साइबर सेल के पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि कोरोना के दौरान हुई ठगी में विनोद कुमार नामक शख्स भी ठगी का शिकार हुए थे। इनकी पत्नी कोविड पॉजिटिव थी। उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था। विनोद ने सोशल मीडिया के जरिये सिलिंडर के लिए एक नंबर पर संपर्क किया। इसके बाद आरोपियों के खाते में 25 हजार रुपये डाल दिए। आरोपियों ने पीड़ित के घर पर जल्द ही ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचाने की बात कही। लेकिन सिलिंडर नहीं पहुंचा और विनोद कुमार की पत्नी की मौत हो गई।
पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की। मोबाइल नंबर और बैंक खातों के आधार पर छानबीन के बाद पुलिस ने तीन आरोपियों को बिहार के अलग-अलग जिलों से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उनसे पूछताछ की गई। छानबीन के बाद आरोपियों ने खुलासा किया कि उनका गैंग अलग-अलग मॉड्यूल में काम करता है। इसके बाद पश्चिम बंगाल और बिहार में अलग-अलग छापेमारी कर कुल नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पकड़े गए आरोपियों की पहचान सरिता देवी (36), पिंकी देवी (37), अमित रोशन (27), नीतिश कुमार उर्फ सोनू राम (25), सोनू नंदी (24), सोमेन मंडल (35), उत्पल घोषाल (35), पवन उर्फ प्रवीण कुमार (26) और कमलकांत सिन्हा (31) के रूप में हुई है। मामले में सचिन कुमार अभी फरार है। पुलिस ने उसे भगोड़ा करार दिया हुआ है। पवन और कमलकांत गैंग सरगना हैं। कमल पीएचडी कर रहा है, जबकि कमलकांत एमसीए किए हुए हैं।
अलग-अलग मॉड्यूल में होती थी सभी की जिम्मेदारी
1. पहला मॉड्यूल में गैंग लीडर शामिल थे। ये लोग एक दूसरे से समन्वय बनाकर सोशल मीडिया पर नंबर फैलाते थे। इन नंबरों के साथ ऑक्सीजन सिलिंडर दिलाने का दावा किया जाता था।
2. दूसरे मॉड्यूल में टेलीकॉलर्स होते थे, यह लोग फोन करने वालों को भरोसा देकर उनसे रकम अपने बैंक खातों में डलवाते थे, इसके बाद उन नंबरों को बंद कर दिया जाता था।
3. तीसरे मॉड्यूल में फर्जी पते के आधार पर बैंक खाते खोलने वाले होते थे, रुपये खातों में आते ही उसे निकालकर गैंग सरगनाओं तक पहुंचाते थे। इसके बदले इनको कमीशन मिलता था।
4. चौथे मॉड्यूल में कुछ लोगों को काम बैंक खातों का इंतजाम करवाना होता था। इसके बदले यह लोग ठगी की रकम का दस फीसदी हिस्सा लेते थे।
5. पांचवें मॉड्यूल में गरीब लोग थे, जिनके खाते तो असली थे, लेकिन वह उसके संचालन की जिम्मेदारी आरोपियों को दे देते थे। इसके बदले उनको कमीशन मिलता था।
6. आखिरी मॉड्यूल का काम फर्जी पतों पर सिमकार्ड उपलब्ध करवाने का था। यह मोटी रकम लेकर सिमकार्ड उपलब्ध करवाते थे।