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High Court Seeks Response From Centre Google Twitter And Media Houses In Fraud Blackmailing Case Demanding Removal Of Articles From Internet – दिल्ली: धोखाधड़ी के दोषी ने की सजा संबंधी लेखों को इंटरनेट से हटाने की मांग, हाईकोर्ट ने केंद्र, गूगल, ट्विटर और मीडिया संस्थानों से मांगा जवाब

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: सुशील कुमार कुमार
Updated Thu, 11 Nov 2021 04:42 PM IST

सार

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने संचार मंत्रालयों, गूगल एलएलसी, ट्विटर और दो मीडिया हाउसेस से याचिका पर जवाब मांगा है। मामले को 13 दिसंबर के लिए तय किया है।

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हाईकोर्ट ने एक शख्स की याचिका पर केंद्र सरकार, गूगल, ट्विटर और दो मीडिया संस्थानों से जवाब मांगा है। याची को धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग मामले में विदेश में सजा सुनाई गई थी। ये शख्स चाहता है कि उसे मिली सजा से संबंधित सभी लेख और रिपोर्टों को गूगल से हटाया जाए क्योंकि उसे उसकी निजता कायम रखने का अधिकार है।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने नोटिस जारी करते हुए सुनवाई के लिए 13 दिसंबर की तारीख तय की है। अगली तारीख पर इस तरह की अन्य याचिका पर सुनवाई होनी है। इस शख्स ने याचिका दायर कर कहा है कि उसे लिसेस्टर क्राउन कोर्ट ने धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग मामले में नौ साल कैद की सजा 2015 में सुनाई थी। सजा काटने के बाद उसे इस साल जुलाई में भारत निर्वासित कर दिया गया था। उसे यहां आकर पता चला कि 2015 की उसकी सजा से संबंधित लेख और रिपोर्ट इंटरनेट पर उपलब्ध और सुलभ हैं।

याची का दावा है कि इन लेखों ने मुकदमे की सुनवाई और सजा के दौरान उसके बच्चों की जिंदगी को प्रभावित किया था। यह लेख सर्च इंजन पर आज भी उपलब्ध हैं। ये उन्हें सामाजिक जीवन में आज भी यातना दे रहे हैं। याची की ओर से अधिवक्ता राजेश राय ने कहा कि इन लेखों में आधा सच है और उनके मुवक्किल की छवि को खराब कर रह रहे हैं। इसलिए उन्हें हटाया जाए।

गूगल की ओर से अधिवक्ता ममता झा ने कहा कि याचिका में जिन लेखों का जिक्र किया गया है वे न्यायिक आदेशों और संबंधित अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई पर आधारित हैं। ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति खुद लिखकर इन लेखों को इंटरनेट पर डाल रहा है। 

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद की व्याख्या में नागरिकता के निजता के अधिकार को भी शामिल किया है। विदेशों में लागू कानून के तहत किसी शख्स द्वारा सजा काटने के बाद उसके सुधार एवं भूलने के अधिकार को मान्यता दी गई है। हालांकि भारत में अभी ऐसा कानून नहीं है। फिर भी निजता के अधिकार ऐसे मामले पर विचार करने के लिए काफी व्यापक है।

विस्तार

हाईकोर्ट ने एक शख्स की याचिका पर केंद्र सरकार, गूगल, ट्विटर और दो मीडिया संस्थानों से जवाब मांगा है। याची को धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग मामले में विदेश में सजा सुनाई गई थी। ये शख्स चाहता है कि उसे मिली सजा से संबंधित सभी लेख और रिपोर्टों को गूगल से हटाया जाए क्योंकि उसे उसकी निजता कायम रखने का अधिकार है।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने नोटिस जारी करते हुए सुनवाई के लिए 13 दिसंबर की तारीख तय की है। अगली तारीख पर इस तरह की अन्य याचिका पर सुनवाई होनी है। इस शख्स ने याचिका दायर कर कहा है कि उसे लिसेस्टर क्राउन कोर्ट ने धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग मामले में नौ साल कैद की सजा 2015 में सुनाई थी। सजा काटने के बाद उसे इस साल जुलाई में भारत निर्वासित कर दिया गया था। उसे यहां आकर पता चला कि 2015 की उसकी सजा से संबंधित लेख और रिपोर्ट इंटरनेट पर उपलब्ध और सुलभ हैं।

याची का दावा है कि इन लेखों ने मुकदमे की सुनवाई और सजा के दौरान उसके बच्चों की जिंदगी को प्रभावित किया था। यह लेख सर्च इंजन पर आज भी उपलब्ध हैं। ये उन्हें सामाजिक जीवन में आज भी यातना दे रहे हैं। याची की ओर से अधिवक्ता राजेश राय ने कहा कि इन लेखों में आधा सच है और उनके मुवक्किल की छवि को खराब कर रह रहे हैं। इसलिए उन्हें हटाया जाए।

गूगल की ओर से अधिवक्ता ममता झा ने कहा कि याचिका में जिन लेखों का जिक्र किया गया है वे न्यायिक आदेशों और संबंधित अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई पर आधारित हैं। ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति खुद लिखकर इन लेखों को इंटरनेट पर डाल रहा है। 

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद की व्याख्या में नागरिकता के निजता के अधिकार को भी शामिल किया है। विदेशों में लागू कानून के तहत किसी शख्स द्वारा सजा काटने के बाद उसके सुधार एवं भूलने के अधिकार को मान्यता दी गई है। हालांकि भारत में अभी ऐसा कानून नहीं है। फिर भी निजता के अधिकार ऐसे मामले पर विचार करने के लिए काफी व्यापक है।

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