ताजातरीनप्रदेश

Fluorosis Found In A Patient Who Took Arthritis Treatment For Years – सालों तक गठिया का इलाज लेने वाले मरीज में मिला फ्लोरोसिस

ख़बर सुनें

नई दिल्ली। जानकारी का अभाव या एक जैसे लक्षणों की वजह से मरीज की बीमारी का पता नहीं चल पाता। ऊपरी तौर पर उसकी समस्याओं को देखते हुए इलाज किया जाता है लेकिन ऐसे कई मामले देखने को मिलते हैं कि सालों उपचार के बाद भी उसे आराम नहीं मिलता। ऐसे मामलों में अनुभव, समझ और चिकित्सीय तौर पर पूरी जांच बहुत जरूरी है।
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने ऐसे ही एक मामले का पता लगाया है जिसमें मरीज खुद को गठिया रोगी मानते हुए सालों से इधर-उधर की दवाओं का सेवन कर रहा था लेकिन उसे दर्द से आराम नहीं मिला। एम्स आने पर डॉक्टर भी उसकी बीमारी को लेकर हैरान थे क्योंकि लक्षण गठिया से काफी मिलते-जुलते थे।
तमाम जांच और अन्य गतिविधियों पर गौर करने के बाद जब डॉक्टरों ने मरीज और उसके परिजनों से बात करनी शुरू की तो पता चला कि ऐसी परेशानी उनके घर के आसपास भी है। इसके बाद डॉक्टरों ने खाने और पीने के पानी का सैंपल लेकर जांच की। तब जाकर डॉक्टरों को पता चला कि पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा इतनी थी कि मरीज की हड्डियों में फ्लोरोसिस की मात्रा काफी हो चुकी थी। उसके दांत पीले पड़ गए थे और उसकी वजह से पूरा शरीर दर्द में था।
अब एक लंबे उपचार के बाद मरीज अपने घर वापस लौट चुका है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को न सिर्फ अपनी दिनचर्या और संतुलन खानपान पर जोर देना चाहिए बल्कि बीमारी के कारणों पर भी ध्यान देना चाहिए। दिल्ली एम्स के रुमेटोलॉजी विभाग के डॉ. रंजन गुप्ता बताते हैं कि मरीज उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर निवासी था जिसकी आयु करीब 32 वर्ष के आसपास थी। उपचार के बाद मरीज और उनके परिजनों को आरओ का पानी पीने के लिए कहा गया है। उस क्षेत्र में पानी काफी गड़बड़ है।
उन्होंने कहा कि जब मरीज को आराम नहीं मिलता है तो वह असाध्य रोग समझकर खुद से ही उपचार करता रहता है। जबकि ऐसे मामलों में सही जांच होना बहुत जरूरी है। फ्लोरोसिस के जमा होने से उनकी हड्डियां कमजोर हो गईं और उनमें कैल्शियम की कमी हो गई थी। इसकी वजह से मरीज को दर्द होता था। सही उपचार के बाद उनका दर्द 50 फीसदी कम हो गया है।
डॉ गुप्ता ने बताया कि फ्लोरोसिस बहुत आम है लेकिन लोगों ने इसे गठिया के रूप में गलत समझा। पीठ दर्द हमेशा गठिया नहीं होता है। दर्द के पीछे अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसलिए मरीजों को समय पर डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए।
क्या होता है फ्लोरोसिस
पीने के पानी में एक एमजी/लिटर से ज्यादा फ्लोराइड का लगातार सेवन करने से फ्लोराइड युक्त पदार्थों का अधिक मात्रा में लगातार सेवन से दांत, हड्डी व अन्य अंगों में विकार होने लगता है जिसे फ्लोरोसिस कहते हैं।

नई दिल्ली। जानकारी का अभाव या एक जैसे लक्षणों की वजह से मरीज की बीमारी का पता नहीं चल पाता। ऊपरी तौर पर उसकी समस्याओं को देखते हुए इलाज किया जाता है लेकिन ऐसे कई मामले देखने को मिलते हैं कि सालों उपचार के बाद भी उसे आराम नहीं मिलता। ऐसे मामलों में अनुभव, समझ और चिकित्सीय तौर पर पूरी जांच बहुत जरूरी है।

नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने ऐसे ही एक मामले का पता लगाया है जिसमें मरीज खुद को गठिया रोगी मानते हुए सालों से इधर-उधर की दवाओं का सेवन कर रहा था लेकिन उसे दर्द से आराम नहीं मिला। एम्स आने पर डॉक्टर भी उसकी बीमारी को लेकर हैरान थे क्योंकि लक्षण गठिया से काफी मिलते-जुलते थे।

तमाम जांच और अन्य गतिविधियों पर गौर करने के बाद जब डॉक्टरों ने मरीज और उसके परिजनों से बात करनी शुरू की तो पता चला कि ऐसी परेशानी उनके घर के आसपास भी है। इसके बाद डॉक्टरों ने खाने और पीने के पानी का सैंपल लेकर जांच की। तब जाकर डॉक्टरों को पता चला कि पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा इतनी थी कि मरीज की हड्डियों में फ्लोरोसिस की मात्रा काफी हो चुकी थी। उसके दांत पीले पड़ गए थे और उसकी वजह से पूरा शरीर दर्द में था।

अब एक लंबे उपचार के बाद मरीज अपने घर वापस लौट चुका है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को न सिर्फ अपनी दिनचर्या और संतुलन खानपान पर जोर देना चाहिए बल्कि बीमारी के कारणों पर भी ध्यान देना चाहिए। दिल्ली एम्स के रुमेटोलॉजी विभाग के डॉ. रंजन गुप्ता बताते हैं कि मरीज उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर निवासी था जिसकी आयु करीब 32 वर्ष के आसपास थी। उपचार के बाद मरीज और उनके परिजनों को आरओ का पानी पीने के लिए कहा गया है। उस क्षेत्र में पानी काफी गड़बड़ है।

उन्होंने कहा कि जब मरीज को आराम नहीं मिलता है तो वह असाध्य रोग समझकर खुद से ही उपचार करता रहता है। जबकि ऐसे मामलों में सही जांच होना बहुत जरूरी है। फ्लोरोसिस के जमा होने से उनकी हड्डियां कमजोर हो गईं और उनमें कैल्शियम की कमी हो गई थी। इसकी वजह से मरीज को दर्द होता था। सही उपचार के बाद उनका दर्द 50 फीसदी कम हो गया है।

डॉ गुप्ता ने बताया कि फ्लोरोसिस बहुत आम है लेकिन लोगों ने इसे गठिया के रूप में गलत समझा। पीठ दर्द हमेशा गठिया नहीं होता है। दर्द के पीछे अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसलिए मरीजों को समय पर डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए।

क्या होता है फ्लोरोसिस

पीने के पानी में एक एमजी/लिटर से ज्यादा फ्लोराइड का लगातार सेवन करने से फ्लोराइड युक्त पदार्थों का अधिक मात्रा में लगातार सेवन से दांत, हड्डी व अन्य अंगों में विकार होने लगता है जिसे फ्लोरोसिस कहते हैं।

Source link

Related Articles

Back to top button