ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कागज लेकर फ़िर भागा राजेंद्र सिंह?अबकी बार सीधे अमनदीप, ACEO के दफ्तर में सैधमारी?
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। काफी चर्चा में रहे तथातथित ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में फर्जी भारती घोटाला से संबंध पिछले काफी समय से काफी चर्चा में रहा है क्या मामले में अब कुछ चौकने वाले तथ्य सामने आए हैं पता लगा हैं कि श्री राजेंद्र सिंह ने जांच समिति के सामने रखे गए अपने पत्र में कहा है कि आरटीआई के अंतरगत कोई कागजत उपलब्ध नहीं कराए जबकी इस बात की जानकारी उसे दी गई थी कि राज्य के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राधिकरण में निजी निकाय के माध्यम से कार्य कराया जा रहा है और प्राधिकरण कार्य की गुणवत्ता के लिए ही प्राधिकरण जिम्मेवार है।
यह गैर संविधान प्रक्रिया नहीं है कि एक ही निकाय में रिश्तेदार और दोस्त लोग कम नहीं कर सकते l
उक्त प्रकरणों में एक अत्यंत चौकाने वाला तथ्य सामने आया है l अभी ग्राम सादोपुर के 10 प्रतिशत विकास कार्यों के नक्शे की चोरी, इंटरनल मीटिंग के नोटिस की चोरी तथा कस्टमर कॉल सेंटर के वित्त संबंध अभिलेख की चोरी आदि का मामला अभी थमा नहीं था, कि राजेंद्र सिंह ने AÇEO अमनदीप के आदेश की कॉपी उसी के दफ्तर से OS Act 1923 का उल्लंघन कर हासिल ली और जाँच समिति के सामने प्रस्तुत कर दिया l अपने दफ्तर से हुए इस कागज चोरी के मामले को सुनकर ACEO , अमनदीप जी भी सन्न है l
मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, कार्यकारी अधिकारी तथा मुख्य सत्कर्ता अधिकारी आदि को की गई है l
क्या है मामला
शिव अमनदीप एकादश दिनांक 27.9.20122 को हस्तकशरीफ किया जिसमें तथागत फर्जी घोटले से संबंधित कुछ बिंदुओं पर जांच हेतु जांच के लिए संदर्भ बिंदु निर्धारित किए गए थे l. उक्त आदेश प्रति विशेष कार्य अधिकारी कार्मिक ने अपने संबंध प्रबंधक को अवलम भ आदेश का अनुपालन सुनिष्चित करने के निर्देश दिए थे इसके पहले कि वह निर्देश सम्बंधित प्रबंधक पास पहुंचे, उससे पहले ही इसकी इस आदेश की कॉपी राजेंद्र सिंह के हाथ में पहुंच गई और राजेंद्र सिंह ने आदेश की कॉपी को समिति के सामने पेश कर दिया l
क्यों उछाला राजेंद्र सिंह ने फर्जी रूप से भरती घोटाले का मामला !
राजेंद्र सिंह ने शपथ पत्र दाखिल कर भूमि अधिग्रहण को स्विकार कर बाकायदा मुवावजा लेकर 17% किसान कोटे के अंतर्गत आबादी के भुखंड plot 225 block E sector 2 में ले लेकर बैच दिया और अधिग्रहीत की गई भूमि में से 1500 वर्ग मीटर का भुखंड भी बोर्ड की बैठक में छुटवा लिया l इसके बाद 6/4 % प्लॉट की, सह खातेदारो सहित, पात्रता लेकर, अदालत को गुमराह करके, पूरी अधिग्रहण की गई भूमि पर स्टे आर्डर लेकर भी ले लिया l
लक्ष्य में बाधा देखते हुए, उन्होंने सीईओ और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ ERP-SAP प्रणाली में 300 करोड़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, उसने GNIDA के उन अधिकारियों के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के खिलाफ भी शिकायतें कीं, जिनकी नजर उनके अवैध कार्यों पर थी। क्या प्रकरण में सफलता न देख कर फर्जी रूप से फर्जी भारती घोटाले का उक्त मामला उठा लिया चूंकि ERP-SAP परियोजना का निविदा मूल्य 63 करोड़ रुपये ही था। जबकी इस मामले में प्राधिकरण ने कोई भारती की ही नहीं है तथा कथित सभी कर्मचारी आउटसोर्सिंग के मध्यम से कम पर रखे गए हैं और केवल उनके कार्य के गुणों को देखना प्राधिकरण का काम है l
श्री वीरेंद्र सिंह गुड्डू ने इस मामला में निम्नलिखित टिप्पणी की है ;-
“….. का मोती अधर की कांति से,
बीज दाड़िम का समझ कर भ्रांति से,
सोचा हुआ ÀCEO मौन है,
कि दफ्तर तो मेरा है पर,
मेरे दफ्तर में अन्य यह शुक कौन है?