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Greater Noida Authority News : "न्याय की उम्मीद, SIT ने ग्रेनो प्राधिकरण में 83 किसानों के लीजबैक मामलों की सुनवाई पूरी, डॉ. अरुणवीर सिंह की अगुवाई में किसानों को मिला न्याय का नया सवेरा!"

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। यूपी सरकार के विशेष जांच दल (SIT) ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लीजबैक प्रकरणों में किसानों को न्याय दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की है। SIT के अध्यक्ष डॉ. अरुणवीर सिंह ने बुधवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय में 83 किसानों के मामलों की गहन सुनवाई कर उनकी आवाज़ को प्राथमिकता दी। यह सुनवाई उन किसानों के लिए आशा की किरण बनकर आई, जो वर्षों से अपनी जमीन वापस पाने के लिए संघर्षरत थे।


🔍 “लीजबैक मामला क्या है? क्यों जल रहा था किसानों का दिल?”

लीजबैक योजना के तहत, प्राधिकरण द्वारा अधिगृहीत की गई किसानों की जमीन का 10% हिस्सा उन्हें 90 साल की लीज पर वापस दिया जाता है, ताकि वे उस पर खेती या अन्य आजीविका गतिविधियाँ चला सकें। लेकिन, भ्रष्टाचार, दस्तावेजी गड़बड़ियों और लालफीताशाही के चलते सैकड़ों किसानों को उनका हक नहीं मिल पाया। इन्हीं शिकायतों की जांच के लिए सरकार ने SIT का गठन किया, जिसने अब तक 1451 मामलों को हल किया है।


🕵️ “4 घंटे चली मैराथन सुनवाई: किसानों ने झोली में भरकर लाए सबूत!”

बुधवार सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चली मैराथन सुनवाई में SIT ने किसानों के दस्तावेजों की बारीकी से जाँच की, उनके बयान दर्ज किए और हर शिकायत को गंभीरता से सुना। डॉ. अरुणवीर सिंह ने कहा, “हमारा लक्ष्य सिर्फ़ फाइलें नहीं, बल्कि किसानों के आँसू पोंछना है। जिनके पास पहले दस्तावेज नहीं थे, उन्हें आज का दिन न्याय का दिन बनाना है।”

  • किसान रामकिशन: “15 साल से भटक रहा था, आज SIT ने मेरे दस्तावेज स्वीकार किए।”
  • मुन्नी देवी: “जमीन मिलेगी तो बेटी की शादी कर पाऊँगी।”

“खैरपुर गुर्जर का दर्द: पहले भी सुनी गई थी किसानों की पुकार!”

इससे पहले, SIT टीम ने खैरपुर गुर्जर गाँव का दौरा कर वहाँ के किसानों की समस्याएं सुनी थीं, लेकिन कई किसान तब दस्तावेजों की कमी के चलते न्याय से वंचित रह गए थे। इसी को ध्यान में रखते हुए बुधवार को दूसरा मौका दिया गया। प्राधिकरण के ACEO सुनील कुमार सिंह ने बताया, “7-8 मई को गाँव में शिविर लगाया गया था, लेकिन 25% किसान दस्तावेज नहीं ला पाए। आज हमने उनकी आशाओं को नया जीवन दिया।”

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डॉ. अरुणवीर सिंह की अगुवाई में किसानों को मिला न्याय का नया सवेरा!

“1451 प्रकरणों को मिली हरी झंडी: SIT की रिपोर्ट ने बदली तस्वीर!”

SIT की जांच के आधार पर अब तक 1451 लीजबैक प्रकरणों को शासन से मंजूरी मिल चुकी है, जो किसानों के लिए जीत की गाथा है। हालांकि, अभी भी 600+ मामले लंबित हैं, जिन पर जल्द कार्रवाई की उम्मीद है। डॉ. अरुणवीर सिंह ने आश्वासन दिया, “हर मामले को निष्पक्षता से सुलझाया जाएगा।”


🗣️ “किसानों की आवाज़: ‘हमें नहीं चाहिए लाखों, बस अपनी धरती माँ!'”

  • ओमप्रकाश (55): “मेरे बाप-दादा ने इस जमीन पर खून-पसीना बहाया। SIT ने आज मेरी आस्था बहाल की।”
  • सीमा देवी: “पति की मौत के बाद जमीन वापसी ही मेरी उम्मीद है।”
  • युवा किसान राहुल: “जमीन मिलेगी तो मैं ऑर्गेनिक खेती शुरू करूँगा।”

⚖️ “SIT की जांच प्रक्रिया: कैसे हो रही है न्याय की पड़ताल?”

  1. दस्तावेज सत्यापन: जमीन के कागजात, पट्टे और बैंक लेनदेन की जाँच।
  2. ऑन-साइट इन्स्पेक्शन: खैरपुर समेत अन्य गाँवों का भौतिक सत्यापन।
  3. क्रॉस-वेरिफिकेशन: अधिकारियों और किसानों के बयानों का मिलान।
  4. टेक्नोलॉजी का उपयोग: जीआईएस मैपिंग और ड्रोन सर्वे से जमीन का विश्लेषण।
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डॉ. अरुणवीर सिंह की अगुवाई में किसानों को मिला न्याय का नया सवेरा!

🚨 “ग्रेनो प्राधिकरण का ऐलान: ‘अब कोई नहीं रहेगा वंचित!'”

प्राधिकरण के ACEO सुनील कुमार सिंह ने कहा, “हम SIT के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं। जिन मामलों में गड़बड़ी पाई गई, उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने यह भी बताया कि डिजिटल पोर्टल लॉन्च किया जाएगा, जहाँ किसान अपने केस की स्टेटस ट्रैक कर सकेंगे।


📅 “अगला पड़ाव: कब तक मिलेगा किसानों को न्याय?”

SIT ने सभी 83 मामलों की जांच पूरी कर ली है। अब इनकी रिपोर्ट अगले 15 दिनों में शासन को सौंपी जाएगी। उम्मीद है कि जुलाई अंत तक किसानों को उनकी जमीन के पट्टे मिलने शुरू हो जाएंगे। इस बीच, शेष लंबित मामलों की सुनवाई भी अगस्त में शुरू होगी।


🌾 “क्यों जरूरी है लीजबैक? आंकड़े बताते हैं पूरी कहानी!”

  • ग्रेटर नोएडा के 72% किसान 2 एकड़ से कम जमीन पर निर्भर।
  • लीजबैक न मिलने से 40% किसानों ने कर्ज़ लेकर जीवन चलाया।
  • जमीन वापस मिलने पर 1.2 लाख लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

🌍 “सरकार का विजन: किसानों को मजबूत करेगी लीजबैक योजना!”

उत्तर प्रदेश सरकार ने लीजबैक योजना को “किसान सशक्तिकरण अभियान” का हिस्सा बनाया है। इसके तहत:

  • सब्सिडी वाले बीज और उर्वरक।
  • मुफ्त कृषि प्रशिक्षण कैंप।
  • ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा।

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