Breaking News: ग्रेनो प्राधिकरण छह जगहों पर लगवाएगा स्मार्ट एलईडी स्क्रीन, एलईडी स्क्रीन पर प्रत्येक घंटे में 15 मिनट तक सामाजिक मुद्दों पर सुनाई व दिखाई देंगे स्लोगन
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। ग्रेनो प्राधिकरण छह जगहों पर लगवाएगा स्मार्ट एलईडी स्क्रीन,एलईडी स्क्रीन पर प्रत्येक घंटे में 15 मिनट तक सामाजिक मुद्दों पर सुनाई व दिखाई देंगे स्लोगन।
शहर को स्वच्छ रखें। खुले में कूड़ा न फेंकें। सार्वजनिक जगहों पर रखे लावारिस वस्तु को न छुएं, ग्रेटर नोएडा का तापमान कितना है, ऐसे तमाम सामाजिक स्लोगन और महत्वपूर्ण जानकारी व सूचनाएं त्वरित गति आपको ग्रेटर नोएडा के प्रमुख चौराहों पर देखने व सुनने को मिल सकेंगी। इसके लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण छह प्रमुख जगहों पर स्मार्ट एलईडी स्क्रीन लगवाने जा रहा है। प्राधिकरण ने आरएफपी (रिक्वेस्ट ऑफर प्रपोजल) भी निकाल दिया है।
परी चौक, अल्फा कॉमर्शियल बेल्ट, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का दफ्तर, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, दादरी रेलवे स्टेशन और नॉलेज पार्क टू ऐसे जगह हैं जहां पर सबसे ज्यादा आवागमन होता है। प्राधिकरण इन जगहों पर दिल्ली के आईटीओ की तरह एलईडी स्क्रीन लगवाना चाहता है। इसके जरिए प्राधिकरण तमाम सामाजिक स्लोगन दिखा और सुना सकेगा। नागरिकों को ग्रेटर नोएडा से संबंधित तमाम जानकारी प्राप्त हो सकेगी। इसके साथ ही जल संरक्षण, स्वच्छता, सुरक्षा से जुड़े तमाम मुद्दों उनके उत्तरदायित्वों का भी बोध करा सकेगा।
बीओटी (बिल्ड ऑपरेट एंड ट्रांसफर) के आधार पर लगने वाले इन एलईडी स्क्रीन पर प्रत्येक घंटे में 15 मिनट तक इन सामाजिक मुद्दों पर स्लोगन सुनाई व दिखाई देंगे। इसमें प्राधिकरण का पैसा खर्च नहीं हो रहा, बल्कि आरएफपी से चयनित कंपनी ही एलईडी स्क्रीन लगाएगी। कंपनी को पांच साल तक विज्ञापन का अधिकार दिया जाएगा, ताकि वह अपना खर्च निकाल सके।
एलईडी को लगाना, उसे संचालित करना और उसके रखरखाव की जिम्मेदारी चयनित कंपनी की होगी। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ व मेरठ मंडलायुक्त सुरेन्द्र सिंह के निर्देश पर प्राधिकरण के शहरी सेवाएं विभाग ने एलईडी स्क्रीन लगाने के लिए आरएफपी निकाल दिए हैं।
ग्रेटर नोएडा को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए प्राधिकरण हर संभव कोशिश कर रहा है। एलईडी स्क्रीन लगाने का निर्णय भी इसी दिशा में एक प्रयास है। इससे चौराहों की खूबसूरती भी बढ़ जाएगी। नागरिकों को तमाम आवश्यक सूचनाएं भी आसानी से मिल जाएंगी। सामाजिक स्लोगन के जरिए लोगों को जागरूक करने में भी सहूलियत होगी।