Greater Noida Authority News : ग्रेटर नोएडा के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में नई उम्मीद, आईएएस अफसरों का दौरा, समझे 'आईआईटीजीएनएल' और 'एमएमटीएच' के विकास मॉडल को, स्मार्ट टाउनशिप और लॉजिस्टिक हब मॉडल का अध्ययन करने पहुंचे 5 आईएएस अधिकारी, प्राधिकरण अधिकारियों ने साझा की योजनाएं और उपलब्धियां

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। सरकारी योजनाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के प्रति बढ़ती रुचि और विकास के मार्ग को समझने के लिए बृहस्पतिवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन हुआ। इस बैठक में भारत सरकार के पांच आईएएस अफसरों ने भाग लिया, जिनका उद्देश्य था ग्रेटर नोएडा के स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउनशिप (आईआईटीजीएनएल) और मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब (एमएमटीएच) तथा मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब (एमएमएलएच) के प्रगति मॉडल को समझना और इस सफलता के पीछे के कारणों का अध्ययन करना। इन अफसरों का यह दौरा सरकारी योजनाओं के उत्कृष्ट प्रबंधन और विकास की दिशा में एक नई पहल साबित हो सकता है।
आईएएस अफसरों की टोली ने क्यों लिया ग्रेटर नोएडा का दौरा?
ग्रेटर नोएडा के समृद्ध और तेज़ी से विकसित होते इंफ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता को समझने के लिए और सरकार द्वारा संचालित स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउनशिप और ट्रांसपोर्ट हब के प्रभावी मॉडल का अध्ययन करने के लिए पांच आईएएस अफसरों का यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण था। इस टोली में उत्तर प्रदेश कैडर की इशिता किशोर और सई आश्रित शाकमुरी, तमिलनाडु कैडर से आयुश गुप्ता, बिहार कैडर से आकांक्षा आनंद, हिमाचल प्रदेश कैडर से अंजलि गर्ग और बिहार कैडर से गरिमा लोहिया शामिल थीं। इन अफसरों का यह अध्ययन विशेष रूप से उन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए किया गया था जो पूरे देश में ऐसी टाउनशिप और हब के विकास के लिए अनुकरणीय बन सकते हैं।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने साझा किया अनुभव
इस महत्वपूर्ण बैठक में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने इन अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें प्राधिकरण द्वारा की गई विभिन्न योजनाओं का विवरण दिया। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि कैसे भूमि अधिग्रहण से लेकर औद्योगिक विकास और निवेश तक के हर चरण में सरकार की नीतियाँ रोजगार और विकास के अवसरों को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कैसे यह परियोजनाएं न केवल स्थानीय युवाओं को रोजगार प्रदान कर रही हैं, बल्कि निवेशकों को भी आकर्षित कर रही हैं। सीईओ ने कहा, “हमारा मुख्य उद्देश्य युवाओं के लिए रोजगार सृजन करना और यहां निवेश बढ़ाना है, ताकि यह क्षेत्र और देश की आर्थिक वृद्धि में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सके।”

स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउनशिप और मल्टीमॉडल हब की सफलता
बैठक में एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस और प्रेरणा सिंह ने भी इस बात पर प्रकाश डाला कि स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउनशिप का मॉडल काफी सफल रहा है। अब तक, इस टाउनशिप में 25 से अधिक बड़ी कंपनियों को जमीन आवंटित की जा चुकी है और इनमें से कुछ कंपनियाँ जैसे हायर पहले से ही काम कर रही हैं। यह कंपनियां अब तक लगभग 10,000 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी हैं और 23,000 से अधिक युवाओं को रोजगार दे चुकी हैं।
इसके अलावा, प्राधिकरण ने मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब (एमएमटीएच) और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब (एमएमएलएच) की अवधारणा और उसके अंतर्गत रेल, मेट्रो और बस टर्मिनल के विकास के बारे में भी जानकारी दी। इन हब्स का उद्देश्य उद्योगों के लिए एक नया इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया करना है, ताकि उत्पादों और सेवाओं की ढुलाई को और अधिक सुगम और तेज़ बनाया जा सके। इस परियोजना के तहत, ट्रांसपोर्ट की सुविधाओं में एक सामंजस्यपूर्ण समन्वय की योजना बनाई जा रही है, जिससे उद्योगों को बेहतर नेटवर्किंग और विकास का अवसर मिल सके।
प्राधिकरण की ओर से अधिकारियों को दी गई जानकारी और निरीक्षण
बैठक के बाद, इन अफसरों को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के विभिन्न क्षेत्रों का निरीक्षण करने का भी मौका मिला। उन्होंने स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउनशिप और मल्टीमॉडल हब की धरातल पर स्थिति का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान, इन अफसरों ने यह देखा कि किस तरह से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने औद्योगिक क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया है। साथ ही, पर्यावरण के अनुकूल तरीकों को अपनाने की दिशा में भी कई कदम उठाए गए हैं।
क्या सीख सकते हैं अन्य राज्य और अधिकारी?
इस बैठक और निरीक्षण से एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि यदि अन्य राज्यों और अधिकारियों को ग्रेटर नोएडा की इस स्मार्ट टाउनशिप और मल्टीमॉडल हब जैसी परियोजनाओं को अपनाना है तो उन्हें पहले आधारभूत संरचनाओं पर ध्यान देना होगा। साथ ही, सरकारी नीतियाँ और रोजगार सृजन के अवसरों को पहले प्राथमिकता देनी होगी। इसके अलावा, उद्योगों के लिए बेहतर परिवहन और संचार सुविधाएं प्रदान करने के लिए मल्टीमॉडल हब की स्थापना एक मॉडल हो सकती है।
आखिरकार, सरकार के इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिए
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे इस अद्वितीय प्रयास के लिए सराहना मिलनी चाहिए। सरकारी योजनाओं के सही दिशा में कार्यान्वयन और स्थानीय विकास में योगदान की यह एक शानदार मिसाल पेश कर रहा है। इस प्रकार की परियोजनाओं का देश के अन्य हिस्सों में भी विस्तार होना चाहिए, ताकि भारतीय आर्थिक विकास को और गति मिले और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिले।
निष्कर्ष
यह स्पष्ट है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का यह कदम अन्य शहरों और क्षेत्रों के लिए एक आदर्श बन सकता है। एकीकृत और स्मार्ट विकास मॉडल का अनुसरण करके हम भारत को एक विकसित राष्ट्र बना सकते हैं।
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