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फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा में 55 वर्षीय मरीज की किडनी से 6 से.मी.टेनिस बॉल के आकार के बराबर कैंसरग्रस्त ट्यूमर को रोबोटिक सर्जरी से सफलतापूर्वक निकाला गया

फोर्टिस अस्पताल के डॉ शैलेंद्र कुमार गोयल, डायरेक्टर – यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी को मात्र 30 मिनट में अंजाम दिया। प्रीवेंटिव हेल्थ चेक अप और शीघ्र डायग्नॉसिस ने मरीज के सफल उपचार में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

नोएडा, रफ़्तार टुडे। फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा के डॉक्टरों ने 55 वर्षीय मरीज के गुर्दे से टेनिस बॉल आकार के 6 से.मी. कैंसरग्रस्त ट्यूमर को रोबोट की मदद से सफलतापूर्वक निकाला। फोर्टिस अस्पताल के डॉ शैलेंद्र कुमार गोयल, डायरेक्टरयूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी को मात्र 30 मिनट में अंजाम दिया। प्रीवेंटिव हेल्थ चेक अप और शीघ्र डायग्नॉसिस ने मरीज के सफल उपचार में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। यह भारतीय मरीज दुबई के रहने वाले हैं जो छुट्टियों में भारत आए थे और इस दौरान उन्होंने प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप कराया।

उनकी अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन रिपोर्टों से पता चला कि उनके दाएं गुर्दे में स्टेज 1 का कैंसरग्रस्त ट्यूमर था, जिसे निकालने के लिए तत्काल सर्जरी की आवश्यकता थी। समय पर सर्जरी नहीं करने पर कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल सकता था और जीवनघाती कंडीशन पैदा हो सकती थी। इसलिए, डॉक्टरों की टीम ने इस मामले में रोबोटिक पार्शियल नेफ्रेक्टॅमी की, इस प्रक्रिया में गुर्दे में से कैंसरग्रस्त ग्रोथ को हटाया गया और साथ ही, हेल्दी पार्ट को सुरक्षित रखा गया। रोबोटिक असिस्टेंस से की जाने वाली इस सर्जरी से अधिकतम सटीकता और कम समय का लाभ डॉक्टरों को मिला। साथ ही, सर्जरी के दौरान कम खून बहा जिसके परिणामस्वरूप मरीज की रिकवरी में कम समय लगा और उन्हें अस्पताल से भी जल्दी छुट्टी मिल गयी।

इस मामले की जानकारी देते हुए, डॉ शैलेंद्र कुमार गोयल, डायेक्टर – यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा ने कहा, “इस मामले में कई रिस्क फैक्टर थे क्योंकि मरीज पहले से ही अन्य कई रोगों से ग्रस्त थे, उनका वज़न 90 किलोग्राम था और वह अनियंत्रित डायबिटीज़ (HBA1C 11.2) से पीड़ित थे तथा उनका क्रिटनाइन लेवल भी अधिक (1.8) था। सर्जरी से पहले, हमने इंसुलिन और अन्य दवाओं की मदद से उनकी डायबिटीज़ को कंट्रोल किया। इसके अलावा, उन्हें डायबिटीज़, हाइपरटेंशन और मोटापे की वजह से ब्लड थिनर्स की रेग्युलर डोज़ भी दी जा रही थी।

इस सर्जरी में रीनल आर्टरी को बांधा गया था ताकि किडनी की ब्लड सप्लाई बंद की जा सके। इस वजह से हमारे पास ट्यूमर को निकालने और किडनी टिश्यूज तथा यूरिनरी ट्रैक्ट को रिपेयर करने के लिए केवल 30 मिनट का ही समय था ताकि यूरीन लीकेज की समस्या पैदा न हो पाए। यदि रीनल आर्टरी को अधिक लंबे समय के लिए बांधा जाता तो मरीज के दूसरे गुर्दे की कार्यप्रणाली इस वजह से प्रभावित हो सकती थी।”मोहित सिंह, ज़ोनल डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने कहा, “यह मामला एक बार फिर इस बात को साबित करता है कि शीघ्र निदान और रेग्युलर हेल्थ चेकअप महत्वपूर्ण होते हैं। यह मामला इसलिए भी चुनौतीपूर्ण था कि मरीज पहले से ही कई रोगों से ग्रस्त थे और उनके पास सर्जरी करवाने का समय भी सीमित था। लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, हमारे डॉक्टरों ने दा विंची रोबोट की मदद से सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया।

क्लीनिकल उत्कृष्टता और अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ टैक्नोलॉजी फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा की प्रमुख खूबी है, और हम मरीजों की जीवनरक्षा तथा श्रेष्ठ क्लीनिकल परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए लगातार कोशिश करते हैं।”

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