अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 11 Nov 2021 05:13 AM IST
सार
हाईकोर्ट ने कहा कि कोई क्षेत्र नहीं जो फेरीवालों से मुक्त हो…तो लुटियन जोन को क्यों छोड़ा जाए। कहा, अवैध फेरीवालों को हटाने की नहीं है राजनीतिक और सरकारी इच्छाशक्ति।
अवैध फेरी और रेहड़ी-पटरीवालों को हटाने की राजनीतिक और सरकारी इच्छाशक्ति नहीं है। लुटियन जोन के अलावा ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो अवैध घुसपैठियों से मुक्त हो। तब लुटियन जोन को क्यों छोड़ा जाए। यहां पर अवैध फेरीवाले होने चाहिए। उन्हें राष्ट्रपति भवन, पृथ्वीराज रोड, दिल्ली हाईकोर्ट, इंडिया गेट के सामने ले आइए और यहां जंगल बना दीजिए। इस क्षेत्र को भी क्यों छोड़ा जाए। हम सब को इसका सामना करना चाहिए। हाईकोर्ट ने चांदनी चौक के व्यापारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये कड़ी टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वे इस मामले में बुरी तरह नाकाम महसूस कर रहे हैं। ये खंडपीठ कई साल से चांदनी चौक क्षेत्र में पुनर्विकास कार्य की निगरानी कर रही है। खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर राजनीतिक और सरकारी इच्छाशक्ति नहीं है तो जैसे चलना है वैसे चलने दीजिए, हमें इसकी चिंता क्यों करनी चाहिए। हम इस मामले में खुद को पूरी तरह हारा हुआ महसूस कर रहे हैं।
ये जरूर हफ्ता देते होंगे
खंडपीठ ने कहा कि रेहड़ी-पटरी वाले जरूर सरकारी अधिकारियों को हफ्ता दे रहे होंगे। इसीलिए वे वहां बैठे हुए हैं और यही कारण है कि अधिकारी हालात में सुधार करना नहीं चाहते। हाईकोर्ट चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें चांदनी चौक के निषेध क्षेत्र से फेरी और रेहड़ी-पटरी वालों को हटाने का निर्देश देने का आग्रह किया है।
अदालत ने समस्या के दूसरे पहलू पर गौर करते हुए कहा कि राजधानी की मौजूदा आबादी और पूरे देश से आने वाले लोगों की संख्या को देखते हुए चांदनी चौक में फेरी और रेहड़ी-पटरी वालों पर पूरी तरह रोक लगाना व्यावहारिक नहीं दिखता। हालांकि ये नो हॉकिंग-नो वेंडिंग जोन है लेकिन लोग यहां फेरी लगाने के आदी हो गए है। लोगों की बड़ी संख्या बेरोजगार है और अपनी आजीविका कमाने का उन्हें ये आसान जरिया लगता है।
रेहड़ी-पटरी मौलिक अधिकार के रूप में मान्य : खंडपीठ ने कहा कि फेरी और रेहड़ी-पटरी को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। इसलिए हमारे विचार से जरूरी है कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत प्रशासन शीघ्र ही स्ट्रीट वेंडिंग प्लान बनाने की तैयारी करे। जिससे इस गतिविधि को नियंत्रित किया जा सके और इस मौजूदा समस्या पर रोक लगे।
अदालत ने ये भी कहा कि ये लोग रेहड़ी-पटरी से न केवल अपनी आजीविका कमाते हैं बल्कि उचित मूल्य पर सामान की खरीद भी अन्य लोगों के लिए संभव बनाते हैं। निश्चित तौर पर ही इन लोगों की राजधानी की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका है। एजेंसी
विस्तार
अवैध फेरी और रेहड़ी-पटरीवालों को हटाने की राजनीतिक और सरकारी इच्छाशक्ति नहीं है। लुटियन जोन के अलावा ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो अवैध घुसपैठियों से मुक्त हो। तब लुटियन जोन को क्यों छोड़ा जाए। यहां पर अवैध फेरीवाले होने चाहिए। उन्हें राष्ट्रपति भवन, पृथ्वीराज रोड, दिल्ली हाईकोर्ट, इंडिया गेट के सामने ले आइए और यहां जंगल बना दीजिए। इस क्षेत्र को भी क्यों छोड़ा जाए। हम सब को इसका सामना करना चाहिए। हाईकोर्ट ने चांदनी चौक के व्यापारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये कड़ी टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वे इस मामले में बुरी तरह नाकाम महसूस कर रहे हैं। ये खंडपीठ कई साल से चांदनी चौक क्षेत्र में पुनर्विकास कार्य की निगरानी कर रही है। खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर राजनीतिक और सरकारी इच्छाशक्ति नहीं है तो जैसे चलना है वैसे चलने दीजिए, हमें इसकी चिंता क्यों करनी चाहिए। हम इस मामले में खुद को पूरी तरह हारा हुआ महसूस कर रहे हैं।
ये जरूर हफ्ता देते होंगे
खंडपीठ ने कहा कि रेहड़ी-पटरी वाले जरूर सरकारी अधिकारियों को हफ्ता दे रहे होंगे। इसीलिए वे वहां बैठे हुए हैं और यही कारण है कि अधिकारी हालात में सुधार करना नहीं चाहते। हाईकोर्ट चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें चांदनी चौक के निषेध क्षेत्र से फेरी और रेहड़ी-पटरी वालों को हटाने का निर्देश देने का आग्रह किया है।
अदालत ने समस्या के दूसरे पहलू पर गौर करते हुए कहा कि राजधानी की मौजूदा आबादी और पूरे देश से आने वाले लोगों की संख्या को देखते हुए चांदनी चौक में फेरी और रेहड़ी-पटरी वालों पर पूरी तरह रोक लगाना व्यावहारिक नहीं दिखता। हालांकि ये नो हॉकिंग-नो वेंडिंग जोन है लेकिन लोग यहां फेरी लगाने के आदी हो गए है। लोगों की बड़ी संख्या बेरोजगार है और अपनी आजीविका कमाने का उन्हें ये आसान जरिया लगता है।
रेहड़ी-पटरी मौलिक अधिकार के रूप में मान्य : खंडपीठ ने कहा कि फेरी और रेहड़ी-पटरी को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। इसलिए हमारे विचार से जरूरी है कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत प्रशासन शीघ्र ही स्ट्रीट वेंडिंग प्लान बनाने की तैयारी करे। जिससे इस गतिविधि को नियंत्रित किया जा सके और इस मौजूदा समस्या पर रोक लगे।
अदालत ने ये भी कहा कि ये लोग रेहड़ी-पटरी से न केवल अपनी आजीविका कमाते हैं बल्कि उचित मूल्य पर सामान की खरीद भी अन्य लोगों के लिए संभव बनाते हैं। निश्चित तौर पर ही इन लोगों की राजधानी की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका है। एजेंसी
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