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नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने स्ट्रीट वेंडर नीति पर काम न करने पर दिल्ली सरकार व तीनों नगर निगमों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा ऐसा लगता है कि निगम अधिकारी अपना दिमाग नहीं लगा रहे हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि अधिनियम कैसे काम करता है।
अदालत ने स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के कार्यान्वयन पर काम करने के लिए नगर निगमों, वकीलों और दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों सहित सभी हितधारकों के साथ बैठक बुलाई है ताकि इस मुद्दे पर ठोस निर्णय लिया जा सके।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने 11 दिसंबर शनिवार को दोपहर 3 बजे हाईकोर्ट परिसर में बैठक आयोजित की है। पीठ स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
पीठ ने कहा स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के प्रावधानों के कार्यान्वयन में पूरी तरह से अराजकता और बाधा है। शहर में हॉकिंग और वेंडिंग की गतिविधियों को विनियमित करने की कोई योजना नहीं है।
हर बार समस्या क्यों हो रही
अदालत ने बैठक में तीनों निगमों के आयुक्तों, दिल्ली सरकार के संबंधित अधिकारियों को शामिल होने का निर्देश दिया है। कहा बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि हम हर बार समस्या का सामना क्यों कर रहे हैं।
पीठ ने कहा आइए उनसे समझने की कोशिश करें और उन्हें अपनी समझ दें और उन्हें सुनें। आप बस वैसे काम नहीं कर रहे हैं जैसे इसे करना चाहिए था। पीठ ने स्पष्ट किया कि अधिनियम का उद्देश्य हॉकिंग और वेंडिंग गतिविधियों को विनियमित करना है। आप ऐसा नहीं कर रहे हैं।
दूसरा शनिवार लेकिन बैठक जरूरी
हाईकोर्ट ने कहा कि बैठक में दिल्ली छावनी बोर्ड के प्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस, अधिवक्ता साहू, एनडीएमसी के लिए अधिवक्ता मिनी पुष्करना, दिल्ली सरकार के गौतम नारायण और अन्य भी शामिल होंगे। पीठ ने कहा हालांकि 11 दिसंबर को दूसरा शनिवार है लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए बैठक जरूरी है।
पीठ ने कहा कि अतिक्रमण बढ़ने से चांदनी चौक जैसे इलाकों में पैदल चलना भी असंभव हो गया है। दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि चांदनी चौक इलाके में पिछले कुछ दिनों में स्थिति में सुधार हुआ है।
पीठ ने उनके तर्क पर कहा कि आप किए गए काम के लिए श्रेय का दावा करते हैं लेकिन सभी क्षेत्रों में अतिक्रमण हो रहा है, सभी जगह स्थिति खराब है और फिर प्रैक्टिस करने का क्या मतलब है?
नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने स्ट्रीट वेंडर नीति पर काम न करने पर दिल्ली सरकार व तीनों नगर निगमों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा ऐसा लगता है कि निगम अधिकारी अपना दिमाग नहीं लगा रहे हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि अधिनियम कैसे काम करता है।
अदालत ने स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के कार्यान्वयन पर काम करने के लिए नगर निगमों, वकीलों और दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों सहित सभी हितधारकों के साथ बैठक बुलाई है ताकि इस मुद्दे पर ठोस निर्णय लिया जा सके।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने 11 दिसंबर शनिवार को दोपहर 3 बजे हाईकोर्ट परिसर में बैठक आयोजित की है। पीठ स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
पीठ ने कहा स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के प्रावधानों के कार्यान्वयन में पूरी तरह से अराजकता और बाधा है। शहर में हॉकिंग और वेंडिंग की गतिविधियों को विनियमित करने की कोई योजना नहीं है।
हर बार समस्या क्यों हो रही
अदालत ने बैठक में तीनों निगमों के आयुक्तों, दिल्ली सरकार के संबंधित अधिकारियों को शामिल होने का निर्देश दिया है। कहा बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि हम हर बार समस्या का सामना क्यों कर रहे हैं।
पीठ ने कहा आइए उनसे समझने की कोशिश करें और उन्हें अपनी समझ दें और उन्हें सुनें। आप बस वैसे काम नहीं कर रहे हैं जैसे इसे करना चाहिए था। पीठ ने स्पष्ट किया कि अधिनियम का उद्देश्य हॉकिंग और वेंडिंग गतिविधियों को विनियमित करना है। आप ऐसा नहीं कर रहे हैं।
दूसरा शनिवार लेकिन बैठक जरूरी
हाईकोर्ट ने कहा कि बैठक में दिल्ली छावनी बोर्ड के प्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस, अधिवक्ता साहू, एनडीएमसी के लिए अधिवक्ता मिनी पुष्करना, दिल्ली सरकार के गौतम नारायण और अन्य भी शामिल होंगे। पीठ ने कहा हालांकि 11 दिसंबर को दूसरा शनिवार है लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए बैठक जरूरी है।
पीठ ने कहा कि अतिक्रमण बढ़ने से चांदनी चौक जैसे इलाकों में पैदल चलना भी असंभव हो गया है। दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि चांदनी चौक इलाके में पिछले कुछ दिनों में स्थिति में सुधार हुआ है।
पीठ ने उनके तर्क पर कहा कि आप किए गए काम के लिए श्रेय का दावा करते हैं लेकिन सभी क्षेत्रों में अतिक्रमण हो रहा है, सभी जगह स्थिति खराब है और फिर प्रैक्टिस करने का क्या मतलब है?