नई दिल्ली7 घंटे पहले
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राम कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि वर्तमान का सम्मान करना चाहिए, नए विचारों को सिर्फ द्वेष भावना के कारण नहीं ठुकराना चाहिए।
राम कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि वर्तमान का सम्मान करना चाहिए। नए विचारों को सिर्फ द्वेष भावना के कारण नहीं ठुकराना चाहिए। सिरी फोर्ट आडिटोरियम में चल रही राम कथा साधु चरित मानस के पांचवे दिन बापू ने कहा कि प्रत्येक श्रेष्ठ नए विचार को स्वीकार करो। हम नए विचार को स्वीकार नहीं कर पाते। घिसीपिटी परिपाटी पर ही। नए को बाहर रोक देते हैं कि बाहर रहो, अंदर जगह नहीं है जबकि कारण द्वेष होता है। और फिर जब नया विचार देने वाला व्यक्ति वक्त के दायरे से निकल जाता है तो हम उसका जिक्र करते हैं कि वाह क्या बात थी। फिर हम उसकी तलाश शुरू करते हैं।
उसेके पांवों के चिन्ह तलाशते हैं,। उनका जिक्र करने में अच्छा लगता है। हमने हर समय में महापुरुषों से ऐसा ही व्यवहार किया है। उनके जाने खा बाद उनकी तस्वीरों की पूजा करते हैं। हमसे जीवंत की उपेक्षा ही होती है। साधु चरित की महिमा बताते हुए बापू ने कहा कि साधु वह है जो दूसरे के दुख में दुखी रहे और दूसरे के सुख में सुखी रहे। हम आधा ही निभा पाते हैं।दूसरे के दुख में दुखी तो हो जाते हैं लेकिन दूसरे के सुख में सुखी नहीं हो पाते।
साधु वह है जिसका कोई दुश्मन नहीं होता। कोई दुश्मनी माने तो ये उसकी समस्या है, साधु किसी को दुश्मन नहीं मानता। साधु को किसी से कोई कामना नहीं होती है। उसकी एक ही कामना रहती है, और वो है राम नाम परायन। बापू ने कहा कि पाश्चात्य विचारकों के प्रभाव में रहो लेकिन भारत के साधुओं के स्वभाव को भी याद रखो। शेक्सपियर ने रोमियो जूलियट में जूलियट के मुंह से रोमियो का कह रहा है किसी प्रसंग में कि तेरे नाम का कोई दूसरा भी है हमारा दुश्मन तो तू क्यों परेशान होता है नाम में क्या रखा है पूरी दुनिया में यह सूत्र फैल गया नाम में क्या रखा है नहीं जो नाम में बहुत खुश रखा है।