BIG BREAKING: भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा बने भाजपा के चाणक्य, जिले से विपक्ष को पूरी तरह खत्म किया
नोएडा, रफ्तार टुडे: भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा बने भाजपा के चाणक्य, विपक्ष को पूरी तरह खत्म किया।भारतीय जनता पार्टी की राजनीति या यूं कहिए यहां के सांसद डॉ.महेश शर्मा पर फिट बैठता है। रविवार को भाजपा में जिन नेताओं का इस्तक़बाल हुआ, वह सबकुछ इन्हीं दो शेरों के इर्द-गिर्द की कहानी है। जरा समझिएगा!
गौतमबुद्ध नगर के गुर्जर समाज में अच्छा-खासा कद रखने वाले सतवीर गुर्जर यकायक बसपा सुप्रीमो मायावती का दुलार भूल बैठे और वे सांसद महेश शर्मा के कारण भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। सतवीर गुर्जर का बसपा शासन में डंका बजता था। अंदाजा इस बार से लगा सकते हैं कि तत्कालीन गौतमबुद्ध नगर के सांसद सुरेंद्र सिंह नागर के लिए बसपा में परेशनियां खड़ी करने वालों में सतवीर गुर्जर भी थे। आपको याद होगा कि 2009 के लोकसभा चुनाव में सुरेंद्र सिंह नागर ने डॉ.महेश शर्मा को चुनाव हराया था। अब सुरेंद्र सिंह नागर भाजपा में हैं, तथा यहां की राजनीति को गंदे गड्ढे में डालने में लगे हुए हैं।
बसपा में गुटबाजी के कारण सतवीर गुर्जर परेशान थे। तेजी से हुए शहरीकरण ने गौतमबुद्ध नगर में बसपा की उम्मीदें या कहें कि सतवीर गुर्जर की बसपा में रहते उमीदें धूमिल कर दी हैं। यही वजह रही कि सतवीर गुर्जर दादरी सीट से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए तो किसान नेता मनवीर भाटी को ‘बली का बकरा’ बनवा दिया। सतवीर गुर्जर को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करवाने में अहम योगदान गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ.महेश शर्मा का है। तभी तय हो गया था कि सतवीर भाजपा जाने वाले हैं। कुल मिलाकर साफ है कि महेश शर्मा और सतवीर गुर्जर की जुगलबंदी पुरानी है। बसपा शासनकाल में डॉ.महेश शर्मा पर बड़ा संकट आया था, तब सतवीर गुर्जर ही तारणहार बने थे।
सांसद डॉ.महेश शर्मा की बोलने में बराबरी कोई नहीं कर सकता है। परिणाम भाजपा के पक्ष में आया लेकिन डॉ.महेश शर्मा के लिए आशातीत नहीं रहा। लिहाजा, जिले से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक यह पूरा खेल खुलकर सामने आ गया। हालांकि, वह अब त्रिपुरा, हिमाचल और गुजरात चुनाव छोड़कर सीएम की अगुवानी का कोई मौक़ा नहीं छोड़ रहे हैं।
जिले में सबसे ज्यादा गुर्जर नेता अब बीजेपी में हैं। अब सतवीर की बीजेपी में एंट्री का क्या फायदा होगा? यह तो भविष्य बताएगा लेकिन इस एंट्री के तीन बड़े फैक्टर हैं। समाजवादी पार्टी से एमएलसी नरेंद्र भाटी को लेकर आए थे। वह भाजपा में भी एमएलसी समायोजित हो गए। बात फैलाई गई कि अब उनके पास सुरेंद्र सिंह नागर और ठाकुर धीरेन्द्र सिंह की जुगलबंदी का जवाब है। नरेंद्र सिंह भाटी के भाई कैलाश भाटी की भूमिका तुस्याना भूमि घोटाले में सामने आई और उन्हें जेल जाना पड़ा। यह भी निरहा शिगूफा रह गया। यह पूरी कहानी सबको याद है। गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र की ही बराबर जनसंख्या वाले त्रिपुरा के प्रभारी बनने में कामयाब हो गए। इस नियुक्ति पर बधाइयां मिलने के कारण अपना कद और ऊंचा कर लिया।
अब फिर धुल-गुबार उड़ाया गया है। कहा जा रहा है कि यह सब आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महेश शर्मा ने मास्टर स्ट्रोक चला है। लेकिन हकीकत शेर, “इससे पहले महेश शर्मा पूर्व मंत्री नरेंद्र भाटी को साइकिल से उतारकर ला चुके हैं। हाथी से उतारकर पूर्व मंत्री वेदराम भाटी बैंच पर बैठकर वेट कर रहे हैं। अब वहीं से सतवीर गुर्जर आकर बैठ गए हैं। और भी तमाम लोग हैं। इन सबकी पुरानी पार्टियां सत्ता से बाहर हैं और अभी रास्ता कठिन है। लिहाजा किसी को राजनीतिक जमीन बचाने, किसी को कारोबार बचाने और किसी को घोटालों की जांच से बचने के लिए सत्ता शिविर से नजदीकी बनाना जरूरत है।
सांसद डॉ.महेश शर्मा पार्टी के बड़े नेताओं को दिखाना चाहते हैं कि जिले में तमाम पार्टियों के तमाम नेताओं बुलाकर वह भाजपा में खड़ा कर सकते हैं। उनकी जिले ताकत बरकरार है। दूसरी ओर जिले में अपने विरोधियों को अपनी ताकत का एहसास करवाना चाहते हैं। संदेश देना है कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी में कमजोर समझने की हिमाकत ना करें, ऊपर तक पहुंच है। लेकिन इस सबके बीच वह एक कहावत भूल रहे हैं, “ज्यादा जोगी मठ उजाड़।” ये जो लोग आ रहे हैं, उनकी इच्छाएं और महत्वकांक्षाएं कैसे पूरी होंगी?