ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से अवैध रूप से डॉक्यूमेंट प्राप्त किए, और ऑफिस सिक्रेट एक्ट 1923 का हुआ दुरुपयोग, राजिंदर नागर के खिलाफ कार्रवाई की मांग
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से अवैध रूप से डॉक्यूमेंट प्राप्त किए है। और ऑफिस सिक्रेट एक्ट 1923 का हुआ दुरुपयोग हुआ है। इसमें कार्रवाई की मांग की हैं।
राजेंद्र नागर के खिलाफ दो मामले हैं।
- प्रथम मामले में कार्यालय गुप्त अधिनियम का उल्लंघन कर अवैध रूप से नक्शा लेआउट प्राप्त किया गया है।
- जीएनआईडीए के विभिन्न विभागों को संबोधित आंतरिक बैठक नोट भी अवैध रूप से ऑफिस सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन कर प्राप्त किया।
ग्राम सादोपुर के वरिष्ठ नागरिक श्री संतर पाल ने मुख्यमंत्री को सूचित किया है कि ग्राम बादलपुर निवासी श्री राजिन्दर नागर ने GNIDA के विभिन्न विभागों को संबोधित आंतरिक बैठक नोट भी अवैध रूप से ऑफिस सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन कर प्राप्त किया। और कार्यालय गुप्त अधिनियम का उल्लंघन कर अवैध रूप से नक्शा लेआउट भी प्राप्त किया गया है।
विभिन्न दस्तावेजों के लेआउट मानचित्र और विभिन्न दस्तावेजों को सरकारी गुप्त अधिनियम 1923 का उल्लंघन कर अवैध रूप से प्राप्त किया गया है और उसके बाद में दस्तावेजों से इस तरह छेड़छाड़ की गई जो देखने में वास्तविक लगता है परंतु ब्लैकमेल करने के लिए शिकायत दर्ज करने के लिए इस्तेमाल किया गया है।
शिकायतकर्ता ने कड़ी कार्रवाई करने और GNIDA के कर्मचारियों और स्वयं और शिकायतकर्ता की भी सुरक्षा भी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार को बदनाम करने एवं अफवाह फैलाने वाले राजिंदर सिंह बादलपुर के खिलाफ एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने उनके खिलाफ प्रशासन कार्रवाई की मांग ली है।
तीसरे मामले में, गौरतबल है कि राजेंद्र नागर ने आरोप लगाया था की प्राधिकरण ने डिजिटल सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए एक बड़ी कंपनी को काम दिया था। अनुबंध की शर्तों के विपरीत कंपनी को भुगतान कर दिया गया। सॉफ्टवेयर को शुरू करने में अब तक ₹300 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। इसके बावजूद सिस्टम तैयार नहीं है। ऐसे में घोटाला किया गया है।
राजेंद्र ने केंद्र सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग में मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की है। शिकायत में पूर्व सीईओ, महाप्रबंधक नियोजन और वरिष्ठ प्रबंधक पर नियमों के विपरीत कार्य करने के लगाकर जांच की मांग की है नियमों के विपरीत आउटसोर्स कर्मचारियों के डिजिटल हस्ताक्षर की अनुमति दी गई है जबकि यह कुछ हुआ ही नहीं है।
आइजीआरएस पोर्टल पर कंप्लेंट नंबर के संदर्भों से पीएम को संबोधित शिकायतों को बादलपुर निवासी राजेंद्र सिंह ने मीडिया के माध्यम से लगभग 300 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और घोटाले की बात कहकर सरकार की स्वच्छ छवि को गंभीर बट्टा लगाया है।
जबकि यह विशुद्ध रूप से ERP SAP system के विभिन्न माड्यूलो के अनुचित एकीकरण, बगों के समाधान नहीं करने व अनुचित टेंपलेट्स के उपयोग तथा बैंक एंड डाटाबेस सरंचना संशोधन अनुसूचित फ्रंट पर समर्थन, मॉड्यूल के intermediate integrator द्वारा एकीकरण को सुनिश्चित नही करने का मामला है कुल निविदा मूल्य लगभग ₹63 करोड़ रुपए है।
उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए श्री संतर पाल ने अनुरोध किया है मैं कि राज्य सरकार को बदनाम करने एवं अफवाह फैलाने और विभिन्न दस्तावेज और नक्शा चुराने के लिए, श्री राजेंद्र सिंह नागर आदि खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करें और ERP SAP के विभिन्न मॉड्यूल सॉफ्टवेयर के मॉडयल में एकीकरण में कोई चूक हो तो इसे भी ठीक कराएं।