UP Yogi Govt News : योगी सरकार के ताकतवर मंत्री के खिलाफ जांच शुरू?, क्या नंद गोपाल नंदी के ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाले की परतें अब खुलेंगी?, शासन ने मांगे सबूत, भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे मंत्री के लिए बढ़ी मुश्किलें?

लखनऊ | उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी के खिलाफ ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाले में जांच शुरू हो गई है। यह जांच पूर्व आईएएस अधिकारी और आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर की शिकायत के बाद शुरू हुई है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश शासन ने अमिताभ ठाकुर से इस घोटाले के समर्थन में शपथ पत्र और प्रमाण सौंपने को कहा है। औद्योगिक विकास अनुभाग-4 के संयुक्त सचिव जयवीर सिंह ने 10 मार्च 2025 को पत्र जारी कर ठाकुर को निर्देश दिए कि वे इस पूरे प्रकरण में अपने आरोपों के समर्थन में दस्तावेज और सबूत प्रस्तुत करें।
अब सवाल उठ रहा है कि क्या योगी सरकार अपने ही मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के मूड में है, या फिर यह मामला भी समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब विधान परिषद में विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा एक सवाल उठाया। इसके जवाब में मंत्री नंद गोपाल नंदी ने बताया कि 2023-24 में 12 अधिकारियों का तबादला किया गया।
लेकिन यहां चौंकाने वाली बात यह रही कि इनमें से 5 अधिकारी – सी. के. मौर्य, विनोद कुमार, अजय दीप सिंह, प्रदीप कुमार सत्यार्थी और शर्मिला पटेल – पहले से ही सतर्कता जांच और अन्य गंभीर आरोपों के घेरे में थे।

इतना ही नहीं, ठाकुर ने आरोप लगाया कि नियमों को ताक पर रखते हुए अजय कुमार यादव, मंसूर कटिहार, शर्मिला पटेल और आशीष नाथ को उनकी वरिष्ठता से ऊपर के पदों पर तैनात कर दिया गया।
इस मामले में बड़ा सवाल यह है कि क्या बिना मंत्री की मंजूरी के इतने बड़े पैमाने पर तबादले और प्रमोशन हो सकते हैं? ठाकुर का कहना है कि यह पूरा घोटाला मंत्री के आदेश और सहमति से हुआ है, इसलिए इसकी उच्च स्तरीय जांच बेहद जरूरी है।
क्या घोटाले में और भी बड़े नाम शामिल हैं?
उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले कोई नई बात नहीं हैं। कई मौकों पर यह देखा गया है कि बड़े अधिकारियों की पोस्टिंग और तबादलों में नेताओं और मंत्रियों की सीधी दखल रहती है।
इस घोटाले में नंद गोपाल नंदी का नाम सामने आना इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि वह योगी सरकार के सबसे ताकतवर मंत्रियों में से एक हैं। अगर इस मामले में जांच आगे बढ़ती है और साक्ष्य मजबूत होते हैं, तो यह पूरी सरकार के लिए बड़ी सिरदर्दी बन सकता है।
क्या है अमिताभ ठाकुर का आरोप?
पूर्व आईएएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर का कहना है कि इस घोटाले में मंत्री नंद गोपाल नंदी की संलिप्तता साफ दिखाई दे रही है। उनका कहना है कि –
- ट्रांसफर-पोस्टिंग में शासनादेश का उल्लंघन किया गया।
- दागी अफसरों को पदोन्नति और महत्वपूर्ण पोस्टिंग दी गई।
- वरिष्ठता की अनदेखी करते हुए मनमाने तरीके से नियुक्तियां की गईं।
- बिना मंत्री की मंजूरी के इतनी बड़ी प्रशासनिक फेरबदल संभव नहीं।
अब सरकार की तरफ से ठाकुर को अपने आरोपों के समर्थन में सबूत देने को कहा गया है। अगर उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेज मजबूत होते हैं, तो नंदी के खिलाफ सरकार को सख्त कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
क्या नंदी पहले भी विवादों में रहे हैं?
यह पहला मौका नहीं है जब नंद गोपाल नंदी किसी बड़े विवाद में घिरे हों।
- प्रयागराज के माफिया डॉन अतीक अहमद की पत्नी ने भी उन पर करोड़ों रुपये हड़पने के आरोप लगाए थे।
- समाजवादी पार्टी के नेता रेवती रमण के साथ मारपीट मामले में नंदी को एमपी-एमएलए कोर्ट से एक साल की सजा मिल चुकी है।
- उन पर पहले भी कई प्रशासनिक घोटालों में शामिल होने के आरोप लग चुके हैं।
अब ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाले में उनका नाम आने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या योगी सरकार इस बार अपने मंत्री को बचाने की कोशिश करेगी, या फिर उन पर भी गाज गिरेगी?
क्या अब आगे होगी कार्रवाई?
- अमिताभ ठाकुर को अपने आरोपों के समर्थन में शपथ पत्र और दस्तावेज सौंपने होंगे।
- यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो नंदी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
- सरकार चाहें तो CBI या अन्य एजेंसियों से भी इस मामले की जांच करवा सकती है।
- यदि भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत मिलते हैं, तो नंदी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।

क्या कहता है विपक्ष ?
उत्तर प्रदेश में विपक्ष ने इस मामले पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
- एक सपा नेता ने ट्वीट कर कहा, “योगी सरकार में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। अगर मुख्यमंत्री में हिम्मत है, तो अपने मंत्री को बर्खास्त करें।”
- वहीं कांग्रेस नेता ने कहा, “उत्तर प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि जब आम आदमी को भ्रष्टाचार के नाम पर जेल में डाला जाता है, तो मंत्री क्यों बच जाते हैं?”
अब देखना यह होगा कि योगी सरकार अपने मंत्री पर कार्रवाई करती है या नहीं।
क्या यह घोटाला और बढ़ेगा?
उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर-पोस्टिंग का यह खेल वर्षों से चलता आ रहा है। यदि इस मामले में कड़ी कार्रवाई होती है, तो अन्य विभागों में भी ऐसे ही मामलों की जांच शुरू हो सकती है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ अपने ही मंत्री के खिलाफ क्या कदम उठाते हैं, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह धूल चाटने को मजबूर हो जाएगा।
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