अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 17 Dec 2021 03:28 AM IST
सार
अदालत ने कहा कि स्पा सेंटरों में देह व्यापार की रोकथाम और पूर्ण प्रतिबंध लगाने में कोई तार्किक संबंध नहीं है।
हाईकोर्ट ने राजधानी के स्पा सेंटरों में क्रॉस जेंडर मसाज पर लगे प्रतिबंध पर बृहस्पतिवार को स्टे लगा दिया। अदालत ने कहा कि स्पा सेंटरों में देह व्यापार की रोकथाम और पूर्ण प्रतिबंध लगाने में कोई तार्किक संबंध नहीं है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि उनका मानना है कि क्रॉस जेंडर मसाज पर पूर्ण प्रतिबंध का दिल्ली सरकार की नीति के उद्देश्य से कोई संबंध नहीं है। सरकार की नीति का मकसद स्पा सेंटरों की गतिविधियों को विनियमित करना और राजधानी में मानव तस्करी और देह व्यापार को रोकना है।
अदालत ने कहा कि अधिकारियों को अवैध गतिविधियों को हतोत्साहित करने के लिए स्पा सेंटरों के विनियमन के कदम उठाने चाहिए थे लेकिन ऐसा लगता है कि पूर्ण प्रतिबंध की नीति स्पा चलाने वाले लोगों से मशविरा किए बिना तय की गई।
अदालत ने आदेश दिया कि इस नीति और संबंधित प्रावधानों के क्रियान्वयन पर अगली तारीख तक रोक लगी रहेगी। वहीं अदालत ने तीनों नगर निगमों और दिल्ली पुलिस को अपने क्षेत्रों में एक सप्ताह के भीतर निरीक्षण करने और अवैध रूप से चल रहे स्पा सेंटरों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने ये भी कहा कि अगर निरीक्षण के दौरान कोई अवैध गतिविधि सामने आती है तो पुलिस उपयुक्त धाराओं में मुकदमा दर्ज करेगी और इसकी सूचना फौरन नगर निगम को देगी।
हाईकोर्ट ने ये आदेश स्पा सेंटर चलाने वालोें और थेरेपिस्टों की ओर से दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। इन याचिकाओं में दिल्ली सरकार की उस नीति और उसके बाद निगमों की ओर से जारी निर्देशों को चुनौती दी गई थी जिसके तहत क्रॉस जेंडर मसाज पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया था।
दिल्ली सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ये प्रतिबंध स्पा सेंटरों में होने वाले देह व्यापार से महिलाओं और बच्चों को बचाने के लिए लिया गया था।
एक याचिकाकर्ता एसोसिएशन ऑफ वेलनेस आयुर्वेदा एंड स्पा ने कोर्ट को बताया था कि क्रॉस जेंडर मसाज पर प्रतिबंध सांविधानिक के प्रावधानों के उल्लंघन के कारण असंवैधानिक है।
विस्तार
हाईकोर्ट ने राजधानी के स्पा सेंटरों में क्रॉस जेंडर मसाज पर लगे प्रतिबंध पर बृहस्पतिवार को स्टे लगा दिया। अदालत ने कहा कि स्पा सेंटरों में देह व्यापार की रोकथाम और पूर्ण प्रतिबंध लगाने में कोई तार्किक संबंध नहीं है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि उनका मानना है कि क्रॉस जेंडर मसाज पर पूर्ण प्रतिबंध का दिल्ली सरकार की नीति के उद्देश्य से कोई संबंध नहीं है। सरकार की नीति का मकसद स्पा सेंटरों की गतिविधियों को विनियमित करना और राजधानी में मानव तस्करी और देह व्यापार को रोकना है।
अदालत ने कहा कि अधिकारियों को अवैध गतिविधियों को हतोत्साहित करने के लिए स्पा सेंटरों के विनियमन के कदम उठाने चाहिए थे लेकिन ऐसा लगता है कि पूर्ण प्रतिबंध की नीति स्पा चलाने वाले लोगों से मशविरा किए बिना तय की गई।
अदालत ने आदेश दिया कि इस नीति और संबंधित प्रावधानों के क्रियान्वयन पर अगली तारीख तक रोक लगी रहेगी। वहीं अदालत ने तीनों नगर निगमों और दिल्ली पुलिस को अपने क्षेत्रों में एक सप्ताह के भीतर निरीक्षण करने और अवैध रूप से चल रहे स्पा सेंटरों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने ये भी कहा कि अगर निरीक्षण के दौरान कोई अवैध गतिविधि सामने आती है तो पुलिस उपयुक्त धाराओं में मुकदमा दर्ज करेगी और इसकी सूचना फौरन नगर निगम को देगी।
हाईकोर्ट ने ये आदेश स्पा सेंटर चलाने वालोें और थेरेपिस्टों की ओर से दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। इन याचिकाओं में दिल्ली सरकार की उस नीति और उसके बाद निगमों की ओर से जारी निर्देशों को चुनौती दी गई थी जिसके तहत क्रॉस जेंडर मसाज पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया था।
दिल्ली सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ये प्रतिबंध स्पा सेंटरों में होने वाले देह व्यापार से महिलाओं और बच्चों को बचाने के लिए लिया गया था।
एक याचिकाकर्ता एसोसिएशन ऑफ वेलनेस आयुर्वेदा एंड स्पा ने कोर्ट को बताया था कि क्रॉस जेंडर मसाज पर प्रतिबंध सांविधानिक के प्रावधानों के उल्लंघन के कारण असंवैधानिक है।
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