CM Yogi Adityanath Greater Noida News : “बटेंगे तो कटेंगे, ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर योगी का सशक्त संदेश, पोस्टर बना चर्चा का केंद्र!”

यूपी, रफ़्तार टुडे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान “बटेंगे तो कटेंगे” इन दिनों ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर पोस्टरों के रूप में सुर्खियां बटोर रहा है। आगरा में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने यह बयान दिया था, जिसमें उन्होंने राष्ट्र की एकता और अखंडता की महत्ता पर जोर दिया था। उनका कहना था कि जब हम एकजुट होते हैं तो राष्ट्र सशक्त होता है, लेकिन जब हम बंटते हैं, तो कमजोर पड़ जाते हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए इस स्लोगन को जनता के बीच रखा था। अब यह स्लोगन ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर पोस्टरों के माध्यम से देखने को मिल रहा है, जो विभिन्न वर्गों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
योगी का सशक्त संदेश: पोस्टरों में दिखी एकता की अपील
ग्रेटर नोएडा के प्रमुख चौराहों और सड़कों पर इन पोस्टरों ने खासा ध्यान आकर्षित किया है। इन पोस्टरों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बड़ी तस्वीर के साथ “बटेंगे तो कटेंगे” लिखा हुआ है। इसके अलावा भाजपा युवा मोर्चा के नेता ऋषभ राज शर्मा की तस्वीर भी इन पोस्टरों में दिखाई दे रही है, जो इस स्लोगन का समर्थन करते हुए नज़र आ रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ का यह संदेश एकता और संगठन की महत्ता को रेखांकित करता है, लेकिन इसके बावजूद कुछ राजनीतिक और सामाजिक संगठन इस पर आपत्ति जता रहे हैं। खासकर उन वर्गों से विरोध की आवाजें उठ रही हैं जो इसे समुदायों के बीच तनाव को बढ़ावा देने वाला मान रहे हैं।
विरोध की लहर: पोस्टर के खिलाफ उठा विरोध का स्वर
इन पोस्टरों के कारण ग्रेटर नोएडा के विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। आम आदमी पार्टी के नेता ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि “इस प्रकार के पोस्टर ग्रेटर नोएडा जैसे विविधतापूर्ण क्षेत्र में रह रहे विभिन्न समुदायों के बीच तनाव का कारण बन सकते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि “यह संदेश एक समुदाय विशेष को लक्षित करता है, जो कि इस क्षेत्र की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को प्रभावित कर सकता है।”
वहीं, दूसरी ओर भाजपा समर्थक इस पोस्टर को राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत करने वाला मानते हैं। उनका कहना है कि योगी आदित्यनाथ का यह संदेश समाज के सभी वर्गों को एकजुट रहने और देशहित में काम करने के लिए प्रेरित करता है।
ग्रेटर नोएडा के सड़कों पर पोस्टरों की हो रही चर्चा
इन पोस्टरों ने न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि आम जनता के बीच भी बहस छेड़ दी है। लोग इस पोस्टर को लेकर अलग-अलग राय रख रहे हैं। जहां कुछ लोग इसे योगी सरकार की मजबूती और सख्ती का प्रतीक मानते हैं, वहीं कुछ इसे सामुदायिक विभाजन का संकेत मान रहे हैं।
हालांकि, भाजपा के स्थानीय नेताओं ने इस विरोध को बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि यह पोस्टर केवल एकता और संगठन का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि “बटेंगे तो कटेंगे” का मतलब यह है कि जब समाज के लोग एकजुट नहीं होते हैं, तब समाज कमजोर हो जाता है। इस संदेश का गलत अर्थ निकालने की कोशिश की जा रही है।
क्या कहता है प्रशासन?
प्रशासनिक अधिकारियों ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “पोस्टर लगाने के संबंध में अभी तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है। यदि कोई शिकायत आती है, तो उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी।” प्रशासन का कहना है कि शहर में लगे सभी पोस्टरों की जांच की जाएगी और अगर कोई कानून का उल्लंघन पाया जाता है तो उसे हटाया जाएगा।
सोशल मीडिया पर बवाल
सोशल मीडिया पर इस पोस्टर को लेकर हंगामा मचा हुआ है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस पोस्टर की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जहां लोग अपनी-अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। कई यूजर्स इसे योगी आदित्यनाथ की मजबूत छवि का प्रतीक मानते हुए समर्थन कर रहे हैं, वहीं कई लोग इसे धार्मिक और सामाजिक तनाव बढ़ाने वाला बता रहे हैं।
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि “यह पोस्टर निश्चित रूप से एक मजबूत राजनीतिक संदेश देता है, लेकिन इसे किस नजरिये से देखा जाता है, यह महत्वपूर्ण है। इस प्रकार के संदेशों का जनता पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, और यह आवश्यक है कि समाज में किसी भी प्रकार का विभाजन न हो।”
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि “ऐसे वक्त में जब समाज को एकजुट होने की जरूरत है, इस प्रकार के संदेशों को सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए। यह सिर्फ राजनीतिक प्रचार का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य समाज में एकता और सुरक्षा को बढ़ावा देना होना चाहिए।”
ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर लगे योगी आदित्यनाथ के “बटेंगे तो कटेंगे” पोस्टर ने न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी गहरा प्रभाव डाला है। इसे लेकर विभिन्न संगठनों के बीच मतभेद और विरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले पर क्या कदम उठाता है और आने वाले दिनों में इस पर और किस प्रकार की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं।
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