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High Court Asked Delhi Police: How Was It A Crime To Keep Tablighi Jamaatis At Home In Lockdown – हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा : लॉकडाउन में तब्लीगी जमातियों को घर में ठहराना किस तरह था अपराध

एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sat, 13 Nov 2021 06:03 AM IST

सार

शरण देने वाले कई लोगों ने की एफआईआर खारिज करने की मांग।

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हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि अगर लॉकडाउन के दौरान कुछ लोगों ने अपने घरों में विदेशी जमातियों को ठहराया था। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी अधिसूचना के अनुसार किसी के कहीं भी रहने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं था। हाईकोर्ट ने ये सवाल उन लोगों की याचिकाओं पर पूछा जिन पर जमातियों को अपने घरों में ठहराने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थीं। 

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने इस बात पर गौर किया कि विदेशी जमातियों ने कोरोना लॉकडाउन लगने पर लोगों के घरों में शरण ली थी। उन पर लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप नहीं है। जब अचानक लॉकडाउन लगा तो उसके बाद कोई कहां जा सकता था। इसमें किस तरह का अपराध हुआ है। क्या मध्य प्रदेश के लोगों के दिल्ली की किसी मस्जिद, मंदिर या गुरुद्वारे में रुकने पर किसी तरह का प्रतिबंध था। वे जहां चाहे रुक सकते थे। अदालत ने पूछा कि क्या ऐसी कोई आदेश था कि प्रत्येक व्यक्ति अपने साथ रह रहे लोगों को बाहर निकाल देगा। 

न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा मुद्दे की बात ये है, आप बताइए कि जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जाया गया तो उल्लंघन कैसे हुआ। जब लॉकडाउन लगाया गया था तो किसी के कहीं भी रहने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। उन्होंने ये बात इन याचिकाओं पर दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने का समय देते हुए कही। 

अभियोजन पक्ष ने विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट के पूर्व आदेश के अनुरूप जवाब दाखिल किया जाएगा। उस समय किसी भी तरह के धार्मिक आयोजन पर प्रतिबंध लगा हुआ था। 

वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि लॉकडाउन लगने से पहले ही जमाती मरकज में रहने लगे थे। उनमें कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया था। इसके मद्देनजर उनके मुवक्किल पर कोई मामला नहीं बनता। 

पेश याचिकाएं दायर करने वाले कुछ लोग वे हैं जिन्होंने जमातियों को अपने घरों में शरण दी। वहीं कुछ लोग मस्जिदों के प्रबंधक कमेटी के सदस्य या देखभाल करने वाले लोग हैं। इन लोगों ने जमातियों को शरण दी थी क्योंकि वे लोग लॉकडाउन लगने के कारण अपने देशों को नहीं लौट सके थे। 

पुलिस ने इनके खिलाफ सरकारी आदेश के उल्लंघन, कोरोना संक्रमण फैलाने और अन्य धाराओं में मुकदमे दर्ज किए थे। याचिका दायर करने वाले फिरोज और रिजवान ने चार विदेशी महिला जमातियों को शरण दी थी। उनका तक्र है कि लॉकडाउन में उन महिलाओं को शरण दी गई क्योंकि उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी।  

विस्तार

हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि अगर लॉकडाउन के दौरान कुछ लोगों ने अपने घरों में विदेशी जमातियों को ठहराया था। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी अधिसूचना के अनुसार किसी के कहीं भी रहने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं था। हाईकोर्ट ने ये सवाल उन लोगों की याचिकाओं पर पूछा जिन पर जमातियों को अपने घरों में ठहराने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थीं। 

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने इस बात पर गौर किया कि विदेशी जमातियों ने कोरोना लॉकडाउन लगने पर लोगों के घरों में शरण ली थी। उन पर लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप नहीं है। जब अचानक लॉकडाउन लगा तो उसके बाद कोई कहां जा सकता था। इसमें किस तरह का अपराध हुआ है। क्या मध्य प्रदेश के लोगों के दिल्ली की किसी मस्जिद, मंदिर या गुरुद्वारे में रुकने पर किसी तरह का प्रतिबंध था। वे जहां चाहे रुक सकते थे। अदालत ने पूछा कि क्या ऐसी कोई आदेश था कि प्रत्येक व्यक्ति अपने साथ रह रहे लोगों को बाहर निकाल देगा। 

न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा मुद्दे की बात ये है, आप बताइए कि जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जाया गया तो उल्लंघन कैसे हुआ। जब लॉकडाउन लगाया गया था तो किसी के कहीं भी रहने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। उन्होंने ये बात इन याचिकाओं पर दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने का समय देते हुए कही। 

अभियोजन पक्ष ने विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट के पूर्व आदेश के अनुरूप जवाब दाखिल किया जाएगा। उस समय किसी भी तरह के धार्मिक आयोजन पर प्रतिबंध लगा हुआ था। 

वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि लॉकडाउन लगने से पहले ही जमाती मरकज में रहने लगे थे। उनमें कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया था। इसके मद्देनजर उनके मुवक्किल पर कोई मामला नहीं बनता। 

पेश याचिकाएं दायर करने वाले कुछ लोग वे हैं जिन्होंने जमातियों को अपने घरों में शरण दी। वहीं कुछ लोग मस्जिदों के प्रबंधक कमेटी के सदस्य या देखभाल करने वाले लोग हैं। इन लोगों ने जमातियों को शरण दी थी क्योंकि वे लोग लॉकडाउन लगने के कारण अपने देशों को नहीं लौट सके थे। 

पुलिस ने इनके खिलाफ सरकारी आदेश के उल्लंघन, कोरोना संक्रमण फैलाने और अन्य धाराओं में मुकदमे दर्ज किए थे। याचिका दायर करने वाले फिरोज और रिजवान ने चार विदेशी महिला जमातियों को शरण दी थी। उनका तक्र है कि लॉकडाउन में उन महिलाओं को शरण दी गई क्योंकि उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी।  

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