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Instructions To Start The Recruitment Process Of Doctors And Paramedical Staff – डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश

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नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को राजधानी के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह निर्देेेश उस याचिका पर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है।
अदालत ने इस मुद्दे पर केंद्र के अलावा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), सफदरजंग अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी तय की है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा आप भर्ती प्रक्रिया शुरू कीजिए और नियुक्तियां कीजिए। इसमें कुछ गति दिखाओ यह आवश्यक है।
पीठ ने कहा यदि आपको उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं तो यह आवश्यक नहीं है कि सभी रिक्तियों को भरा जाए। आप भर्ती प्रक्रिया शुरू करें, आप यह नहीं कह सकते कि आप कभी भी प्रक्रिया शुरू नहीं करेंगे। अस्पतालों में करीब 800 डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की कमी है।
अदालत सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व विधायक डॉ नंद किशोर गर्ग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। याची की ओर से पेश वकील शशांक देव सुधी ने दावा किया कि शहर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। इससे निर्दोष और गरीब मरीजों को निजी अस्पताल में जाने और भारी राशि चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि सरकारी अधिकारियों ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को नहीं निभाया और इस तरह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन किया।
याची ने कहा सात फरवरी 2020 की आरटीआई से पता चला कि 1838 डॉक्टर दिल्ली के स्वास्थ्य और कल्याण विभाग में काम कर रहे हैं, जबकि 745 पद खाली हैं। दो नवंबर 2021 की आरटीआई के अनुसार गुरु तेग बहादुर अस्पताल में स्वीकृत 475 में से 135 पोस्ट रिक्त हैं।
आरटीआई के अनुसार विभिन्न श्रेणियों में डॉक्टरों की 800 से अधिक रिक्तियों का खुलासा हुआ है। एम्स के अलावा केंद्र सरकार के एक अन्य अस्पताल सफदरजंग में 433 डॉक्टरों और 67 पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। इसके अलावा राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 100 से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की रिक्तियां हैं।

नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को राजधानी के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह निर्देेेश उस याचिका पर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है।

अदालत ने इस मुद्दे पर केंद्र के अलावा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), सफदरजंग अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी तय की है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा आप भर्ती प्रक्रिया शुरू कीजिए और नियुक्तियां कीजिए। इसमें कुछ गति दिखाओ यह आवश्यक है।

पीठ ने कहा यदि आपको उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं तो यह आवश्यक नहीं है कि सभी रिक्तियों को भरा जाए। आप भर्ती प्रक्रिया शुरू करें, आप यह नहीं कह सकते कि आप कभी भी प्रक्रिया शुरू नहीं करेंगे। अस्पतालों में करीब 800 डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की कमी है।

अदालत सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व विधायक डॉ नंद किशोर गर्ग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। याची की ओर से पेश वकील शशांक देव सुधी ने दावा किया कि शहर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। इससे निर्दोष और गरीब मरीजों को निजी अस्पताल में जाने और भारी राशि चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि सरकारी अधिकारियों ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को नहीं निभाया और इस तरह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन किया।

याची ने कहा सात फरवरी 2020 की आरटीआई से पता चला कि 1838 डॉक्टर दिल्ली के स्वास्थ्य और कल्याण विभाग में काम कर रहे हैं, जबकि 745 पद खाली हैं। दो नवंबर 2021 की आरटीआई के अनुसार गुरु तेग बहादुर अस्पताल में स्वीकृत 475 में से 135 पोस्ट रिक्त हैं।

आरटीआई के अनुसार विभिन्न श्रेणियों में डॉक्टरों की 800 से अधिक रिक्तियों का खुलासा हुआ है। एम्स के अलावा केंद्र सरकार के एक अन्य अस्पताल सफदरजंग में 433 डॉक्टरों और 67 पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। इसके अलावा राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 100 से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की रिक्तियां हैं।

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