Greater Noida Authority News : रोजा याकूबपुर में लीज बैक के 57 प्रकरणों पर हुई सुनवाई, किसानों से लिए गए दस्तावेज और साक्ष्यग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की आबादी व्यवस्थापन समिति कर रही है मामलों का निस्तारण, 24 मार्च से शुरू हुई प्रक्रिया

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा में किसानों के लीज बैक से जुड़े मामलों के निस्तारण की प्रक्रिया अब गति पकड़ चुकी है। शुक्रवार को रोजा याकूबपुर गांव के 57 लीज बैक प्रकरणों पर सुनवाई की गई, जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारीगण ने किसानों से संबंधित दस्तावेज और साक्ष्य प्राप्त किए।
इस सुनवाई में एसीईओ सुनील कुमार सिंह, ओएसडी गिरीश कुमार झा, और ओएसडी राम नयन सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। अधिकारियों ने हर एक प्रकरण की बारीकी से जांच की और संबंधित किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को समझा।
24 मार्च से चल रही है सुनवाई प्रक्रिया
एसीईओ सुनील कुमार सिंह ने बताया कि किसानों से जुड़े लीज बैक मामलों को सुलझाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा विशेष आबादी व्यवस्थापन समिति का गठन किया गया है। यह समिति 24 मार्च 2025 से सुनवाई कर रही है और हर गांव की सुनवाई निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार की जा रही है।
उन्होंने कहा कि,
“हमारा प्रयास है कि अधिकतम किसानों को उनका हक समय पर मिल सके। सुनवाई पारदर्शी और नियमों के तहत की जा रही है, जिससे किसी को अन्याय न हो।”
किसानों से मिले साक्ष्य होंगे निर्णायक
ओएसडी भूलेख गिरीश कुमार झा ने बताया कि जिन किसानों के लीज बैक प्रकरण विचाराधीन हैं, उनसे जरूरी दस्तावेज, राजस्व रिकॉर्ड और अन्य साक्ष्य मांगे गए हैं। ये साक्ष्य फैसले की प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
उन्होंने कहा,
“किसानों की मांगों को गंभीरता से लिया जा रहा है और हर गांव की सुनवाई निर्धारित शेड्यूल के अनुसार की जा रही है। हमारा उद्देश्य है कि सभी मामलों को जल्द से जल्द निस्तारित किया जाए।”

किसानों ने जताया भरोसा, जताई उम्मीदें
सुनवाई में उपस्थित किसानों ने प्राधिकरण के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि अब उन्हें उम्मीद है कि वर्षों से लंबित उनके प्रकरणों का निष्पक्ष समाधान निकलेगा। किसानों ने अधिकारियों के साथ सहयोग करते हुए अपने दस्तावेज प्रस्तुत किए और प्रक्रिया में विश्वास जताया।
क्या है लीज बैक प्रकरण?
लीज बैक प्रकरण वे होते हैं जिनमें भूमि अधिग्रहण के समय किसानों को पुनः भूमि पर आवास या व्यवसायिक गतिविधियों के लिए अधिकार दिए जाते हैं। इन मामलों में अक्सर दस्तावेज, दावे और स्वामित्व से जुड़े मुद्दे होते हैं जिन्हें प्राधिकरण की समिति तय मानकों के आधार पर निस्तारित करती है।
आगे की कार्रवाई
प्राधिकरण के अनुसार, रोजा याकूबपुर के बाद अन्य ग्रामों की सुनवाई भी तय शेड्यूल के अनुसार होगी। सभी प्रकरणों की निष्पक्षता से जांच कर निर्णय लिया जाएगा और समिति की सिफारिशों के आधार पर अंतिम आदेश जारी किए जाएंगे।

रफ्तार टुडे की विशेष टिप्पणी
रफ्तार टुडे का मानना है कि इस तरह की सुनवाई और पारदर्शी प्रक्रिया किसानों और प्राधिकरण के बीच विश्वास को मजबूत करती हैं। यह कदम ग्रामीण क्षेत्र के विकास और किसानों की संतुष्टि के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
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