रहेगा।”

रैली के प्रमुख संदेश:
“नशा नहीं, ज्ञान हमारा नारा”
“Say NO to Drugs, Say YES to Life”
“Youth Against Drugs”
“स्वस्थ युवा – सशक्त भारत”
जनजागरूकता के साथ छात्रों में आत्मबल का संचार
रैली के दौरान छात्राओं ने जनसंपर्क के माध्यम से लोगों से संवाद किया, पंपलेट्स बांटे और उन्हें बताया कि कैसे नशा सिर्फ एक लत नहीं बल्कि एक धीमा ज़हर है, जो जीवन को बर्बादी की ओर ले जाता है। विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि ऐसी पहलें छात्रों को आत्म-विश्वास, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक ज़िम्मेदारी के गुणों से लैस करती हैं।
निष्कर्ष:
शारदा विश्वविद्यालय की यह पहल न केवल नशे के खिलाफ एक सामाजिक संदेश है, बल्कि यह बताती है कि देश का भविष्य कहे जाने वाले युवा अब खुद समाज सुधार की कमान संभालने को तैयार हैं। अगर यही रफ्तार बनी रही, तो भारत में नशा मुक्त समाज की परिकल्पना जल्द ही साकार हो सकती है।
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