सार
अप्रैल 2020 में दिल्ली पुलिस ने शारजील इमाम पर देशद्रोह का आरोप लगाया, उनके भाषण ने लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया जिसके कारण जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय क्षेत्र में दंगे हुए।
अदालत ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम को जमानत प्रदान कर दी। आरोप है कि उनके भडकाऊ भाषण के कारण दिसंबर 2019 में विश्वविद्यालय के बाहर हिंसा हुई।
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने शरजील की जमानत 25 हजार रुपये के निजी मुचलके व एक अन्य जमानत राशि पर स्वीकार की है। अदालत ने कहा आरोपी को जांच के दौरान मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया और उसे एक अन्य मामले में गिरफ्तार करने के बाद ही इस मामले में गिरफ्तार किया गया।
वर्तमान में मामले की जांच पूरी हो चुकी है। ऐसे में वह जमानत का हकदार है। शरजील के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने 25 जनवरी 2020 को धारा 124 ए (देशद्रोह) और 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर दुश्मनी या दुश्मनी की भावनाओं को बढ़ावा देने या बढ़ावा देने का प्रयास) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
शरजील इमाम को 28 जनवरी 2020 को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। अप्रैल 2020 में, दिल्ली पुलिस ने शारजील इमाम पर देशद्रोह का आरोप लगाया, उनके भाषण ने लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया जिसके कारण जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय क्षेत्र में दंगे हुए।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच में पाया कि शरजील इमाम ने जामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण दिया था। दिल्ली दंगा मामले में उसकी भूमिका का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।
अक्टूबर 2021 में, शरजील इमाम ने अपनी जमानत याचिका में दिल्ली की एक अदालत को बताया कि वह आतंकवादी नहीं है और न ही उसने ऐसा कार्य किया जो देशद्रोह की श्रेणी में आता है।
इमाम के खिलाफ एक और प्राथमिकी 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई हिंसा से संबंधित है, जहां पुलिस छात्रों के साथ भिड़ गई थी और विश्वविद्यालय परिसर में घुस गई थी। तीसरी एफआईआर की जांच दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल कर रही है। इस मामले में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हिंसा और दंगा भड़काने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
27 नवंबर को इमाम को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जनवरी 2019 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए उनके खिलाफ दायर एक अन्य मामले के संबंध में जमानत दी थी।
विस्तार
अदालत ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम को जमानत प्रदान कर दी। आरोप है कि उनके भडकाऊ भाषण के कारण दिसंबर 2019 में विश्वविद्यालय के बाहर हिंसा हुई।
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने शरजील की जमानत 25 हजार रुपये के निजी मुचलके व एक अन्य जमानत राशि पर स्वीकार की है। अदालत ने कहा आरोपी को जांच के दौरान मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया और उसे एक अन्य मामले में गिरफ्तार करने के बाद ही इस मामले में गिरफ्तार किया गया।
वर्तमान में मामले की जांच पूरी हो चुकी है। ऐसे में वह जमानत का हकदार है। शरजील के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने 25 जनवरी 2020 को धारा 124 ए (देशद्रोह) और 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर दुश्मनी या दुश्मनी की भावनाओं को बढ़ावा देने या बढ़ावा देने का प्रयास) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
शरजील इमाम को 28 जनवरी 2020 को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। अप्रैल 2020 में, दिल्ली पुलिस ने शारजील इमाम पर देशद्रोह का आरोप लगाया, उनके भाषण ने लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया जिसके कारण जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय क्षेत्र में दंगे हुए।
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