सिद्धू ने अरविंद केजरीवाल पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि पहले दिल्ली के शिक्षकों को पक्का करो, फिर पंजाब में वादा करें। सिद्धू ने चुनाव के लिए पंजाब में किए जा रहे दावों को झूठा करार देते हुए कहा कि पांच साल पहले किए वादे को पूरा नहीं कर सके तो पंजाब में क्या करेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को गुरु का दर्जा है, मगर सड़कों पर हैं। ऐसा होना दिल्ली, पंजाब या किसी राज्य या देश के लिए अच्छा नहीं है।
केजरीवाल की तरफ से पंजाब में किए गए दावों पर सिद्धू ने झूठे होने का आरोप लगाते हुए कहा कि अपना रोग बढ़ता जाए और दूसरों को दवा बताएं। प्रदर्शनकारियों की भीड़ से अतिथि शिक्षकों को पक्का करने की मांग दोहराते हुए नारेबाजी लगातार चलती रही। इस दौरान शिक्षकों ने भी अपनी मांगों को सिद्धू के समक्ष रखते हुए कहा कि पिछले चार साल से एक रुपया भी तनख्वाह में बढ़ोतरी नहीं हुई है।
सिद्धू ने कहा कि शिक्षकों का कॉन्ट्रैक्टर प्रत्येक 15 दिन बाद दोबारा रिन्यू किया जाता है। शिक्षकों को दिहाड़ी पर रखा जाना, उनके सम्मान की अनदेखी है। इसके लिए जरूरी है कि सरकार कोई ठोस नीति लाए और बजट में प्रावधान करें, ताकि शिक्षकों की मांगे पूरी हो सके। सिद्धू ने कहा कि दिल्ली में एक हजार से अधिक स्कूल हैं, मगर अभी भी महज 196 में प्रिंसिपल हैं। मैं इसका पर्दाफाश करूंगा, अभी भी 800 से अधिक स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं।
गुरुकुल परंपरा को किया याद
..जो बोले सो निहाल के गूंजते नारों के बीच सिद्धू ने कहा कि शिक्षक चाहे पंजाब के हों या दिल्ली के, अगर सड़कों पर उतरना पड़ा तो अच्छा नहीं है। गुरुकुल परंपरा की याद दिलाते हुए सिद्धू ने कहा कि जिनके पांव छूते हैं, अगर सड़क पर होंगे तो कैसे अच्छा लगेगा। शिक्षकों को पक्का करने के लिए जरूरी है कि एक स्थायी नीति बनाई जाए। सिद्धू ने कहा कि अगर शिक्षकों की मांगें पूरी नहीं होती तो विरोध जताने क्यों पहुंचते। उन्होंने बताया कि पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह शिक्षकों के लिए नई नीति बना रहे हैं और जमीन पर लागू किया जाएगा। केजरीवाल के दावों पर कटाक्ष करते हुए सिद्धू ने कहा कि दिल्ली में किसानों की संख्या काफी कम है तो पुलिस की तनख्वाह का भुगतान भी केंद्र सरकार की ओर से किया जाता है। दिल्ली सरकार भले ही सेवाएं फ्री में देने का दावा करती है, मगर हकीकत अलग है। शिक्षा कामधेनु गाय है, अगर शिक्षक ही सड़क पर होंगे तो हालात कैसे सुधर सकते हैं।
महिलाओं को सशक्तिकरण चाहिए, भीख नहीं
प्रदर्शनकारियों के बीच सिद्धू ने कहा कि केजरीवाल ने आठ लाख युवाओं को रोजगार का दावा किया, मगर अब तक 440 ही नियुक्तियां हुईं। खोखला मॉडल दिखाकर पंजाब में युवाओं को रोजगार और शिक्षकों को पक्का करने के दावे कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक-एक हजार रुपये देने का पंजाब में आम आदमी पार्टी ने दावा किया है। इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले अपना घर तो संभालो…, दिल्ली में कितनी महिलाओं को मिला। महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, मगर दिल्ली कैबिनेट में एक भी महिला सदस्या नहीं है। पंजाब में उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए नौकरी देने के लिए नीति बनाई जा रही है। उन्हें सशक्तिकरण चाहिए, भीख नहीं।
…कहां थे पांच साल से केजरीवाल
चुनावी जंग की तैयारी में पंजाब का रुख करने पर सिद्धू ने कहा कि पांच साल तक कहां थे केजरीवाल। जब हम नशे के तस्करों से लड़ रहे थे। उनके घर पहुंचकर ललकार रहे हैं, अगर किसी मुद्दे पर बहस करना चाहे तो तैयार हैं। शिक्षकों ने भी दिल्ली सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सभी अतिथि अध्यापक परिचर्चा के लिए तैयार हैं।
पिछले चुनाव में बिखरे झाड़ू को पहले करें इकट्ठा: सिद्धू
पराली जलाने पर भी सिद्धू ने दिल्ली सरकार को घेरते हुए कहा कि दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था ठीक नहीं है, इसलिए वाहनों की भारी तादाद है। 45 फीसदी प्रदूषण वाहनों से होता है। पिछले वर्षों के दौरान दिल्ली में न तो हरियाली बढ़ी है और न ही बसों की संख्या में इजाफा हुआ। वाहनों से होने वाले प्रदूषण के बजाय केजरीवाल पंजाब पर जिम्मेवारी सौंप रहे हैं। अबकी बार केजरीवाल सरकार के दावों पर कहा कि ..केजरीवाल, ए की होया तेरा नाल.। पिछले चुनाव में पंजाब में झाड़ू बिखर गया था, उसे पहले इकट्ठा करने के बाद ही सरकार की बात करें।