राजेश बैरागी, रफ़्तार टुडे। अनंत अंबानी की शादी और जियो फोन के टैरिफ प्लान के महंगा होने के बीच क्या कोई सीधा संबंध है? आज एक सुधी पाठक ने यह सवाल उठाया जब मैंने उनसे बात करने के लिए मिस्ड कॉल दी। दरअसल, कॉल ड्रॉप के इस अंबानी-अदाणी युग में मिस्ड कॉल हो जाना किसी आश्चर्य की बात नहीं है। जब आप एक चौराहे से दूसरे चौराहे तक जाते हैं, तो यह कहना मुश्किल है कि मोबाइल फोन का सिग्नल कब डाउन हो जाएगा।
लैंडलाइन फोन के जमाने में चौमासे के चार महीने अक्सर भारत संचार निगम लिमिटेड की भेंट चढ़ जाते थे। फोन मृत दशा में रहते थे और जो चलते थे, उनमें न जाने कौन-कौन हमारी निजी बातचीत में शामिल हो जाते थे। हवाई नेटवर्क के जरिए चलने वाले मोबाइल फोन ने लैंडलाइन फोन की समस्त समस्याओं से मानों मोक्ष प्रदान की। लेकिन वर्तमान में निजी टेलीफोन सेवाओं का क्या हाल है? निजी टेलीफोन सेवाएं लगभग बीएसएनएल के दौर को प्राप्त हो चुकी हैं। फ्री में फोन देने के दावे हवा हो चुके हैं। कॉल ड्रॉप, नेटवर्क टूटना, एक ओर से आवाज न आना, फोन न मिलना और कई लोगों की कॉल आपस में गुत्थमगुत्था हो जाना आम बात है। मामूली रुपयों में ग्राहकों का डाटा बेच देना तो सोने पे सुहागा है ही। फ्री वाला सबसे महंगा हो चुका है।
अब सवाल उठता है कि अनंत अंबानी की पिछले तीन-चार महीने से चल रही शादी का फोन महंगा होने से क्या संबंध है? अनंत की सगाई में मुकेश अंबानी ने रिहाना नामक गायिका से गाने गवाए थे। उसके यहां आकर गाने से देशभक्ति का ऐसा ज्वार खड़ा किया गया जिसके आगे उसे कथित तौर पर भुगतान किए गए सत्तर-अस्सी करोड़ रुपए फीके पड़ गए। उससे पहले ईशा अंबानी की शादी में बियॉन्से नॉलेस आई थी। इन गायकों पर खर्च की गई इतनी विपुल धनराशि कहां से आई होगी? जस्टिन बीबर और देशी गवैयों की लंबी फेहरिस्त है। उन पर करोड़ों करोड़ लुटाए जा रहे हैं। फिर भी पूछ रहे हो कि जियो फोन इतना महंगा कैसे हो गया और इसका अनंत की शादी से क्या रिश्ता है?
वास्तव में, अनंत अंबानी की शादी के भव्य आयोजन और जियो फोन के टैरिफ में वृद्धि के बीच का संबंध सीधा है। अनंत की सगाई में रिहाना और ईशा अंबानी की शादी में बियॉन्से जैसी गायिकाओं को बुलाया गया, तो इसके पीछे की खर्चीली योजना का समर्थन कहां से आता है? यह सब जानते हुए, जब जियो फोन के टैरिफ प्लान महंगे हो जाते हैं, तो यह समझना मुश्किल नहीं है कि इस महंगी शादियों और पार्टियों का बोझ सीधे-सीधे आम आदमी की जेब पर पड़ता है।
फ्री में फोन देने के दावे अब हवा हो चुके हैं। कॉल ड्रॉप, नेटवर्क टूटना, एक ओर से आवाज न आना, फोन न मिलना और कई लोगों की कॉल आपस में गुत्थमगुत्था हो जाना आम बात हो गई है। मामूली रुपयों में ग्राहकों का डाटा बेच देना तो सोने पे सुहागा है ही। फ्री वाला सबसे महंगा हो चुका है।
अंबानी परिवार की धूमधाम और विलासिता का बोझ अब सीधा-सीधा आम आदमी की जेब पर पड़ता है। जब आप अगली बार अपने जियो फोन के बिल को देखें, तो याद रखें कि आपकी मेहनत की कमाई कहां जा रही है। यह सब देखकर यही कह सकते हैं कि बेगानी शादी में उपभोक्ता दीवाना हो गया है।
यह सवाल उठता है कि क्या हमें इन महंगी शादियों और विलासिताओं का बोझ उठाना चाहिए? क्या हमारी मेहनत की कमाई इस तरह की फिजूलखर्ची में जानी चाहिए? आम आदमी को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा और अपनी आवाज बुलंद करनी होगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। आखिरकार, बेगानी शादी में उपभोक्ता को दीवाना नहीं बनना चाहिए।