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भाग्य के धनी हैं नोएडा के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा,त्रिपुरा की जीत डॉक्टर महेश शर्मा के लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नही देखते है

त्रिपुरा, रफ्तार टुडे। वैसे डॉक्टर महेश शर्मा भाग्य के बहुत धनी हैं 2009 मे गौतमबुद्धनगर की राजनीति मे कदम रखते ही उन्होंने बसपा का सूपड़ा पूरे जिले से साफ कर दिया और 2012 के विधान सभा चुनाव मे नौएडा विधान सभा से रिकार्ड मतों से जीतकर विधायक बने फिर तो पीछे मुड़कर देखा ही नही 2014 के लोकसभा चुनाव मे ऐतिहासिक मतों से जीत और फिर केन्द्र सरकार मे तीन महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री बने।

2019 मे रिकोर्ड तोड विजय प्राप्त की लेकिन इस बार उनकी किस्मत धोखा दे गई और मोदी जी ने उन्हे इस बार सरकार मे कोई पद नही दिया लेकिन सरकार के अंतिम वर्षो मे संगठन मे त्रिपुरा का प्रभारी बना कर महत्व दिया है इस लिए त्रिपुरा की जीत डॉक्टर महेश शर्मा के लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नही देखते है डॉक्टर महेश शर्मा के भाग्य मे क्या लिखा है।

त्रिपुरा में 16 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। इस चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी हर हाल में पुन: सत्ता पर काबिज होने के लिए हर हथकंडा अपनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी व कांग्रेस के संयुक्त गठबंधन ने भी पूरी ताकत झोंक दी है।

जहां भाजपा के लिए ये चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। वहीं त्रिपुरा में भाजपा के प्रभारी व नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। सब जानते हैं कि वर्ष-2014 में पहली बार गौतमबुद्घनगर से लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद डा. महेश शर्मा को नागरिक उड्डयन, संस्कृति व पर्यटन जैसे तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों का मंत्री बनाया गया था। जब वर्ष 2019 में वे दूसरी बार और भी अधिक मतों से लोकसभा का चुनाव जीते तो केन्द्र की सरकार में मंत्री बनने से वंचित रह गए। उनके मंत्री न बनने को राजीतिक विश्लेषकों ने अपने-अपने ढंग से विश्लेषित किया था।

इस बीच मंत्रिमंडल के विस्तार में कयास लगाए जा रहे थे कि डा. महेश शर्मा को किसी न किसी मंत्रालय का प्रभार जरूर मिलेगा। लेकिन उनके समर्थकों को लगातार मायूस होना पड़ा।

बताया जाता है केन्द्र सरकार में मंत्री न बन पाने के झटके के बावजूद डा. महेश शर्मा ने अपनी राजनैतिक गतिविधियों को कम नहीं किया। अपने संसदीय क्षेत्र से लेकर संसद तक पार्टी के राष्ट्रीय कार्यक्रमों तक में उनकी सक्रियता किसी से छिपी हुई नहीं है। उनकी सक्रियता से खुश होकर भाजपा हाईकमान ने उन्हें त्रिपुरा के प्रभारी पद की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। प्रभारी बनने के बाद डॉक्टर महेश शर्मा त्रिपुरा में लगातार सांगठनिक बैठकें करके कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाते रहें और उन्हें चुनाव में कूदने के लिए कमर कसने के लिए प्रेरित करते रहे।

उनके प्रभारी बनने के बाद त्रिपुरा में भाजपा के सांगठनिक ढांचे में मजबूती भी आई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि त्रिपुरा में 16 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव मे जहां भाजपा की अग्निपरीक्षा होनी है। वहीं डॉ. महेश शर्मा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस चुनाव के नतीजे डा. महेश शर्मा का राजनैतिक भविष्य तय करेंगे।

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