Breaking News : सरकार ने दी स्कॉलरशिप, कॉलेज ने मांगी रिश्वत, छात्रा से मांगे 10 प्रतिशत रुपये, विरोध में कॉलेज पहुंचे अभिभावक, छात्रा को पहुंचा मानसिक आघात, करप्शन फ्री इंडिया संगठन की ओर से कार्रवाई की मांग, पुलिस में शिकायत दर्ज

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
एक ओर सरकार आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए स्कॉलरशिप के माध्यम से सहयोग कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ निजी कॉलेजों में तैनात भ्रष्ट कर्मचारी इन छात्रों की उम्मीदों पर पानी फेर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला नॉलेज पार्क-1 स्थित स्पेक्ट्रम इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी से सामने आया है, जहां बी.फार्मा की छात्रा से स्कॉलरशिप की राशि का 10 प्रतिशत हिस्सा रिश्वत के रूप में मांगा गया।
अकाउंटेंट ने मांगी घूस, छात्रा को हुआ मानसिक आघात
जानकारी के अनुसार, बी फार्मा तृतीय वर्ष की छात्रा स्नेहा को सरकार से स्कॉलरशिप मिली थी। लेकिन कॉलेज में तैनात अकाउंटेंट ने छात्रा से कहा कि स्कॉलरशिप की पूरी राशि मिलने के बावजूद उसे 10 प्रतिशत रकम कॉलेज को ‘देनी’ होगी। इस अवैध मांग से छात्रा मानसिक रूप से आहत हो गई और उसने यह बात अपने पिता से साझा की।
पिता ने की रिकॉर्डिंग, संगठन के साथ पहुंचकर जताया विरोध
छात्रा के पिता रणधीर नागर ने समझदारी दिखाते हुए अकाउंटेंट से बातचीत की कॉल रिकॉर्ड कर ली। इसके बाद वे करप्शन फ्री इंडिया संगठन के सदस्यों के साथ कॉलेज पहुंचे और वहां जोरदार विरोध दर्ज कराया। इस संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण ने कहा कि सरकार जिन गरीब छात्रों को स्कॉलरशिप देती है, उनसे कॉलेज द्वारा रिश्वत मांगना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि नैतिक रूप से भी शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि ऐसे भ्रष्टाचार के खिलाफ संगठन सख्त कदम उठाएगा।
पुलिस में शिकायत, जांच की मांग
रणधीर नागर ने रिश्वत मांगने वाले अकाउंटेंट के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। संगठन ने कॉलेज प्रशासन से भी मांग की है कि दोषी कर्मचारी को तत्काल निलंबित किया जाए और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा न जाए।

छात्रों का उत्पीड़न बंद हो: संगठन
करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने मांग की है कि सभी निजी और सरकारी संस्थानों में पारदर्शी तरीके से स्कॉलरशिप की प्रक्रिया लागू हो, जिससे छात्रों का मानसिक शोषण और आर्थिक दोहन न हो। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वह जिले स्तर पर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
निष्कर्ष:
यह मामला केवल एक छात्रा का नहीं, बल्कि उन सभी आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए सरकारी मदद पर निर्भर हैं। सरकार द्वारा दी गई सहायता को छात्रों तक बिना बाधा पहुंचे, यह सुनिश्चित करना प्रशासन और संस्थानों की जिम्मेदारी है। ऐसे में भ्रष्टाचार के इन मामलों को गंभीरता से लिया जाना आवश्यक है।
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