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नई दिल्ली। अदालत ने गैंगस्टर प्रवेश मान और चार अन्य पर संगठित अपराध सिंडिकेट चलाने और व्यापारियों से वसूली के आरोप तय करते हुए मकोका में मुकदमा चलाने का निर्देश दिया है। पटियाला हाउस अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मुकदमा चलाने का ये निर्देश दिया।
अदालत ने कहा प्रथम दृष्टया अभियोजन पक्ष ने अदालत के समक्ष सबूतों से यह साबित किया है कि गंभीर संदेह मौजूद है कि आरोपी परवेश मान के नेतृत्व में एक संगठित अपराध सिंडिकेट काम कर रहा है। आरोपी अजय मान, सचिन मान, युद्धवीर और साहिल दहिया इसके सदस्य हैं।
अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि दिल्ली एनसीआर की नियमित अपराध समीक्षा से पता चला है कि खूंखार गैंगस्टर प्रवेश मान हरियाणा के पड़ोसी जिलों सहित दिल्ली के बाहरी और पश्चिमी जिलों में आतंक और अराजकता का प्रतीक बन गया है।
आरोप है कि 2016 में परवेश ने कुख्यात नीरज बवाना के गिरोह से खुद को अलग कर लिया। उसने अपना गिरोह बनाया और दिल्ली के पश्चिम, उत्तर, उत्तर पश्चिम और बाहरी जिलों में फैली दुकानों, प्रॉपर्टी डीलरों और अन्य व्यापारियों से पैसे वसूलने लगा।
यह सिंडिकेट गिरोह के बदमाशों के लिए आर्थिक लाभ प्राप्त करने, क्षेत्र में आपराधिक वर्चस्व स्थापित करने और अपने बदमाशों की भव्य जीवन शैली के लिए एक संगठित अपराध सिंडिकेट के रूप में आपराधिक गतिविधियों को जारी रखने में शामिल है। पुलिस ने कहा कि इस गिरोह में शार्प शूटर और भटके हुए युवक शामिल हैं।
नई दिल्ली। अदालत ने गैंगस्टर प्रवेश मान और चार अन्य पर संगठित अपराध सिंडिकेट चलाने और व्यापारियों से वसूली के आरोप तय करते हुए मकोका में मुकदमा चलाने का निर्देश दिया है। पटियाला हाउस अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मुकदमा चलाने का ये निर्देश दिया।
अदालत ने कहा प्रथम दृष्टया अभियोजन पक्ष ने अदालत के समक्ष सबूतों से यह साबित किया है कि गंभीर संदेह मौजूद है कि आरोपी परवेश मान के नेतृत्व में एक संगठित अपराध सिंडिकेट काम कर रहा है। आरोपी अजय मान, सचिन मान, युद्धवीर और साहिल दहिया इसके सदस्य हैं।
अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि दिल्ली एनसीआर की नियमित अपराध समीक्षा से पता चला है कि खूंखार गैंगस्टर प्रवेश मान हरियाणा के पड़ोसी जिलों सहित दिल्ली के बाहरी और पश्चिमी जिलों में आतंक और अराजकता का प्रतीक बन गया है।
आरोप है कि 2016 में परवेश ने कुख्यात नीरज बवाना के गिरोह से खुद को अलग कर लिया। उसने अपना गिरोह बनाया और दिल्ली के पश्चिम, उत्तर, उत्तर पश्चिम और बाहरी जिलों में फैली दुकानों, प्रॉपर्टी डीलरों और अन्य व्यापारियों से पैसे वसूलने लगा।
यह सिंडिकेट गिरोह के बदमाशों के लिए आर्थिक लाभ प्राप्त करने, क्षेत्र में आपराधिक वर्चस्व स्थापित करने और अपने बदमाशों की भव्य जीवन शैली के लिए एक संगठित अपराध सिंडिकेट के रूप में आपराधिक गतिविधियों को जारी रखने में शामिल है। पुलिस ने कहा कि इस गिरोह में शार्प शूटर और भटके हुए युवक शामिल हैं।