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Farmers Movement: Memorials To Be Built In Villages In Memory Of Those Who Lost Their Lives – किसान आंदोलन : जान गंवाने वालों की याद में गांवों में बनेंगे स्मारक, यादों के साथ वापसी शुरू

सिंघु बॉर्डर पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे बूटा सिंह शादीपुर, गुरिंदर सिंह के साथ आए ग्रामीणों के लिए 2,400 वर्ग फुट में लगा शामियाना ही उनके लिए आशियाना था। शुक्रवार को दिल्ली की सीमा पर लगे टेंट को गिरा, लेकिन बठिंडा के अपने गांव में आंदोलन की यादें जिंदा रखने के लिए फिर एक ऐसा ही घर बनाएंगे।

सरकार की ओर से तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद दूसरी मांगों पर सहमति के बाद किसान भी शनिवार से दिल्ली की सीमाओं पर अपने घरना स्थल को छोड़ने की तैयारी में जुटे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि लंबे समय तक संघर्ष के प्रतीक बन चुके किसान आंदोलन को ताउम्र नहीं भूल सकते हैं। 

26 नवंबर, 2020 को गुरिंदर सिंह, बूटा सिंह सहित गांव रामन वास के 500 से अधिक किसानों ने सिंघु बॉर्डर पर पहुंचने के बाद सबसे पहले पहले फर्श पर गद्दे बिछाकर रात बिताई। खुले आसमान के तले सोने के कुछ दिन बाद अस्थायी निर्माण किया गया।

इसमें तीन कमरे, एक बैठक के साथ बाथरूम भी तैयार किया गया। इसके निर्माण में बांस और टिन शेड का इस्तेमाल किया गया ताकि बारिश या सर्द रातों में भी उन्हें सोने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े। इस आशियाने के तीन कमरों में हर रात करीब 70-80 प्रदर्शनकारी सोते थे। इस आशियाना के अंदर टेलीविजन, कूलर, गैस स्टोव और एक छोटा फ्रिज भी रखा गया था। मांगे पूरी होने में अगर आंदोलन और लंबा भी चले तो मुश्किलें पेश न आए। न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमसीपी) की कानूनी गारंटी सहित दूसरी मांगे पूरी होने तक किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर अस्थायी घर बनाए थे। दोनों दोस्त अब आंदोलन की यादों को जीवित रखने के लिए अपने गांव में इसी तरह का निर्माण करने की योजना बना रहे हैं। 

स्मारक में आंदोलन की यादें रहेंगी ताउम्र जिंदा

गुरविंदर सिंह ने कहा कि इस आशियाना के निर्माण पर करीब 4.50 लाख रुपये खर्च हुए, मगर अब सभी जरूरी सामान के साथ गांव लौटने की तैयारी है। बूटा सिंह शादीपुर ने कहा कि गांव में इसी तर्ज पर होने वाला निर्माण किसान आंदोलन के दौरान मृत किसानों की याद में स्मारक के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा। आंदोलन के शुरुआती दिनों से उनके साथ बिताए पलों की तस्वीरें भी इस स्मारक में रहेंगी। 

सिंघु से जालंधर शिफ्ट होगा 10 बिस्तर वाला अस्पताल

सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों की सेहत बिगड़ने पर उनकी देखभाल के लिए निर्मित 10 बेड का अस्पताल भी सिंघु से जालंधर के पास शिफ्ट हो जाएगा। बख्शीश सिंह ने बताया कि आंदोलन के दौरान खासतौर पर बुजुर्गों को स्वास्थ्य समस्याएं आ रही थी। इसके लिए लाइफ केयर फाउंडेशन की ओर से किसान मजदूर एकता अस्पताल में 10 बेड लगाए गए। पटियाला के 30 वर्षीय व्यक्ति ने एक स्टूल और चंद दवाओं के साथ अस्प्ताल की नींव रखी, पिछले एक साल में एक लाख से अधिक लोगों ने ओपीडी का दौरा किया। इसमें 50 प्रतिशत से अधिक स्थानीय लोगों ने योगदान दिया। बख्शीश सिंह ने कहा कि इस दौरान दिल की बीमारी के अधिक मामले आ रहे थे, इस दौरान एक लाख से अधिक लोगों ने अस्पताल का दौरा किया। अब लाइफ केयर फाउंडेशन अस्पताल को जालंधर शिफ्ट करने पर किया जा रहा है ताकि स्थानीय लोगों को मुफ्त चिकित्सा मुहैया की जा सके। अस्पताल के एक हिस्से को संग्रहालय का रूप दिया जाएगा। 

20 हजार ईंटों से किसानों की याद में बनेगा गांव में स्मारक 

संयुक्त किसान मोर्चा ने जैसे ही आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया, इसके बाद शनिवार को विजय मार्च के तहत धर वापसी होगी। मोहाली के जरनैल सिंह ने कहा कि 12 गांवों के करीब 500 लोगों के लिए दो अस्थायी ढांचे का निर्माण किया। इसपर करीब चार लाख रुपये खर्च हुए थे।इन्वर्टर बैटरी, एयर कंडीशनर, टेलीविजन के साथ गांव लौटने की तैयारी में हैं। गांव में होने वाले निर्माण के इर्द गिर्द फूल लगाने के साथ ही ट्रैक्टर भी रखे जाएंगे। भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के सरदार गुरमुख सिंह ने मार्च में तीन कमरों का ईंटों और सीमेंट से निर्माण किया।शुक्रवार सुबह से इसे तोड़ने के लिए काम किया जा रहा है। इसके निर्माण पर करीब चार लाख की लागत आई, मगर अब 20 हजार ईंटों से किसानों की याद में स्मारक बनाया जाएगा।

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