और निखरेगी खादी, रेंज भी बढ़ेगी
रफ़्तार टुडे, दिल्ली। खादी को और निखारने के लिए विभाग आधुनिक तकनीक, नामचीन फ़ैशन डिजाइनरों और निफ्ट जैसी संस्थाओं से लेगा मदद। बिक्री बढ़ाने के लिए ऑन लाइन प्लेटफार्म से जुड़ेंगे खादी के उत्पाद। मांग बढ़ने से लाखों कत्तीनों और बुनकरों को होगा लाभ
मिशन शक्ति में भी होगी खादी की महत्वपूर्ण भूमिका
स्वदेशी, स्वावलंबन, स्वाभिमान और स्वरोजगार का प्रतीक। खूबियों एवं संभावनाओं से भरपूर खादी में योगी सरकार और निखार लाएगी। साथ ही इसकी रेंज भी बढ़ेगी। अब खादी सिर्फ कपड़ों तक ही सीमित नहीं रहेगी। खादी के कपड़ों के जरिए जूते, बैग, फैंसी पर्स आदि भी तैयार किए जाएंगे।
रही बात खादी के कपड़ों को आकर्षक लुक देकर इनकी खूबसूरती निखारने की तो इस काम में योगी सरकार देश के नामचीन फ़ैशन डिजाइनरों और इससे संबंधित (निफ्ट) संस्थाओं की मदद लेगी। इसके लिए सूत की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए खादी उत्पादन केंद्रों की तकनीक को आधुनिक बनाएगी। बड़े पैमाने पर सोलर चरखों का भी वितरण करेगी। जिनको ये चरखे दिए जाएंगे उनको इसे चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। कुल मिलाकर अगले पांच साल में विभाग ने 5000 सोलर चरखों के वितरण का ल्क्ष्य रखा है।इससे धागों की गुणवत्ता तो सुधरेगी ही उत्पादन भी बढ़ जाएगा।
मालूम हो कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में खादी के 14 सरकारी केंद्र हैं। इन केंद्रों के पुराने लूम की जगह नए सोलर लूम लगाए जाएंगे।
सरकार ने इस बाबत अगले पांच साल के लिए मुकम्मल कार्य योजना भी तैयार की है। पिछले दिनों अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्ययोजना को देखा और जरूरी निर्देश भी दिए।
कार्ययोजना के मुताबिक़ पंडित दीनदयाल खादी विपणन विकास सहायता योजना (एमडीए) के तहत अगले पांच वर्षों में 25 हजार कत्तीनों एवं बुनकरों को लाभान्वित किया जाएगा।
उम्मीद है कि सरकार के इन प्रयासों से खादी की मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ाने के लिए खादी को फैशन के अनुरूप बनाने, रेंज बढ़ाने के साथ सरकार मार्केटिंग पर भी जोर देगी। इस क्रम में खादी एवं ग्रामोद्योग के उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से जोड़ा जाएगा।
खादी एवं ग्रामोद्योग संभावनों का क्षेत्र है। इकोफ्रेंडली होने के साथ न्यूनतम संरचना,कम पूंजी और कम जोखिम में इससे जुड़े उद्योग को लगाया जा सकता है। पूंजी के अनुपात में स्थानीय स्तर परबयह सर्वाधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है। सूत बनाने का काम अधिकांश महिलाएं करती हैं। लिहाजा उनको स्वावलंबी बनाकर यह मिशन शक्ति में भी मददगार है।