गाजियाबादएक घंटा पहले
- कॉपी लिंक
फार्मर प्रोटेस्ट में बच्चों की भी अच्छी खासी भागीदारी है। जब वे मंच पर खड़े होकर भाषण देते हैं तो किसान भी सुनने को मजबूर हो जाते हैं।
किसान आंदोलन वापस लेने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा दो बिंंदुओं पर केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण चाहता है। पहला स्पष्टीकरण यह कि एमएसपी पर बनने वाली कमेटी में सरकार की तरफ से कौन-कौन लोग शामिल होंगे। किसान नेताओं को शक है कि कहीं वे लोग इस कमेटी में शामिल न कर दिए जाएं, जो तीन बिलों की वकालत कर रहे थे। यदि ऐसा हुआ तो एमएसपी कमेटी के अच्छे नतीजे नहीं आ पाएंगे। दूसरा यह कि सरकार ने आंदोलन वापसी के तुरंत बाद मुकदमे वापसी की बात कही है। पुराने आंदोलनों से सबक लेते हुए किसान चाहते हैं कि पहले मुकदमे वापसी हों, तब आंदोलन वापसी हो। किसानों को बुधवार दोपहर 2 बजे तक का इंतजार है। 2 बजे से एसकेएम ने सिंघु बॉर्डर पर बैठक बुलाई है। एसकेएम को उम्मीद है कि इस बैठक के शुरू होने से पहले केंद्र सरकार की तरफ से सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
युद्धवीर सिंह, एसकेएम की कोर कमेटी के सदस्य
हम पुरानी गलतियां दोहराना नहीं चाहते
एसकेएम की तरफ से MSP की कमेटी में जिन किसान नेताओं का नाम सुझाया गया है, उनमें एक भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता युद्धवीर सिंह हैं। उन्होंने बताया कि सरकार हमारी ज्यादातर मांगों पर सहमति दे चुकी है। लेकिन दो बिंदु ऐसे थे, जिस पर हम लोग उलझ गए। हमारे पुराने आंदोलनों का सबक है कि सरकारों ने मुकदमे वापसी के वायदे किए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार हम कोई गलती दोहराना नहीं चाहते। हम चाहते हैं कि सरकार पहले मुकदमे खत्म करे, तब हम घर वापसी करें।
हिम्मत सिंह गुर्जर, राजस्थान के किसान नेता
ईमेल की बजाय टेबल वार्ता करे तो रास्ते निकलें
राजस्थान के किसान नेता हिम्मत सिंह गुर्जर का कहना है कि सरकार चिट्ठी और ईमेल भेज रही है। शायद एक बार टेबल पर बैठकर वार्ता हों तो इतने स्पष्टीकरण की जरूरत न पड़े। एक बार में वार्ता हो और सारे बिंदुओं पर सारी चीजें तय हो जाएं। उन्होंने कहा कि हमें दो बिंदुओं पर आपत्ति है। सरकार को ईमेल के जरिये अपने सवाल भेज दिए गए हैं। उनके जवाब मिलने का इंतजार है। दोपहर 2 बजे से होने वाली बैठक में फाइनल रूपरेखा तय होगी।
गुड्डू प्रधान, भाकियू के मेरठ मंडल अध्यक्ष
सरकार आगे आकर खुलकर वार्ता करे
भारतीय किसान यूनियन के मेरठ मंडल अध्यक्ष गुड्डू प्रधान ने कहा कि किसान आंदोलन एक साल चला है, आगे भी चल सकता है। सरकार यह न समझे कि किसान थक चुके हैं या हिम्मत हार चुके हैं। सरकार को अब आगे आकर किसानों से वार्ता करनी चाहिए। उनकी प्रत्येक बिंदु पर तसल्ली से बात सुनकर हल निकालना चाहिए। 700 से ज्यादा किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। सैकड़ों किसान बीमार पड़े हैं। एक साल से घर से दूर हैं। उनके परिवारों में तमाम दिक्कतें हैं। उनके बारे में भी सोचने की जरूरत है।