सार
महीने भर में नशा छोड़कर सामान्य जिंदगी में वापस लौटे युवकों ने बयां की अपनी कहानी।
दो महीने पहले कोई पास भी आ आता था। हर तरफ दुत्कार मिलती थी। लोग गाली देते थे। मुझे नजरों तक में नहीं रखते थे। थक गया था अपनी जिंदगी से। अचानक पुलिस ने पकड़ लिया। सारा कुछ उसके बाद बदल ही गया। अब घर-परिवार में भी प्यार-मोहब्बत मिलती है और पड़ोसी भी हिकारत भरी नजरों से नहीं देखते हैं….
बात खत्म करते-करते इमरान की आवाज भारी हो चली थी। वह आगे कुछ बोल नहीं सका। नशे की दलदल में बुरी तरह फंसा यह युवक अब सामान्य जिंदगी में वापस लौट आया है।
जहांगीरपुरी के इमरान ही नहीं, इसके जैसे दो अन्य युवकों भी जिंदगी एक महीने के भीतर बदल गई है। उत्तर पश्चिम जिला पुलिस ने अभिभावक की भूमिका निभाकर इन लड़कों को नशा-मुक्ति केंद्र भेजा। वहां नियमित तौर पर इनकी निगरानी की गई और आज यह नशा मुक्त होकर अपने काम धंधे कर रहे हैं। मोहल्ले के लोग भी इस बदलाव से खुश हैं।
दरअसल, उत्तर-पश्चिम जिला पुलिस द्वारा चलाए जा रहे %नशा मुक्त भारत अभियान% के तहत करीब एक महीने से विशेष अभियान चलाया है। इसके तहत नशे का धंधा करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के साथ इसकी चंगुल में फंसे लोगों को वापस सामान्य जिंदगी में लाने में की कोशिश भी हो रही है। अभी तक बीस युवकों का नशा मुक्ति केंद्र भेजा है। वहीं, नशे का करोबार करने वाले 30 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की है।
जिला पुलिस उपायुक्त उषा रंगनानी के मुताबिक, दो नवंबर का अभियान शुरू किया गया। इसके तहत नशा करने वालों को नशा-मुक्त कराना और नशे का धंधा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। पुलिस ने जिन करीब 20 युवकों को नशा मुक्ति केंद्र भेजा, उनमें जहांगीरपुरी निवासी इमरान, साहिल और अजहरुद्दीन नामक युवक ने नशे की लत से विजय प्राप्त कर ली। इमरान ने एसी के अलावा सिलाई काम शुरू कर दिया। वहीं, साहिल सब्जी बेचने लगा, दूसरी ओर अजहरुद्दीन अपने पिता के साथ दुकान पर उनका हाथ बंटाने लगा।
उषा रंगनानी ने बताया कि पुलिस का मकसद है कि इन भटके हुए नौजवानों को सही रास्ते पर ले आया जाए। इसके लिए पुलिस लगातार एनजीओ व बाकी संस्थाओं के साथ मिलकर अपने काम में लगी है। नुक्कड़-नाटक, ड्रामा, शार्ट स्टोरी और अन्य कार्यक्रमों से इन युवाओं को जागरुक करने का प्रयास किया जा रहा है।
जागरूकता फैलाने का काम रही पुलिस
पुलिस की परिवर्तन टीम अलग-अलग जगहों पर सेमीनार का आयोजन कर आम लोगों को जागरुक करने का प्रयास कर रही है। कुछ जगहों पर पुलिस ने शार्ट फिल्म दिखाकर लोगों के नशे से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया। इसको कामयाब करने के लिए नशा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है। इसी कड़ी में तीस लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इस तरह करते हैं पहचान
- लोगों से मिलती सूचना
- कुछ जगहें इस तरह के लोगों के लिए हैं पसंदीदा
- कई बार सड़क के किनारे मिलते पड़े
- ड्रग्स रैकेट पकड़े जाने पर मिलत सुराग
- अचानक हो जाते आक्रामक। खुद को भी पहुंचाते नुकसान
इन तरीकों से छुड़वाते हैं नशा
- सबसे पहले नशामुक्ति केंद्र तक पहुंचाया जाता है
- इनकी लगातार होती है काउंसलिंग
- ड्रग्स से दुष्परिणामों पर दिखाई जाती है फिल्म।
- परिवारवालों के साथ जोड़कर भावनात्मक तरीके पर भी होता काम
- डाइट प्लान होता है तैयार, नशा छुड़वाने वाली दवाइयां भी दी जाती हैं
- नशामुक्त हो जाने के बाद रोजगार दिलाने का भी दिया जाता है प्रलोभन
विस्तार
दो महीने पहले कोई पास भी आ आता था। हर तरफ दुत्कार मिलती थी। लोग गाली देते थे। मुझे नजरों तक में नहीं रखते थे। थक गया था अपनी जिंदगी से। अचानक पुलिस ने पकड़ लिया। सारा कुछ उसके बाद बदल ही गया। अब घर-परिवार में भी प्यार-मोहब्बत मिलती है और पड़ोसी भी हिकारत भरी नजरों से नहीं देखते हैं….
बात खत्म करते-करते इमरान की आवाज भारी हो चली थी। वह आगे कुछ बोल नहीं सका। नशे की दलदल में बुरी तरह फंसा यह युवक अब सामान्य जिंदगी में वापस लौट आया है।
जहांगीरपुरी के इमरान ही नहीं, इसके जैसे दो अन्य युवकों भी जिंदगी एक महीने के भीतर बदल गई है। उत्तर पश्चिम जिला पुलिस ने अभिभावक की भूमिका निभाकर इन लड़कों को नशा-मुक्ति केंद्र भेजा। वहां नियमित तौर पर इनकी निगरानी की गई और आज यह नशा मुक्त होकर अपने काम धंधे कर रहे हैं। मोहल्ले के लोग भी इस बदलाव से खुश हैं।
दरअसल, उत्तर-पश्चिम जिला पुलिस द्वारा चलाए जा रहे %नशा मुक्त भारत अभियान% के तहत करीब एक महीने से विशेष अभियान चलाया है। इसके तहत नशे का धंधा करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के साथ इसकी चंगुल में फंसे लोगों को वापस सामान्य जिंदगी में लाने में की कोशिश भी हो रही है। अभी तक बीस युवकों का नशा मुक्ति केंद्र भेजा है। वहीं, नशे का करोबार करने वाले 30 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की है।
जिला पुलिस उपायुक्त उषा रंगनानी के मुताबिक, दो नवंबर का अभियान शुरू किया गया। इसके तहत नशा करने वालों को नशा-मुक्त कराना और नशे का धंधा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। पुलिस ने जिन करीब 20 युवकों को नशा मुक्ति केंद्र भेजा, उनमें जहांगीरपुरी निवासी इमरान, साहिल और अजहरुद्दीन नामक युवक ने नशे की लत से विजय प्राप्त कर ली। इमरान ने एसी के अलावा सिलाई काम शुरू कर दिया। वहीं, साहिल सब्जी बेचने लगा, दूसरी ओर अजहरुद्दीन अपने पिता के साथ दुकान पर उनका हाथ बंटाने लगा।
उषा रंगनानी ने बताया कि पुलिस का मकसद है कि इन भटके हुए नौजवानों को सही रास्ते पर ले आया जाए। इसके लिए पुलिस लगातार एनजीओ व बाकी संस्थाओं के साथ मिलकर अपने काम में लगी है। नुक्कड़-नाटक, ड्रामा, शार्ट स्टोरी और अन्य कार्यक्रमों से इन युवाओं को जागरुक करने का प्रयास किया जा रहा है।
जागरूकता फैलाने का काम रही पुलिस
पुलिस की परिवर्तन टीम अलग-अलग जगहों पर सेमीनार का आयोजन कर आम लोगों को जागरुक करने का प्रयास कर रही है। कुछ जगहों पर पुलिस ने शार्ट फिल्म दिखाकर लोगों के नशे से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया। इसको कामयाब करने के लिए नशा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है। इसी कड़ी में तीस लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इस तरह करते हैं पहचान
- लोगों से मिलती सूचना
- कुछ जगहें इस तरह के लोगों के लिए हैं पसंदीदा
- कई बार सड़क के किनारे मिलते पड़े
- ड्रग्स रैकेट पकड़े जाने पर मिलत सुराग
- अचानक हो जाते आक्रामक। खुद को भी पहुंचाते नुकसान
इन तरीकों से छुड़वाते हैं नशा
- सबसे पहले नशामुक्ति केंद्र तक पहुंचाया जाता है
- इनकी लगातार होती है काउंसलिंग
- ड्रग्स से दुष्परिणामों पर दिखाई जाती है फिल्म।
- परिवारवालों के साथ जोड़कर भावनात्मक तरीके पर भी होता काम
- डाइट प्लान होता है तैयार, नशा छुड़वाने वाली दवाइयां भी दी जाती हैं
- नशामुक्त हो जाने के बाद रोजगार दिलाने का भी दिया जाता है प्रलोभन
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