दिल्ली सरकार को अपनी नई आबकारी नीति का विरोध झेलना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों के बाद स्थानीय नगर निकायों ने भी इस नई शराब नीति के प्रति सख्ती दिखाई है।
पहले पूर्वी दिल्ली नगर निगम और अब दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने साफ किया है कि वह क्षेत्र में अवैध शराब की दुकानों को किसी कीमत पर ट्रेड लाइसेंस नहीं प्रदान करेगा, अगर किसी ने गलत तरीके से निगम को झांसे में लेकर शराब की अवैध दुकान खोल भी ली होगी, तो निगम इसे सील कर देगा।
मंगलवार को दक्षिणी निगम के महापौर मुकेश सूर्यान ने सिविक सेंटर में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि निगम ने अवैध ठेकों पर कार्रवाई के लिए विशेष अभियान शुरू किया है और निगम अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उन ठेकों के विरूद्ध कार्रवाई करें जो दिल्ली मास्टर प्लान-2021 के नियमों व अन्य जरूरी मापदंड़ों का पालन नहीं करते। चारों जोनों में ऐसे ठेकों का निरीक्षण किया जा रहा है। दक्षिणी निगम क्षेत्र में ऐसे 67 वार्ड हैं जिनमें कानूनी तौर पर शराब की दुकानें नहीं खोली जा सकतीं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने घर-घर पानी पहुंचाने का वादा किया था, लेकिन अब अपना राजस्व बढ़ाने के लिये रिहायशी, ग्रामीण क्षेत्रों, अनाधिकृत कॉलोनियों, यहां तक कि विद्यालयों व मंदिरों के पास शराब के ठेके खोले जा रहे हैं। केजरीवाल सरकार एक तरफ पंजाब को नशा मुक्त करने के वादे करती है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के युवाओं को शराब की ओर धकेल रही है।
स्थायी समिति के अध्यक्ष कर्नल बीके ओबरॉय ने बताया कि दिल्ली मास्टर प्लान-2021 के दिशा-निर्देशों के अनुसार नॉन कन्फर्मिंग एरिया में शराब के ठेके नहीं खोले जा सकते, लेकिन दिल्ली सरकार अपना राजस्व बढ़ाने के लिये दिल्ली की जनता को गुमराह कर रही है।
दिल्ली में पहले 264 ठेके थे, जोकि अब बढ़कर 865 हो गये हैं। उन्होंने बताया कि रिहायशी क्षेत्रों में इन ठेकों के खुल जाने से कानून व्यवस्था भी बाधित होगी। इसलिए हम दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति का पुरजोर विरोध करते हैं।
नेता सदन इन्द्रजीत सहरावत ने कहा कि दिल्ली सरकार रामलीला मैदान से किये गये अपने वादों को भूल गई। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि कोई भी नया कार्य करने से पहले मोहल्ला सभा से विचार विमर्श किया जाएगा। लेकिन नई आबकारी नीति के बारे में न तो महिलाओं और न ही मोहल्ला सभा से राय ली गई। बल्कि उन्होंने नई आबकारी नीति के तहत महिलाओं के लिए %पिंक शराब ठेके% भी खोले जा रहे हैं, जो कि हमारी भारतीय संस्कृति से खिलवाड़ है।
दिल्ली सरकार को अपनी नई आबकारी नीति का विरोध झेलना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों के बाद स्थानीय नगर निकायों ने भी इस नई शराब नीति के प्रति सख्ती दिखाई है।
पहले पूर्वी दिल्ली नगर निगम और अब दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने साफ किया है कि वह क्षेत्र में अवैध शराब की दुकानों को किसी कीमत पर ट्रेड लाइसेंस नहीं प्रदान करेगा, अगर किसी ने गलत तरीके से निगम को झांसे में लेकर शराब की अवैध दुकान खोल भी ली होगी, तो निगम इसे सील कर देगा।
मंगलवार को दक्षिणी निगम के महापौर मुकेश सूर्यान ने सिविक सेंटर में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि निगम ने अवैध ठेकों पर कार्रवाई के लिए विशेष अभियान शुरू किया है और निगम अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उन ठेकों के विरूद्ध कार्रवाई करें जो दिल्ली मास्टर प्लान-2021 के नियमों व अन्य जरूरी मापदंड़ों का पालन नहीं करते। चारों जोनों में ऐसे ठेकों का निरीक्षण किया जा रहा है। दक्षिणी निगम क्षेत्र में ऐसे 67 वार्ड हैं जिनमें कानूनी तौर पर शराब की दुकानें नहीं खोली जा सकतीं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने घर-घर पानी पहुंचाने का वादा किया था, लेकिन अब अपना राजस्व बढ़ाने के लिये रिहायशी, ग्रामीण क्षेत्रों, अनाधिकृत कॉलोनियों, यहां तक कि विद्यालयों व मंदिरों के पास शराब के ठेके खोले जा रहे हैं। केजरीवाल सरकार एक तरफ पंजाब को नशा मुक्त करने के वादे करती है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के युवाओं को शराब की ओर धकेल रही है।
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