Greater Noida Authority News : ग्रेटर नोएडा के एसटीपी पर अब लगेगी डिजिटल नज़र!, बादलपुर से हुई मॉनिटरिंग क्रांति की शुरुआत, अब इकोटेक-2, इकोटेक-3 और कासना की बारी, तकनीक से होगी सीवरेज ट्रीटमेंट की पारदर्शी निगरानी
CEO NG रवि कुमार ने कहा कि “बादलपुर में सफल शुरुआत के बाद अब सभी एसटीपी को ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम से लैस करने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है। इससे संचालन पारदर्शी होगा और गंगा मिशन के लक्ष्यों को मजबूती मिलेगी।”

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
अब ग्रेटर नोएडा में सीवरेज शोधन से जुड़ी हर गतिविधि पर होगी रियल टाइम निगरानी। प्राधिकरण ने ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम (Online CMS) के तहत शहर के सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) को तकनीकी रूप से सक्षम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसकी धमाकेदार शुरुआत बादलपुर एसटीपी से हो चुकी है, जहां ऑफिस में बैठे अधिकारी अब स्क्रीन पर देख पा रहे हैं कि पानी कैसे साफ हो रहा है!
“नमामि गंगे” की प्रेरणा से उठाया गया डिजिटल कदम
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने यह पहल नमामि गंगे योजना के अंतर्गत शुरू की है, जिसका उद्देश्य है – नदियों में जाने वाले अपशिष्ट जल की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना और प्रदूषण पर नियंत्रण रखना। अब तक जो चीजें केवल रिकॉर्ड रजिस्टरों में दर्ज होती थीं, वे अब रियल टाइम में ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम के जरिए देखी जा सकेंगी।
बादलपुर बना स्मार्ट निगरानी का पायनियर
बादलपुर में स्थित 2 एमएलडी क्षमता का एसटीपी ग्रेटर नोएडा का पहला प्लांट बना है, जहां यह सिस्टम लगाया गया है। अब यहां बीओडी (Biochemical Oxygen Demand) और सीओडी (Chemical Oxygen Demand) जैसे तकनीकी मानकों की स्थिति का ऑफिस से ही सीधे पता चल रहा है। इस प्रणाली में 6 मोबाइल या लैपटॉप एक साथ कनेक्ट हो सकते हैं।
इकोटेक-2 और 3 जल्द होंगे डिजिटल
प्राधिकरण अब इकोटेक-2 (15 एमएलडी) और इकोटेक-3 (20 एमएलडी) पर भी दो सप्ताह में यह सिस्टम लागू करने जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह तकनीक न सिर्फ निगरानी को आसान बनाएगी, बल्कि ऑपरेशन में पारदर्शिता और कार्यक्षमता भी बढ़ाएगी।
कासना का 137 एमएलडी वाला सबसे बड़ा एसटीपी होगा अगला लक्ष्य
137 एमएलडी क्षमता वाला कासना एसटीपी, ग्रेटर नोएडा का सबसे बड़ा शोधन प्लांट है। अब यहां भी एक महीने में ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया जाएगा। इसका टेंडर जारी कर दिया गया है और इस कार्य पर करीब 30 लाख रुपये की लागत आने की संभावना है।
सिस्टम से मिलने वाले फायदे
- ऑनलाइन डेटा ट्रैकिंग: बीओडी और सीओडी के मानकों की लगातार निगरानी
- ऑपरेशन में पारदर्शिता: अब कोई भी गड़बड़ी छिपाई नहीं जा सकेगी
- रियल टाइम अलर्ट: सीवेज की गुणवत्ता में गिरावट आने पर तुरंत सूचना
- एक साथ कई अधिकारियों की निगरानी: 6 मोबाइल और लैपटॉप से कनेक्टिविटी
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सीधी भागीदारी: उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व नमामि गंगे प्राधिकरण से भी लिंक
वरिष्ठ प्रबंधक विनोद शर्मा ने बताया—
“यह तकनीक पानी की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में कारगर होगी। ऑनलाइन सिस्टम से न केवल नियंत्रण आसान होगा, बल्कि पर्यावरणीय मानकों का भी बेहतर पालन सुनिश्चित किया जा सकेगा।”

सीईओ एनजी रवि कुमार का बड़ा बयान
“बादलपुर में सफल शुरुआत के बाद अब सभी एसटीपी को ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम से लैस करने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है। इससे संचालन पारदर्शी होगा और गंगा मिशन के लक्ष्यों को मजबूती मिलेगी।”
प्रमुख एसटीपी और उनकी क्षमता
📌 स्थान | ⚙️ एसटीपी क्षमता |
---|---|
बादलपुर | 2 एमएलडी |
इकोटेक-2 | 15 एमएलडी |
इकोटेक-3 | 20 एमएलडी |
कासना | 137 एमएलडी |
🔍 कौन-कौन करेगा निगरानी?
- ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक व इंजीनियर
- सीवरेज ऑपरेशन से जुड़े ठेकेदार
- उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB)
- नमामि गंगे प्राधिकरण
- ऑडिट और तकनीकी मूल्यांकन एजेंसियाँ
🎯 आगे का रोडमैप
इस योजना का उद्देश्य केवल सिस्टम लगाना नहीं है, बल्कि पूरे शहर को डिजिटल सीवरेज मैपिंग के तहत लाना है। इसके तहत आने वाले महीनों में हर एसटीपी को रीयल टाइम मॉनिटरिंग से जोड़ा जाएगा और डैशबोर्ड आधारित रिपोर्टिंग सिस्टम को भी लागू किया जाएगा।
📌 निष्कर्ष
ग्रेटर नोएडा अब सीवरेज प्रबंधन के क्षेत्र में स्मार्ट सिटी मॉडल की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम न केवल एक तकनीकी पहल है, बल्कि यह साफ-सुथरे पर्यावरण, जल सुरक्षा और पारदर्शी प्रशासन की दिशा में एक बड़ी छलांग है। आने वाले समय में शहर के हर नागरिक को इसका लाभ मिलेगा।
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