NIIMS Hospital News : “पेट दर्द निकला 3.8 किलो की ओवरी सिस्ट, NIIMS हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने रचा नया मेडिकल चमत्कार, 19 वर्षीय युवती की जान बचाकर दिखाया कमाल”, सर्जरी का नेतृत्व कर रहे थे डॉ. हर्ष भाटी, बचाई जान
ग्रेटर नोएडा के NIIMS हॉस्पिटल में चिकित्सा की नई मिसाल, डॉक्टरी कौशल से बचाई गई युवती की जान

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।।
शहर के जाने-माने अस्पताल NIIMS (Noida International Institute of Medical Sciences) ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक और नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। अस्पताल में एक 19 वर्षीय युवती की ओवरी से 3.8 किलोग्राम वजनी गांठ (सिस्ट) को सफलतापूर्वक हटाकर उसकी जान बचाई गई। यह ऑपरेशन न केवल तकनीकी रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण था, बल्कि डॉक्टरों की कुशलता और टीमवर्क का उत्कृष्ट उदाहरण भी बन गया।
छोटी सी शिकायत ने खोल दी बड़ी बीमारी की परतें
कहते हैं कि बीमारी कभी छोटी नहीं होती, यह कथन इस मामले में बिल्कुल सटीक बैठता है। युवती को शुरुआत में केवल पेट दर्द और सूजन की समस्या थी। परिजनों ने इसे सामान्य गैस या अपच समझा, लेकिन जब दर्द असहनीय होता गया और पेट फूलने लगा तो परिजन उसे लेकर NIIMS हॉस्पिटल पहुंचे। यहां की विशेषज्ञ टीम ने जांच शुरू की, जिसके बाद सामने आया कि युवती की ओवरी में एक 3.8 किलोग्राम की बड़ी सिस्ट मौजूद है।
सघन जांच के बाद सर्जरी का हुआ निर्णय
NIIMS के डॉक्टरों ने युवती के अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन और अन्य आधुनिक जांचों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि समस्या कितनी गंभीर है। शुरुआती अनुमान में कैंसर की आशंका को लेकर टीम सतर्क हो गई। सिस्ट न केवल ओवरी को घेर चुकी थी, बल्कि यूट्रस तक फैलने का खतरा भी था। ऐसे मामलों में सर्जरी में थोड़ी सी भी चूक मरीज की जान को जोखिम में डाल सकती है।
सर्जरी का नेतृत्व कर रहे थे डॉ. हर्ष भाटी
इस जटिल ऑपरेशन का नेतृत्व किया NIIMS के वरिष्ठ जनरल सर्जन डॉ. हर्ष भाटी ने, जो अपने अनुभव और दक्षता के लिए जाने जाते हैं। इस ऑपरेशन में उनके साथ डॉ. शौहाब खान, डॉ. पार्थ नंदी और डॉ. विवेक शामिल थे। एनेस्थीसिया टीम में डॉ. सुरेखा और डॉ. आयुष्मान भी मौजूद रहे। करीब डेढ़ घंटे तक चले इस ऑपरेशन को अत्यंत सावधानी और टीमवर्क के साथ अंजाम दिया गया।
एक्सप्लोरेटरी लैप्रोटॉमी तकनीक से की गई सर्जरी
इस जटिल केस में एक्सप्लोरेटरी लैप्रोटॉमी तकनीक का उपयोग किया गया, जिसमें पेट को खोलकर सिस्ट को बाहर निकाला गया। डॉक्टरों ने बताया कि यदि समय रहते ऑपरेशन न किया जाता, तो यह सिस्ट फट सकती थी या कैंसर में बदल सकती थी, जिससे मरीज की जान पर बन आती।

ऑपरेशन के बाद युवती की हालत स्थिर, रिकवरी जारी
NIIMS हॉस्पिटल की सफल सर्जरी के बाद युवती की हालत अब पूरी तरह से स्थिर है और वह डॉक्टरों की निगरानी में धीरे-धीरे स्वस्थ हो रही है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि यह सर्जरी मेडिकल इतिहास में एक महत्वपूर्ण केस के रूप में दर्ज की जाएगी, क्योंकि इतनी बड़ी गांठ को बिना किसी जटिलता के निकालना आसान काम नहीं था।
परिजनों की ओर से डॉक्टरों का आभार
युवती के परिजनों ने NIIMS की मेडिकल टीम का तहेदिल से आभार जताते हुए कहा—
“जब दूसरे अस्पतालों में यह कह दिया गया कि ऑपरेशन बहुत जोखिम भरा है, तब NIIMS के डॉक्टरों ने यह चुनौती स्वीकार की और हमारी बेटी को नई ज़िंदगी दी।”
NIIMS बना चिकित्सा भरोसे का नाम
इस केस ने NIIMS हॉस्पिटल को एक बार फिर उत्तर भारत के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों की सूची में शुमार कर दिया है। यहां न केवल आधुनिक चिकित्सा तकनीकें मौजूद हैं, बल्कि एक अत्यधिक प्रशिक्षित और समर्पित मेडिकल टीम भी है, जो हर चुनौती से जूझने को तैयार है।
क्या कहते हैं चिकित्सा विशेषज्ञ?
“3.8 किलो की गांठ ओवरी से निकालना आसान नहीं था। हमने समय पर निर्णय लेकर पूरी टीम के सहयोग से यह सफलता हासिल की। यह हमारे मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर और टीम वर्क का प्रमाण है।”
— डॉ. हर्ष भाटी, जनरल सर्जन, NIIMS हॉस्पिटल
निष्कर्ष
NIIMS हॉस्पिटल की यह सफलता बताती है कि अब मेडिकल उपचार के लिए दिल्ली या बड़े मेट्रो शहरों की ओर भागने की ज़रूरत नहीं है। ग्रेटर नोएडा जैसे शहर में भी अब चिकित्सा के क्षेत्र में उच्च स्तरीय उपचार और जीवन रक्षक सर्जरी संभव हैं। यह घटना एक प्रेरणादायक उदाहरण है जो न केवल मरीजों बल्कि मेडिकल छात्रों और स्वास्थ्य सेवाओं में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति के लिए सीख है।
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