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योगी के धाकड़, व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ऑफिसर की एंट्री हुई, जिसने 24 घंटों के भीतर कानपुर के आरोपी पकड़ लिए गए

एसएसपी अजय पाल शर्मा ने सबसे पहले ह्यूमन इंटेलिजेंट को एक्टिव किया, और फायदा उठाया 2012 में कानपुर पहली पोस्टिंग का

कानपुर, लखनऊ रफ्तार टुडे। एक फोन कॉल, अगले 10 मिनट में योगी ने लिया ऐसा जबरदस्त फैसला कि कानपुर को पंजाब और कश्मीर बनाने वाले बिल से खींचकर लिए गए।

उसके बारे में जानेंगे, जिस तकनीक से बेकेनगंज के गुनहगारों को पकड़ा उस बारे में जानेंगे तो आप बोल उठेंगे, वाह सैल्यूट है योगी सर की खाकी को,
कानपुर के डीएम एक्शन में थी.. एसएसपी एक्शन में थे
योगी तक खबर गई एक आदेश आया और फोरम लखनऊ से चल चल पड़ा एक धाकड़ ऑफिसर, नाम उसका अजय पाल शर्मा था।

सब कुछ इतना तेज हो रहा था कि किसी को खबर तक नहीं लगी, असली मास्टरमाइंड यूट्यूब चैनल चलाते थे बैठे थे लखनऊ में और ईट फेकने ने वालों को कानपुर से ऑपरेट कर रहे थे। और गजब हो गया, योगी के धाकड़ ऑफिसर की एंट्री हुई जिसका नाम अजय पाल शर्मा था वह आईपीएस है उनके आते ही उन्होंने कहा कि के संसाधनों का ऐसे उपयोग किया, गुनहगारों के सारी चालाकी धरी की धरी रह गई।

आईपीएस अजय शर्मा ने जिस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया, वह बहुत ही सामान्य थी, लेकिन ज्यादातर मामलों में यूपी के कई अधिकारी इस्तेमाल नहीं कर पाते।

जैसे योगी दमदार एक्शन लेते हैं ऐसे ही अजय पाल शर्मा दमदार एक्शन लेते हैं, जैसे ही कानपुर का पता लगा उन्होंने तुरंत अजय पाल शर्मा को आदेश दे दिया शायद उसे पंजाब और कश्मीर बनाने वाले बिल से खींचकर लिए गए। योगी सरकार का मतलब ही है 0 टॉरलेंस, जैसा करोगे उसे भरना ही पड़ेगा, और योगी और जब अजय पाल शर्मा की जोड़ी हो तो उसे भरना ही पड़ेगा।

जैसे ही कानपुर की खबर योगी आदित्यनाथ के पास पहुंची तो उन्होंने डीजीपी कार्यालय के फोन मिलाया, तो तुरंत फैसला ले लिया गया कि किस को भेजना है, कानपुर हिंसा की जांच के लिए लखनऊ से एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अजय पाल शर्मा को भेजा गया। रात को IPS अजय पाल कानपुर पहुंच गए और और अफसरों के साथ बैठक करने लगे। शनिवार सुबह तक इलाके का भ्रमण करते रहे और देर रात उनकी मॉनिटरिंग हो में ही आरोपियों के खिलाफ एक ऑपरेशन शुरू कर दिया।

एसएसपी अजय पाल शर्मा ने सबसे पहले ह्यूमन इंटेलिजेंट को एक्टिव किया, इसके चंद घंटों बाद रिजल्ट योगी सरकार के टेबल पर था, बेगमगंज मामले का एक आरोपी जावेद अहमद यूट्यूब चैनल चलाता था लखनऊ में उसका ऑफिस था। और ऑफिस में बेकन गंज के सारे आरोपी छिपे थे, अब तक के कुल 3 प्राथमिकी दर्ज हुई है और वह तीनों प्राथमिकी खाकी ने दर्ज की है।

कानपुर के डीएम एक्शन में थे और एसएसपी एक्शन में थे लेकिन उन्होंने योगी सरकार से ऐसा करने के लिए मना था। योगी सरकार ने फैसला लिया कि हमें ऐसा ऑफिसर चाहिए जो लोगों के दिमाग को पढ़ ले। इंसानी दिमाग पढ़ने का यह मतलब नहीं है क्या चल रहा है, बल्कि यह है कि इंसान दिमाग को पहले जान जाए।

क्या होता है ह्यूमन इंटेलिजेंट?

ह्यूमन इंटेलिजेंट हो आप सुपर जीनियस कह सकते हैं, और पुलिस की भाषा में इसे मुखबिर भी कह सकते हैं। इसमें अधिकारी अपने विवेक और अनुभव का इस्तेमाल करते हैं। इसमें किसी अपराध के मोड्स और ऑपरेशन का पता लगाया जाता है। फिर उसके आधार पर तय किया जाता है कि अपराधी आगे किस हद तक सोच रहा है। उसकी साइकोलॉजी रीड की जाती है। ऐसे लोगों को पुलिस अपना मुखबीर मुखबिर बनाती है। उनसे सारी जानकारी निकल वाई जाती है। अनुभवों और विवेक के आधार पर एक डाटा तैयार किया जाता है और फिर अधिकारी उसे अपराधी को पकड़ने के लिए इस्तेमाल कर जाते हैं।

अब आगे बताते हैं कानपुर पहुंचते ही योगी सरकार का मिशन कैसे सक्सेसफुल हो गया, दरअसल आईपीएस अजय पाल शर्मा 2012 बैच के आईपीएस है। 2012 में यूपी आए तो उनकी पहली पोस्टिंग कानपुर ही हुई। कानपुर में अपने व्यवहार कुशलता की वजह से अच्छे संबंध बनाए, श्री क्या था उसी कांटेक्ट के दम पर काम कर दिखाया। इसलिए योगी सरकार ने बहुत समझकर एसएसएसपी अजय पाल शर्मा को कानपुर भेजा था। योगी सरकार के इस धाकड़ एसएसपी की सोच और और जावाजी कर दिखाई।

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