Greater Noida News : 78 साल की आजादी और भगत सिंह के अधूरे सपने, क्या सच्चे भारत की खोज अब भी जारी है?, बलिदान दिवस पर करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने दी श्रद्धांजलि

बलिदान दिवस पर करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने दी श्रद्धांजलि, शोषितों के अधिकारों की लड़ाई जारी रखने का लिया संकल्प
ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। आजादी के 78 वर्षों बाद भी शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का सपना अधूरा ही नजर आता है। जिस समाज और भारत की कल्पना उन्होंने की थी, वह हकीकत से कोसों दूर है। रविवार को करप्शन फ्री इंडिया संगठन के कार्यकर्ताओं ने कासना स्थित जिला कार्यालय में तीनों अमर शहीदों की पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मनाया। इस दौरान उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
कार्यक्रम की अगुवाई संगठन के जिला अध्यक्ष प्रेम प्रधान ने की, जिसमें मौजूद कार्यकर्ताओं ने आज के भारत की स्थिति पर मंथन किया और संकल्प लिया कि वे शहीदों के दिखाए मार्ग पर चलकर भ्रष्टाचार, अन्याय और शोषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे।
क्रांति की लौ, जिसने आजादी के सपने को किया साकार
संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय और आलोक नागर ने बताया कि 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी। यह केवल तीन युवाओं की शहादत नहीं थी, बल्कि पूरे देश में आजादी की लहर को और मजबूत करने वाली एक ऐतिहासिक घटना थी।
भगत सिंह ने कहा था, “इंकलाब जिंदाबाद!” लेकिन क्या यह इंकलाब अब भी जिंदा है? उन्होंने जो सपने देखे थे, उसमें एक समतामूलक समाज की बात थी, जहां गरीबों, किसानों, मजदूरों, दलितों और वंचितों के साथ समानता हो।
क्या भगत सिंह का सपना सच हुआ?
चौधरी प्रवीण भारतीय ने बलिदान दिवस के मौके पर कहा कि आजादी के इतने साल बाद भी देश में गरीबों, किसानों और मजदूरों के हक की लड़ाई जारी है। आज भी लाखों लोग भूखे सोते हैं, किसानों की आत्महत्याएं थमने का नाम नहीं लेतीं, और भ्रष्टाचार सरकारी तंत्र में गहरे तक जड़ें जमा चुका है।
उन्होंने कहा, “अगर भगत सिंह आज जीवित होते, तो शायद वे सबसे ज्यादा दुखी होते कि जिस आजादी के लिए उन्होंने बलिदान दिया, वह अब भी अधूरी है।”

करप्शन फ्री इंडिया संगठन: शोषितों की आवाज बना एक आंदोलन
इस मौके पर चौधरी प्रवीण भारतीय ने बताया कि करप्शन फ्री इंडिया संगठन बीते कई वर्षों से भ्रष्टाचार के खिलाफ जमीनी स्तर पर संघर्ष कर रहा है। संगठन का मकसद उन गरीब, मजदूर और शोषित लोगों की लड़ाई लड़ना है, जिनके साथ अन्याय हो रहा है।
उन्होंने कहा, “अगर हम सच में भगत सिंह को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं, तो हमें उनके विचारों को अपनाना होगा, न कि सिर्फ उनकी तस्वीर पर फूल चढ़ाकर खुद को देशभक्त समझना होगा।”
बलिदान दिवस में जुटे दर्जनों कार्यकर्ता
इस मौके पर जिलेभर से संगठन के कई प्रमुख कार्यकर्ता मौजूद रहे, जिनमें आलोक नागर, मा. दिनेश नागर, प्रेम प्रधान, बृजपाल भाटी, राकेश नागर, यतेंद्र नागर, तेजवीर चौहान, कुलबीर भाटी, रिंकू बैसला, पिंटू मास्टर, राम नागर, रणधीर सिंह, पवन यादव, सत्येंद्र चौधरी, लव यादव, देवराज नागर, अंकित त्यागी, धर्मेंद्र भाटी, रिंकु भाटी, हरीश भाटी, सतीश शर्मा, तरुण भाटी आदि शामिल थे।
क्या होगा अगला कदम?
कार्यक्रम में मौजूद सभी कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया कि वे भगत सिंह के विचारों को आगे बढ़ाएंगे और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगे।
संगठन ने आने वाले दिनों में “शहीदों के सपनों का भारत” नामक अभियान चलाने की घोषणा की, जिसमें वे सरकारी भ्रष्टाचार, किसानों की समस्याएं, शिक्षा प्रणाली की खामियां और समाज में व्याप्त असमानता को उजागर करेंगे।
“जब तक जिंदा हैं, तब तक लड़ेंगे!”
कार्यक्रम के अंत में चौधरी प्रवीण भारतीय ने कहा, “अगर हम अपने अधिकारों के लिए नहीं लड़े, तो आने वाली पीढ़ियां भी गुलामी की जंजीरों में जकड़ी रहेंगी। इसलिए, यह समय है कि हम भगत सिंह के इंकलाब को फिर से जिंदा करें और एक सशक्त भारत के निर्माण में योगदान दें।”
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