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नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कालकाजी मंदिर परिसर में दुकानदारों और निवासियों द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाने और भक्तों के लिए पोर्टेबल पेयजल सुविधाओं के संबंध में अतिरिक्त निर्देश जारी किए हैं।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि जिन दुकानदारों ने वहां अपना आवास बना लिया और धर्मशाला सहित दुकानों पर अनधिकृत कब्जा कर लिया है, उन्हें खाली करने की जरूरत है।
अदालत ने कहा यह स्पष्ट किया जाता है कि मंदिर परिसर से दुकानों और अनधिकृत कब्जाधारकों को हटाने के लिए नियुक्त प्रशासक इस न्यायालय के पिछले आदेशों के अनुसार 10 दिसंबर 21 से प्रभावी कार्रवाई करना शुरू कर देंगे।
अदालत ने नियुक्त आर्किटेक्ट को पूरे मंदिर परिसर का निरीक्षण और सर्वेक्षण कर एक वैकल्पिक स्थान का सुझाव दिया जहां मंदिर के पुनर्विकास की अंतिम योजना को मंजूरी मिलने तक अस्थायी रूप से दुकानें चलाई जा सकें।
तहबाजारी पर दुकान चलाने का विकल्प
अदालत ने कहा यदि दुकानदार इस अदालत के समक्ष अंडरटेकिंग देते हैं तो उन्हें उच्चतम बोली के आधार पर एक विकल्प दिया जा सकता है कि वे तहबाजारी/लाइसेंस शुल्क के भुगतान के अधीन निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार दुकानें चला सकें।
अदालत ने कहा यदि दुकानदार इस आशय का अपना वचन देते हैं कि वे मंदिर परिसर में कब्जा या निवास नहीं करेंगे, तो अदालत उनके उपक्रमों पर विचार कर सकती है और सुनवाई की अगली तारीख को निर्देश पारित कर सकती है।
अदालत ने उन दुकानदारों के संबंध में, जिनके मंदिर परिसर में अनधिकृत आवास खाली किए जाने हैं, उन्हें दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) और डीडीए से वैकल्पिक परिसर बदलने के लिए संपर्क करने की अनुमति दी लेकिन वे कानून के अनुसार पात्र होने चाहिए।
अदालत ने दिल्ली जल बोर्ड को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अवरुद्ध सीवर लाइनें जो काम की स्थिति में नहीं थीं, उन्हें खोला जाए। वहीं, श्रद्धालुओं को पोर्टेबल पेयजल सुविधा प्रदान करने के कदम उठाए। अदालत ने कालकाजी मंदिर के एक बरीदार द्वारा दायर 27 सितंबर 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिका को भी खारिज कर दिया।
नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कालकाजी मंदिर परिसर में दुकानदारों और निवासियों द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाने और भक्तों के लिए पोर्टेबल पेयजल सुविधाओं के संबंध में अतिरिक्त निर्देश जारी किए हैं।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि जिन दुकानदारों ने वहां अपना आवास बना लिया और धर्मशाला सहित दुकानों पर अनधिकृत कब्जा कर लिया है, उन्हें खाली करने की जरूरत है।
अदालत ने कहा यह स्पष्ट किया जाता है कि मंदिर परिसर से दुकानों और अनधिकृत कब्जाधारकों को हटाने के लिए नियुक्त प्रशासक इस न्यायालय के पिछले आदेशों के अनुसार 10 दिसंबर 21 से प्रभावी कार्रवाई करना शुरू कर देंगे।
अदालत ने नियुक्त आर्किटेक्ट को पूरे मंदिर परिसर का निरीक्षण और सर्वेक्षण कर एक वैकल्पिक स्थान का सुझाव दिया जहां मंदिर के पुनर्विकास की अंतिम योजना को मंजूरी मिलने तक अस्थायी रूप से दुकानें चलाई जा सकें।
तहबाजारी पर दुकान चलाने का विकल्प
अदालत ने कहा यदि दुकानदार इस अदालत के समक्ष अंडरटेकिंग देते हैं तो उन्हें उच्चतम बोली के आधार पर एक विकल्प दिया जा सकता है कि वे तहबाजारी/लाइसेंस शुल्क के भुगतान के अधीन निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार दुकानें चला सकें।
अदालत ने कहा यदि दुकानदार इस आशय का अपना वचन देते हैं कि वे मंदिर परिसर में कब्जा या निवास नहीं करेंगे, तो अदालत उनके उपक्रमों पर विचार कर सकती है और सुनवाई की अगली तारीख को निर्देश पारित कर सकती है।
अदालत ने उन दुकानदारों के संबंध में, जिनके मंदिर परिसर में अनधिकृत आवास खाली किए जाने हैं, उन्हें दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) और डीडीए से वैकल्पिक परिसर बदलने के लिए संपर्क करने की अनुमति दी लेकिन वे कानून के अनुसार पात्र होने चाहिए।
अदालत ने दिल्ली जल बोर्ड को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अवरुद्ध सीवर लाइनें जो काम की स्थिति में नहीं थीं, उन्हें खोला जाए। वहीं, श्रद्धालुओं को पोर्टेबल पेयजल सुविधा प्रदान करने के कदम उठाए। अदालत ने कालकाजी मंदिर के एक बरीदार द्वारा दायर 27 सितंबर 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिका को भी खारिज कर दिया।