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नई दिल्ली। कोरोना महामारी की चपेट में आए एक अधिवक्ता की विधवा ने मुआवजे व पति के इलाज पर हुए खर्च का भुगतान करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। अदालत ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने दिल्ली सरकार के अलावा लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एलआईसी) और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने मामले की सुनवाई 16 फरवरी 22 तय की है।
याची रूबी सेहरावत की ओर से पेश अधिवक्ता तरुण राणा ने बताया कि उनकी मुवक्किला एक वकील की विधवा हैं, जिनका मुख्यमंत्री एडवोकेट वेलफेयर स्कीम के तहत योजना से बीमा है। दिल्ली सरकार ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के साथ नामांकित अधिवक्ताओं के लिए एक समूह अवधि जीवन बीमा और मेडिक्लेम लाभ शुरू किया था। याचिकाकर्ता, उसके पति और उसके बच्चों के नाम से ई-कार्ड जारी किए गए थे।
उन्होंने कहा याचिकाकर्ता के पति की उम्र करीब 45 साल थी और वह इस वर्ष अप्रैल में कोविड पॉजिटिव पाया गया। करीब दो हफ्ते से ज्यादा समय तक अस्पताल में इलाज के बावजूद उसकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता ने आवश्यक दस्तावेज के साथ ‘मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना’ के तहत समूह अवधि जीवन बीमा के तहत दावा दायर किया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह दिल्ली सरकार द्वारा 25 जून 21 को दिए गए पत्र से घोर सदमे और आश्चर्य में है जिसमें कहा गया है कि दायर किए गए दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया जाता है कि उसने पंजीकरण के समय अपना मतदाता फोटो पहचान पत्र नंबर उपलब्ध नहीं कराया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि उक्त पत्र में इस बात की पुष्टि हुई है कि याचिकाकर्ता के पति का पंजीकरण मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के तहत किया गया था।
याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया कि दिल्ली सरकार और एलआईसी को मुआवजा व पति के इलाज पर खर्च का भुगतान करने का निर्देश दिया जाए।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता सत्यकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना की शर्तों के तहत लाभार्थियों को उक्त नीति का लाभ उठाने के लिए अपना फोटो सहित पहचान पत्र पेश करना आवश्यक है।
नई दिल्ली। कोरोना महामारी की चपेट में आए एक अधिवक्ता की विधवा ने मुआवजे व पति के इलाज पर हुए खर्च का भुगतान करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। अदालत ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने दिल्ली सरकार के अलावा लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एलआईसी) और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने मामले की सुनवाई 16 फरवरी 22 तय की है।
याची रूबी सेहरावत की ओर से पेश अधिवक्ता तरुण राणा ने बताया कि उनकी मुवक्किला एक वकील की विधवा हैं, जिनका मुख्यमंत्री एडवोकेट वेलफेयर स्कीम के तहत योजना से बीमा है। दिल्ली सरकार ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के साथ नामांकित अधिवक्ताओं के लिए एक समूह अवधि जीवन बीमा और मेडिक्लेम लाभ शुरू किया था। याचिकाकर्ता, उसके पति और उसके बच्चों के नाम से ई-कार्ड जारी किए गए थे।
उन्होंने कहा याचिकाकर्ता के पति की उम्र करीब 45 साल थी और वह इस वर्ष अप्रैल में कोविड पॉजिटिव पाया गया। करीब दो हफ्ते से ज्यादा समय तक अस्पताल में इलाज के बावजूद उसकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता ने आवश्यक दस्तावेज के साथ ‘मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना’ के तहत समूह अवधि जीवन बीमा के तहत दावा दायर किया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह दिल्ली सरकार द्वारा 25 जून 21 को दिए गए पत्र से घोर सदमे और आश्चर्य में है जिसमें कहा गया है कि दायर किए गए दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया जाता है कि उसने पंजीकरण के समय अपना मतदाता फोटो पहचान पत्र नंबर उपलब्ध नहीं कराया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि उक्त पत्र में इस बात की पुष्टि हुई है कि याचिकाकर्ता के पति का पंजीकरण मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के तहत किया गया था।
याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया कि दिल्ली सरकार और एलआईसी को मुआवजा व पति के इलाज पर खर्च का भुगतान करने का निर्देश दिया जाए।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता सत्यकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना की शर्तों के तहत लाभार्थियों को उक्त नीति का लाभ उठाने के लिए अपना फोटो सहित पहचान पत्र पेश करना आवश्यक है।